मदद करना सीखो – प्रेरणादायक कहानी
आज की कहानी का शीर्षक है “मदद करना सीखो ।” हमारे आस-पास ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें मदद की जरूरत होती है । लेकिन हम उन्हें हमेशा नजर अंदाज करते हैं और दूसरी तरफ जो संपन्न होते हैं, जिनके पास पैसों की कमी नहीं होती हमारा ध्यान हर वक्त उन्हीं के ऊपर रहता है । शुरू करते हैं आज की प्रेरणादायक कहानी “मदद करना सीखो ।“
मदद करना सीखो – प्रेरणादायक कहानी
सुबह-सुबह का वक्त था । शर्मा जी तैयार हो रहे थे, ऑफिस के लिए निकलने के लिए । जैसे ही वह ऑफिस के लिए निकलने वाले थे । उनकी पत्नी बोली- आप, आज बाजार से एक किलो सेब लेकर आना ।
शर्मा जी बोले- ठीक है ले आऊंगा ।
शर्मा जी अपने स्कूटर पर बैठे और ऑफिस के लिए रवाना हो गए । जाते हुए उन्हें फ्लाईओवर के नीचे एक बुजुर्ग महिला दिखाई दी, जो कि सेब बेच रही थी ।
शर्मा जी ने तुरंत अपना स्कूटर रोका और बोले- यह सेब कितने के दिए?
बुजुर्ग महिला बोली- बेटा चालीस रुपए किलो ।
शर्मा जी बोले- चालीस रुपए किलो तो बहुत महंगे हैं, तीस में दे दो ।
बुजुर्ग महिला बोली- नहीं बेटा ! अगर तुम्हें चालीस रुपए किलो दूंगी, तो मेरे पास क्या बचेगा?
शर्मा जी बोले- ठीक है फिर रहने दो ।
बुजुर्ग महिला बोली- बेटा एक किलो पैंतीस में ले जाओ।
शर्मा जी ने उस महिला की बात नहीं मानी और वह स्कूटर पर बैठकर ऑफिस की तरफ चले गए ।
ऑफिस की छुट्टी होने के बाद, जब वह घर की तरफ आ रहे थे, तब उन्हें एक बहुत बड़ी फलों की दुकान दिखाई दी ।
दुकान को देखते ही उन्हें फिर याद आया कि उसे तो सेब खरीदने हैं ।
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उसने स्कूटर को साइड में लगाया और दुकानदार के पास पहुंचा और बोला- यह सेब कैसे दिए?
दुकानदार बोला- पचास रुपए किलो ।
शर्मा जी बोले- पर बाहर तो चालीस रुपए किलो मिल रहे हैं ?
दुकानदार ने दुकान में लगे हुए बोर्ड की तरह इशारा किया और बोला- पढ़ लो भाई! मोल-भाव करना मना है । यहां पर हर चीज का फिक्स प्राइस है ।
यह सुनते ही शर्मा जी वापस स्कूटर पर बैठ गए और सोचने लगे, वह बूढी औरत तो मुझे चालीस रुपए किलो सेब दे रही थी। और उसने पैंतीस तक लगा दिए थे । लेकिन मैंने फिर भी सेब नहीं लिए । यहां तो पचास किलो मिल रहे हैं । यह दुकान वाला तो किसी भी कीमत पर पैसे कम नहीं करेगा ।
हम लोग दुकानों में से महंगी से महंगी चीज खरीद लेते हैं लेकिन बाहर जो गरीब लोग सस्ते दामों पर चीज बेजते हैं । उनसे मोल-भाव करने को तैयार रहते हैं । यह हम लोगों की कैसी सोच है कि हमें अपने पैसे सिर्फ इन्हीं लोगों से बचाने हैं । हमें तो इन लोगों की मदद करनी चाहिए । ऐसा सोचते हुए वह वापस उस फ्लाईओवर के नीचे पहुंचे । जहां पर वह बूढी औरत बैठी हुई थी ।
उस बुजुर्ग महिला ने उसे पहचान लिया कि सुबह यह फल लेने के लिए आए थे । वह बोली- बेटा! ले लो पैंतीस में ।
शर्मा जी बोले- अम्मा! यह लो सौ रुपए और दो किलो सेब दे दो ।
महिला ने दो किलो सेब बाँध दिये और सौ रुपए ले लिए । फिर बोली- बेटा! मेरे पास सौ के छुट्टे नहीं है ।
शर्मा जी बोले- कोई बात नहीं अम्मा, आप ही रख लीजिए ।
यह सुनते ही उसे बुजुर्ग महिला के चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ गई ।
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शर्मा जी फ़िर बोले- अम्मा! आप यहां पर कब से काम कर रही हो?
बुजुर्ग महिला बोली- बेटा क्या बताऊं! मेरे पति की मृत्यु हो गई है और हमारी कोई संतान भी नहीं है । इसलिए अपना पेट पालने के लिए, यहां पर फल भेजती हूंँ ताकि जिंदा रह सकूँ ।
शर्मा जी बोले- अम्मा! आप चिंता मत कीजिए । मैं आप तक ज्यादा से ज्यादा ग्राहक लेकर आऊंगा । हमारे ऑफिस में बहुत से लोग हैं, मैं उन्हें बताऊंगा कि वह आपके यहां आकर सेब खरीदें ।
अम्मा ने शर्मा जी के सर पर हाथ रख दिया और बोली- भगवान! तुम्हें हमेशा खुश रखे ।
शर्मा जी मन ही मन भावुक हो गए और सोचने लगे, ऐसा आशीर्वाद मुझे कोई दुकान वाला कभी नहीं दे सकता था ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मोल-भाव कभी वहां मत करो, जहां तुम्हें कोई गरीब दिखे । क्योंकि तुम्हारे पाँच-दस रुपए ज्यादा देने से तुम गरीब नहीं हो जाओगे। लेकिन उन गरीबों के लिए वह पाँच-दस रुपए बहुत होते हैं । इसलिए सड़क पर बैठने वाले लोग, जो की सामान, फल आदि बेचते हैं उनसे कभी पैसों को लेकर बहस न करें । आपके इस छोटे से प्रयास से आप उनकी कितनी मदद कर सकते हैं । इसलिए अपने छोटे से नुकसान को झेलना सीखो और दूसरों की मदद करना सीखो ।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी प्रेरणादायक कहानी “मदद करना सीखो” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS Squad, Think Yourself और Your Goal