दिल के ज़ख्म भरते-भरते कब वो दिल ज़ख़्मी कर गए पता ही नहीं चला
वो आयने में खुद को कैसे बर्दाश्त करते होंगे, उन्हें तो सख्त नफरत थी धोखेबाजों से !
बारिशे हो ही जाती है मेरे शहर में, कभी बादलो से तो कभी आँखों से !
जो धोखा करना सीख जाते है जनाब, हर सख़्श उन्हें धोखेबाज़ लगते है।
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे, खुशी है कि तुम उम्मीद पे खरे उतरे !
एक आईना ही है जिसने आज तक, किसी इंसान को धोखा नहीं दिया !