खरगोश और कछुवें की कहानी 2.0 – Motivational Story in Hindi

खरगोश और कछुवें की कहानी 2.0 - Motivational Story in Hindi
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Motivational Story in Hindi :- आपने अपने बचपन में यह कहानी तो सुनी ही होगी जहां एक जंगल में खरगोश और कछुआ रेस लगाते हैं, फिर खरगोश हार जाता हैं और कछुआ रेस जीत जाता हैं । लेकिन क्या आपको पता हैं उसके आगे की कहानी ? ठीक हैं ! तो आज मैं आपको खरगोश और कछुए की आगे की कहानी बताने जा रहा हूँ, और यह कहानी आपके लिए Motivation का काम करेगी ।

खरगोश और कछुवें की New Motivational Story in Hindi

कछुए से रेस हारने के बाद खरगोश बहुत निराश हुआ । खरगोश कछुवे से फिर से रेस लगाने को कहता हैं । कछुआ फिर से रेस लगाने को राज़ी हो जाता हैं । अगले दिन की सुबह खरगोश और कछुआ दोनों ही रेस लगाने को तैयार थे । खरगोश इस बार ठान चुका था कि चाहे जो हो जाये आज वो हारेगा नहीं । कछुवें को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि वो हारे या जीते ।

खरगोश रेस जीत गया – Moral Story in Hindi

रेस के शुरू होते ही खरगोश तूफ़ान की रफ़्तार से अपने लक्ष्य की ओर दौड़ पड़ा । कछुआ भी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा । कुछ ही देर में खरगोश रेस को जीत लेता हैं और जीतने के बाद खुश होकर लाइन के पार खड़ा होकर कछुवे का इंतजार करने लगता हैं । कछुआ धीरे धीरे आगे बढ़ता हुआ आता हैं और आधा दिन बीत जाने के बाद रेस को पूरी करता हैं । खरगोश अभी भी लाइन के बाहर खड़ा होकर कछुवे का इंतजार कर रहा था ।

कछुवें के आते ही खरगोश अपनी जीत की ख़ुशी में ज़ोर ज़ोर से उछलने लगा । कछुवें ने खरगोश को जीत की बधाई दी और खरगोश से बोला , “कल मैं रेस जीता था और आज तुम रेस जीतें हो! अब हम दोनों बराबर हो गए ।”
यह सुनकर खरगोश ने चिल्लाते हुवे कहा, “हम दोनों बराबर कैसे हो सकते हैं? तुम कितने slow (धीरे) हो और मैं कितना तेज़ हूँ!”

कछुवें ने बड़ी ही शालीनता से जवाब दिया, “मित्र! कभी भी किसी दूसरे को खुदसे कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि धरती के हर जीव में कुछ न कुछ खूबी और कुछ न कुछ कमी होती ही हैं! ” कछुवें की इस बात पर खरगोश हंसकर बोला, “इसका मतलब ये हैं की मेरी खूबी ये हैं की मैं तुमसे तेज़ हूँ और तुम्हारी कमी ये हैं की तुम मुझसे बहुत धीरे हो ।” यह कहकर खरगोश वहां से चला गया ।

जंगल में आग – Best Motivational Story in Hindi

समय गुजरता गया और एक दिन उस जंगल में बहुत भयानक आग लग गयी । आग धीरे धीरे पुरे जंगल में बढ़ती जा रही थी । जंगल के सभी जानवर अपनी जान बचाते हुवे आग की दूसरी तरफ़ भागने लगे । खरगोश को जब आग दिखीं तो वो भी अपनी जान बचाने के लिए भागने ही वाला था तब ही उसे याद आया कि उसका मित्र (कछुआ) वो इतनी जल्दी दौड़ नहीं पायेगा । खरगोश को कछुवे की चिंता होने लगी ।

खरगोश ने बचाई कछुवें की जान – Hindi Stories

खरगोश बहुत ही रफ़्तार से दौड़ता हुआ कछुवे के पास जाने लगा । कछुआ भी धीरे धीरे आग से दूर बढ़ रहा था तभी वहां खरगोश आ पंहुचा । कछुवें को सही सलामत देखकर खरगोश को बड़ी ख़ुशी हुई । खरगोश ने जल्दी से कछुवें से कहा, “मित्र! तुम जल्दी से मेरे ऊपर बैठ जाओ! मैं तुम्हे सुरक्षित जगह ले चलता हूँ” । आग भी तेज़ी से फैलती जा रही थी ।

कछुए ने बिना देरी किये खरगोश की पीठ पर बैठ गया । खरगोश कछुवे को पीठ पर बैठाकर आग से बचते हुवे भागने लगा । भागते भागते खरगोश जंगल के अंतिम छोर पर जा पंहुचा जहाँ पर एक नदी थीं । खरगोश ने नदी को देखा तो वह बहुत निराश हुआ क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था । अब खरगोश समझ गया कि अब उन दोनों को आग से कोई नहीं बचा सकता और अब वो दोनों वही मरने वाले हैं ।

कछुवें ने बचाई खरगोश की जान – Motivational Story

कछुआ खरगोश की भावनाएं समझ गया और खरगोश की पीठ से उत्तरकर बोला, “मित्र! अब तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ !” यह सुनकर खरगोश ने सबसे पहले कछुवें को गले से लगा लिया और फिर उसकी पीठ पर बैठ गया । कछुआ बड़े ही आराम से खरगोश को अपनी पीठ पर बैठाकर नदी के पार ले गया ।

नदी के दूसरी तरफ़ पहुंचने पर खरगोश को कछुवें की कही गयी बात याद आ गयी और वह कछुवें से बोला “मित्र! तुमने सच कहा था, कभी भी किसी दूसरे को खुदसे कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि धरती के हर जीव में कुछ न कुछ खूबी और कुछ न कुछ कमी होती ही हैं । जैसे मैं तेज़ तो हूँ पर मुझे तैरना नहीं आता और तुम भले ही धीरे हो लेकिन तुम तैर सकते हो । “

इस तरह दोनों के सहयोग से खरगोश ने कछुवे की और कछुवे ने खरगोश की जान बचाई ।

कहानी से शिक्षा :-

इस Motivational Story in Hindi से आपको क्या सिखने को मिला?
आपको भी कछुवें की तरह खुदको कभी दूसरों से कम नहीं समझना चाहिए और ना ही कभी जीवन में हार माननी चाहिए । शायद आपको अभी नहीं पता खुदकी काबिलियत के बारे में लेकिन समय आने पर आपको खुद ही पता चल जायेगा कि आप कितने क़ाबिल हो ।
साथ ही आपको कभी भी खरगोश की तरह किसी भी इंसान की कमज़ोरी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए और ना ही किसी दूसरे को खुद से कम समझना चाहिए ।

 

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