एक राजा और ऋषि की चतुराई की कहानी | Hindi Story
ऋषि की चतुराई: एक राज्य में एक प्रसिद्ध ऋषि मुनि रहते थे जो लोगों के भाग्य को बताते थे। उस राज्य के सभी व्यक्ति आपस मे ऋषि मुनि के कौशल की चर्चा करते थे। यह बात एक दिन राज्य के राजा के कानों तक पहुंची।
राजा के मन में भी अपने भविष्य को जानने की लालसा हुई और उन्होंने ने अपने मंत्रियों को भेजकर पूरे आदर सत्कार के साथ ऋषि को अपने महल में लाने के लिए आमंत्रण भेजा।
राजा के मंत्री आदेशानुसार ऋषि के पास पहुंचे और राजा के आमंत्रण के बारे में बताया और चलने के लिए आग्रह किया। ऋषि ने राजा के आमंत्रण को स्वीकार किया और चलने के लिए तैयार हो गए।
ऋषि जब महल पहुंचे तब राजा ने उनका पूरे दिल से आदर सत्कार किया और भोजन कराया। भोजन करने के बाद राजा ने ऋषि से आराम करने को कहा और राजा उनके कमरे से चले गए बिना अपनी बात रखें ।
ऋषि के आराम करने के बाद राजा उनके पास पहुंचे और अपने मन की बात को सामने रखी और उसने अपने भविष्य के बारे में पूछा।
ऋषि ने राजा की जन्म कुंडली मांगी और उसे ध्यान से देखने के बाद राजा को बताया कि आपके जीवन में सब मंगलमय हैं और आगे सब कुछ अच्छा ही होंगा। यह सब सुन कर राजा बहुत खुश हुए और ऋषि की झोली सोने और चांदी से भर दी।
राजा के दिमाग में अचानक से अपने दुर्भाग्य के बारे में जानने की लालसा होने लगी और ऋषि से उसने अपना दुर्भाग्य देखने को कहा।
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राजा के आदेश पर ऋषि से ने राजा के भविष्य में दुर्भाग्य से जुडी सारे बातें बता दी। राजा अपने बारे में कुटिल शब्दों को सुनकर ऋषि पर क्रोधित हो गया और चिलाने लगा।
राजा ने अपनी तलवार उस ऋषि के गर्दन पर रखते हुए कहां की तुम पाखंडी हो! अगर नहीं? तो अब तुम मेरी मृत्यु का समय बताओ वरना मैं तुम्हारी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगा।
ऋषि की चतुराई
ऋषि यह समझ चुका था की दुर्भाग्य के बारे में जानकर राजा क्रोधित हो चुका है। अब ऋषि ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए और राजा से कहा कि मेरे मृत्यु के ठीक एक घंटे बाद आपकी मृत्यु हो जायेगी। यह बात सुनकर राजा थोड़ा हैरान हुआ और गर्दन से अपनी तलवार हटा दिया।
ऋषि की यह बात सुनकर राजा सहम गया क्योंकि अगर उसने ऋषि को मार दिया होता तो उसके 1 घंटे बाद खुद भी मर जाता । इसके बाद राजा ने ऋषि से माफ़ी मांगी और उन्हें जाने दिया।
Moral: इस कहनी से हमे यह सीखने को मिलता है की परिस्थिति चाहे जैसी भी हो सोच समझकर चतुराई से काम लेना चाहिए । गंभीर से गंभीर परिस्तिथि में भी बुद्धिमानी से समस्या का हल निकाला जा सकता हैं यदि आप संयम से काम लें ।
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