अपनी सोच को कैसे बड़ा करे? क्यों जरूरी हैं ? | How To Expand your Thinking

अपनी सोच को कैसे बड़ा करे
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हर कामयाब मनुष्य के पीछे उसकी सोच होती है। अपनी सोच को कैसे बड़ा करें, इसके लिए आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। किसी भी क्षेत्र में कामयाब होने के लिए, हमे अपनी सोच को पँख देने होंगे। हर चीज की शुरुआत हमारे सोचने से ही होती है । हमारे भीतर असीम संभावना है । कुछ लोग इस संभावना पर विश्वास करते है, और कुछ बड़ा सोचने से ही कतराते है।

आज हम इसी सोच के ऊपर बात करेंगे की कैसे एक संकल्प के द्वारा मनुष्य कामयाबी की सीढ़ी चढ़ सकता है।
यहां हम चार ऐसी बातों का विश्लेषण करेंगे,जिससे हमें पता लगेगा की क्यों कुछ लोग कामयाब होते हैं और कुछ नहीं।

बहाने बनाना बंद कीजिए :

संभावनाओं के अनुसार देखा जाए तो, दुनिया का हर व्यक्ति कुछ भी कर सकता है , लेकिन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन हम खुद होते हैं अक्सर हमें पता होता है कि हम यह काम कर लेंगे, लेकिन हम बहाने बना दिया करते हैं । यह बहाने धीरे-धीरे हमारी आदत में बदल जाते हैं और हमें लगने लगता है कि हम इन बहानों से बाहर नहीं आ पाएंगे । आपको अपने आप पर थोड़ा- सा विश्वास होना चाहिए । आपको किसी कार्य को करने के लिए खुद को विवश करना चाहिए क्योंकि मनुष्य का दिमाग ऐसा है कि जहां इसे थोड़ा-सा भी कष्ट दिखाई देता है, वह वहां से बचने के लिए अनेक बहाने लगता है, इसलिए हमें खुद का विश्लेषण करके खुद को ही आगे बढ़ना होगा।

अपनी संभावनाओं को पहचानिए :

सबसे पहले हमें जरूरत है, कि हम अपनी संभावनाओं को पहचाने। हम कुछ बड़ा सोचने से पहले ही डर जाते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि हम इसके लायक नहीं है, लेकिन दुनिया में ऐसे हजारों उदाहरण है जिससे हम सीख ले सकते हैं। हमें अपनी सोच को खुला रखना होगा, किसी भी काम में घुसकर हम चीजों का विश्लेषण कर सकते हैं, कि क्या यह काम हमारे लिए है या नहीं। फिर स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा है -कि हमारा पूरा जीवन एक प्रयोगशाला है, जिसमें हम अपनी मानसिक कसरत करने आए हैं।

निरंतर प्रयास करते रहिए :

अधिकतर लोग किसी कार्य को शुरू तो कर देते हैं, लेकिन नियमित रूप से उसे नहीं कर पाते । किसी भी काम में माहिर होने के लिए अधिक से अधिक समय उस स्किल को देना चाहिए। हमें उस स्किल के अनुसार कई ऐसे प्रोजेक्ट्स करने चाहिए जिससे हम आंकलन कर सके, कि हम कहां तक पहुंचे हैं। आपने यह कहावत तो सुनी होगी, कि एक पत्थर पर यदि बार-बार किसी रस्सी की रगड़ लगती रहे, तो वह वहां एक गहरा निशान छोड़ देती है, वैसे ही अगर आप किसी कार्य को बार-बार करेंगे तो वह आपके लिए फिर इतना मुश्किल भी नहीं रहेगा। किसी भी कार्य को अधूरा मत छोड़िए, जो आपने सोचा है उस पर निरंतर प्रयास करते रहिए।

धैर्यवान बने हताशा छोड़ें :

अपने कार्य को सुचारू रूप से करने के लिए हमारे अंदर धैर्य आवश्यक होना चाहिए । जब हम किसी कार्य को शुरू करते हैं और हम समझ नहीं पाते, कि इसे आगे कैसे बड़ाये तो हम हताश हो जाते हैं, ऐसे वक्त पर हमें हताश नहीं होना है बल्कि धैर्य के साथ आगे बढ़ाना है । दुनिया में अलग-अलग मनुष्य होते हैं और कोई किसी कार्य को जल्दी सिखता है तो कोई देरी से। लेकिन यदि आपको इस कार्य में देरी हो रही है तो धैर्य ही आपका हथियार है । धैर्यवान इंसान ही कार्य के बीच आने वाली हर हताशा को झेल सकता है, और एक न एक दिन वह सफल जरूर होता है।

आशा है आप इन चार सुझावों को अपने जीवन में उतारेंगे|

उम्मीद करते हैं आपको हमारी Motivational Post “अपनी सोच को कैसे बड़ा करे? क्यों जरूरी हैं ?” पसंद आयी होगी ।

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