ये तो आप सबको पता ही होगा की परशुराम, भगवान विष्णु के छटवें अवतार थे जिसके कारण उनमें अद्भुत बल था | श्री परशुराम के शौर्य का पता इस बात से लगाया जा सकता हैं कि एक बार राजा सहस्त्रबाहु ने परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि से उनकी कामधेनु गाय माँगी थी जो कि जमदग्नि को देवताओं द्वारा मिली थी । जमदग्नि के इन्कार करने पर सहस्त्रबाहु के सैनिकों ने परशुराम के पिता जमदग्नि को मार डाला और बलपूर्वक कामधेनु गाय को अपने साथ ले गये। बाद में परशुराम को सारी घटना विदित हुई, उनका क्रोध इतना भयानक था कि उन्होंने अकेले ही सहस्त्रबाहु की पूरी सेना को सहस्त्रबाहु समेत मार डाला तब भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने पिता की मृत्यु पर कसम खायी थी की वें इस धरती से क्षत्रियों को समाप्त कर देंगें |
कहा जाता हैं श्री परशुराम ने 21 बार इस धरती से क्षत्रियों का वध करके इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था
कुछ क्षत्रिय अपनी जान बचाकर जंगलों में भाग गए क्योंकि उस समय कोई भी क्षत्रिय परशुराम के सामने युद्ध में टिक ही नहीं पाता था तो उन्हें हराना तो बहुत दूर की बात थी | लेकिन वो कौनसा योद्धा था जिसने परशुराम को भी हरा दिया था ?
काफी समय बाद जब श्री परशुराम का क्रोध शांत हुआ तब उन्होंने क्षत्रियों का वध करना बंद कर दिया|
वो कौनसा योद्धा था जिसने परशुराम को भी हरा दिया था ?
एक समय की बात हैं काशी के नरेश काशीराज ने अपनी तीनों पुत्रियों अम्बा ,अम्बिका,अम्बालिका के लिए स्वयंवर आयोजित किया था। इस स्वयंवर में हस्तिनापुर को आमंत्रित नहीं किया गया जिसके अपमान स्वरूप भीष्म स्वयंवर में बिना बुलाए पहुंच गए थे और तीनों राजकुमारियों का बलपूर्वक हरण करके हस्तिनापुर ले जाने लगे तभी राजा शाल्व ने भीष्म को रोकने का प्रयास किया क्योंकि शाल्व अम्बा से प्रेम करते थे लेकिन भीष्म को रोकना शाल्व के लिए सम्भव नहीं था तो शाल्व पराजित हुवे |
हस्तिनापुर पहुंचने के बाद अम्बा ने शाल्व से प्रेम करने की बात रानी सत्यवती से की और जब भीष्म को इस बात का पता चला तो वे अम्बा को आदरपूर्वक शाल्व के पास छोड़ आये लेकिन राजा शाल्व ने क्षत्रिय परम्परा के चलते अम्बा को स्वीकारने से मना कर दिया क्योंकि भीष्म ने अम्बा को शाल्व से युद्ध में जीत लिया था|
अम्बा निराश होकर वापस हस्तिनापुर लौट आयी और वहा राजा के सामने न्याय की गुहार लगाई की भीष्म की वजह से उनका अपमान हुआ हैं और अब भीष्म को ही मुझे स्वीकारना पड़ेगा | परन्तु भीष्म ने भी अम्बा को स्वीकारने से मना कर दिया क्योंकि भीष्म ने आजीवन विवाह न करने कसम ली हुई थी | राजा विचित्रवीर्य अम्बा को न्याय न दे सके इसलिए अम्बा बहुत ही क्रोधित हुई और अपने साथ हुए अपमान का बदला और न्याय लेने के लिए वो बहुत से राजाओं के पास गयी लेकिन किसी भी राजा में इतना साहस न था की वो भीष्म जैसे योद्धा को ललकार सके |
परशुराम और भीष्म के बिच युद्ध क्यों हुआ ?
निराशा और क्रोध से भरी हुई अम्बा श्री परशुराम के पास गयी और न्याय की गुहार लगाई | जब उन्हें पता चला की अम्बा के साथ अन्याय भीष्म ने किया हैं तो पहले तो उन्हें विश्वास न हुआ लेकिन एक अबला और प्रताड़ित स्त्री की न्याय की गुहार लगाने पर वे भीष्म से युद्ध करने को राज़ी हो गए |
इसके बाद वो दिन आया जब भगवान परशुराम और भीष्म आमने सामने थे |
परशुराम ने भीष्म से कहा या तो तुम अम्बा से विवाह करो या फिर तुम मुझसे युद्ध करो | भीष्म अपने विवाह न करने के वचन से बंधे हुवे थे इसलिए उन्होंने युद्ध करने का चुनाव किया | परशुराम और भीष्म के मध्य बहुत घमासन युद्ध हुआ | क्योंकि भीष्म को इच्छामृत्यु (अपनी इच्छा के अनुसार मरने) का वरदान था |
उस समय ऐसा लग रहा था जैसे धरती का अंत होने वाला हो | सारे देवता घबराने लगे थे | दोनों ही रुकने का नाम नहीं ले रहे थे |
दोनों ही योद्धाओं के पास सृष्टि का अंत कर देने वाले जैसे ताकतवर हत्यार थे लेकिन किसी ने भी उनका इस्तेमाल नहीं किया |
इसके बाद परशुराम ने जितने भी शस्त्र चलाये थे उनका असर भीष्म पर नहीं हुआ |
तब परशुराम ने भीष्म से कहा मेरे सारे शस्त्र समाप्त हो चुके हैं और चुकि मैं युद्ध भूमि में खड़ा हूँ तो मैं पीछे भी नहीं हट सकता इसलिए या तो तुम मेरे वध करो या फिर वापस घर लौट जाओ |
परशुराम भीष्म के गुरु थे और भीष्म युद्ध परशुराम के कहने से कर रहे थे इसलिए भीष्म वापस लौट गए |
परशुराम ने भीष्म से हार को स्वीकार कर लिया और अम्बा के सामने एक अबला स्त्री के साथ न खड़ा होने से भी बच गए |
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