अपने तनाव को पहचानो – Best Motivation
“अपने तनाव को पहचानो ।” आज हम उस दौर में जी रहे हैं, जिस दौर में बहुत से लोग तनाव की तरफ जा रहे हैं और इस तनाव का सबसे बड़ा कारण है कि हम खुद की भावनाओं को किसी के सामने व्यक्त नहीं करते । इसी कारण हमारा तनाव और बढ़ जाता है । इस कहानी के माध्यम से हम समझेंगे कि अपने तनाव को पहचानना और उसे दूर करना हमारे लिए कितना जरूरी है । शुरू करते हैं आज की कहानी “अपने तनाव को पहचानो ।”
Best Motivation in Hindi – अपने तनाव को पहचानो
अमन नाम का एक लड़का था, जो की बहुत कम बातें किया करता था । सभी को यही लगता था कि कम बात करना उसका स्वभाव है । कुछ हद तक यह उसका स्वभाव भी था, लेकिन असल में उसके कम बात करने का कारण यह था कि वह ज्यादा लोगों से मेल-जोल नहीं रख पाता था । इसी कारण वह खुद ही लोगों से दूर होने लगा था । उसके जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं था जो उसे उत्साहित करता था ।
अकेलापन और उदासी
धीरे-धीरे सभी लोग उसकी जिंदगी से जाते रहे और वह अकेला-सा पड़ गया । अब उसका काम से भी मन हटने लगा, वह जितना भी काम करता, ऐसा लगता कि उसके लिए एक मजबूरी है । वह बहुत कुछ सीखना चाहता था । लेकिन उसके अंदर हिम्मत ही नहीं थी, कुछ नया सीखने की ।
उसे गाने सुनना बहुत पसंद था, लेकिन धीरे-धीरे उसका यह शौक भी कम हो गया, उसे चारों तरफ निराशा दिखती थी । दुनिया की कोई भी चीज उसे उत्साहित नहीं कर पा रही थी लेकिन सबसे खतरनाक बात तो यह थी कि यह सब उसको नॉर्मल लग रहा था । उसे लग रहा था, मैं नॉर्मली ही ऐसा हूँ, लेकिन असल में वह तनाव में था और ऐसा तनाव जो आस-पास वालों को दिखाई नहीं दे रहा था ।
मामा की चिंता
अमन के मामा उससे बहुत प्यार करते थे, लेकिन बड़े होते ही दोनों में एक अंतर आ चुका था । कई साल बाद जब उसके मामा उससे मिले तब उन्होंने यह महसूस किया कि अमन तो बहुत निराशा में रहता है और इसका हमेशा निराशा में रहना कोई नार्मल बात तो नहीं हो सकती, इसलिए उन्होंने सोचा की क्यों ना मैं इस विषय में अमन से बात करूं ।
मामा और अमन की बातचीत
मामा अमन के पास पहुंचे और बोले- अमन क्या हुआ? आजकल निराश रहने लगे हो? ज्यादा मुझसे बातचीत भी नहीं करते, बचपन में तो कितना बात किया करते थे ।
अमन बोला- मामा, वह तो बचपन की बात थी । बड़े होते-होते इंसान का स्वभाव बदलता है । मेरा स्वभाव अब चुप रहने का हो गया है ।
मामा बोले- क्या, तुम्हारी चुप्पी में शांति है?
अमन बोला- नहीं! शांति तो बिल्कुल नहीं है पर अब कोई काम करने का मन नहीं करता । किसी से बातचीत करने का भी मन नहीं करता, अब मैं ऐसा ही हो गया हूंँ ।
मामा बोले- यह तो बड़ी गंभीर बात है, अमन तुम इसे इतनी आसानी से कैसे कह रहे हो?
अमन बोला- बात क्या गंभीर है, जिंदगी इतनी गंभीर है तो मुझे ऐसा तो बनना ही था ।
मामा की सलाह
मामा बोले- पर ऐसे कैसे हो सकता है कि तुम हर वक्त ही निराश रहते हो । हर वक्त कोई निराश नहीं रह सकता ।
अमन बोला- मैं तो कई सालों से निराश हूंँ । जो कुछ भी जीवन में घटता है, कभी किसी को नहीं बताता । बताने का मन ही नहीं करता, बताने का फायदा भी क्या है !
मामा बोले- अमन एक बात कहूँ। अगर तुम बुरा ना मानो तो ।
अमन बोला- हां, कहिए ।
मामा बोले- मैं एक अच्छे डॉक्टर को जानता हूंँ तुम उन्हें दिखा लो । मुझे लगता है तुम्हें डिप्रेशन हो गया है ।
अमन बोला- यह आप कैसी बात कर रहे हो? मैं बीमार थोड़ी-ही हूंँ । जो डॉक्टर को दिखा लूं, निराशा तो मेरे लिए सामान्य बात है ।
मामा बोले- देखो! अमन, तुम अपनी निराशा को हल्के में मत लो, तुम बीमार नहीं हो मुझे पता है लेकिन कुछ बीमारियां मानसिक भी होती है । तुम मेरी बात मानो तुम डॉक्टर के पास चलो ।
मामा के बहुत समझाने के बाद अमन उनके साथ डॉक्टर के पास पहुंचा ।
अमन और डॉक्टर की बातचीत
एक खाली कमरा था । जिसमें दो कुर्सियां लगी हुई थी, एक तरफ अमन बैठा और दूसरी तरफ डॉक्टर ।
डॉक्टर बोले- अमन, तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है । मैं तुमसे जो कुछ भी पूछूंगा तुम साफ-साफ बताना ।
अमन बोला- जी बिल्कुल, मैं ठीक हूंँ तो मुझे घबराने की वैसे भी जरूरत नहीं है ।
डॉक्टर बोले- अमन यह बताओ? तुम्हारे जीवन में कुछ तनाव है?
तनाव की पहचान
अमन बोला- मैं इसे तनाव तो नहीं कह सकता, पर मैं हमेशा निराश रहता हूंँ । पता नहीं क्यों मेरा मन नहीं लगता, किसी भी काम को करने में । मेरा बिल्कुल मन नहीं लगता कि मैं किसी से मिलूँ या बात करूं। मुझे बस अकेले रहना अच्छा लगता है अकेले में भी मैं बहुत परेशान रहता हूंँ, लेकिन उसके बाद भी मैं अकेले रहता हूँ ।
डॉक्टर बोले- अमन तुम्हें तनाव है, सबसे पहले इस बात को मानो । गहरी निराशा तनाव का एक कारण होता है । जिसे यह निराशा लग जाती है, फिर वह अपने जीवन से ऊबने लगता है । तुम भी अपने जीवन से ऊब गए हो । तुम्हें जिंदगी में कुछ ऐसा नहीं मिला, जो तुमने चाहा था । या फिर तुम एफर्ट करते-करते थक गए हो और इस थकान के कारण ऐसी जिंदगी जी रहे हो ।
अमन बोला- डॉक्टर साहब! क्या सचमुच मुझे तनाव है ।
डॉक्टर बोले- हाँ, अमन तुम्हें तनाव है पर घबराने की कोई बात नहीं है । सबसे पहले तो अपनी बातों को दूसरों से शेयर करना सीखो, अपने मन में मत रखो और लोगों से मिलना-जुलना सीखो । अपने आप को किसी काम में इंवॉल्व करो, इन्हीं चीजों से तुम अपना तनाव कम कर पाओगे । बाकी अगर दवाइयों की जरूरत होगी तो मैं तुम्हें वो दूँगा ।
अमन बोला- हाँ, डॉक्टर साहब आप ठीक ही कह रहे हो, मुझे खुद को बदलना चाहिए । मैं खुद को बदल नहीं पाता इसलिए तनाव में रहता हूंँ । जीवन के चार-पांच साल ऐसे ही निराशा में गुजरे हैं ऐसा लगता है जैसे सब कुछ खत्म हो चुका है । और मेरे लिए अब कुछ बचा ही नहीं। लेकिन आज आपने मुझे समझा दिया है मैं आज से ही कोशिश करूंगा कि खुद को बाहरी दुनिया में इंवॉल्व कर पाऊं ।
अमन ने डॉक्टर की सलाह मानी और धीरे-धीरे से तनाव से बाहर निकलना शुरू किया ।
यह कहानी हमें यह बताती है जो भी हमारे भीतर हो रहा है उसे पहचानना बहुत जरूरी है । कभी-कभी ऐसा होता है कि हम लंबे वक्त से तनाव में होते हैं, लेकिन हमें यह सामान्य लगता है । इसलिए इन बातों को सामान्य ना माने, लोगों से इस बारे में बात करें और अपनी मदद करें ।
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