जीवन क्या है? इसका क्या उद्देश्य है? | Inspirational
मनुष्य के जीवन में ऐसा मौका जरूर आता है,जब वह संशय में घिर जाता है। आज हम ऐसी ही एक कहानी लेकर आए हैं । जिसमें हम एक राजा और व्यापारी के संशय के विषय में पढ़ेंगे और जानेंगें की जीवन क्या हैं! और हमारे जीवन में चेतना का क्या महत्त्व हैं। एक राजा और एक व्यापारी दोनों अपनी अपार संपदा खो कर, जंगल में भटक रहे थे। वे दोनों बहुत हताश थे । जिस संपदा के लिए, उन्होंने दिन-रात मेहनत की आज वह संपदा, घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार उनके साथ नहीं थे।
चलते-चलते वह दोनों क्या देखते हैं, कि एक ऋषि पेड़ के नीचे विराजमान है और उनके आस-पास अनेक पशु-पक्षी है। वे सोचने लगे आखिर ऋषि में ऐसा क्या तेज है, जो सभी पशु-पक्षी ऋषि के पास एकत्रित हो गए हैं। यह देखकर वे भी ऋषि के समक्ष जा पहुंचे और कहने लगे, गुरुवर आप तो कोई महान ऋषि दिखाई देते हो । कृपया करके हमें हमारे दुखों से मुक्ति का मार्ग बताइए । हमने जीवन भर अपनों के लिए मेहनत की, लेकिन उसके बाद भी आज हमारे दोनों हाथ खाली है। आखिर हमने ऐसा कौन सा पाप कर दिया, जिस वजह से हम यह दुख भोग रहे हैं।
जीवन क्या है?
ऋषि ने हल्की मुस्कान के साथ उत्तर दिया । सुख-दुख तो जीवन के अनिवार्य अंग है, इसके बिना जीवन संभव ही नहीं है।
राजा ने पूछा- गुरुवर आप हमें बताइए । जीवन क्या है? इसका क्या उद्देश्य है?
व्यापारी भी बोल पड़ा, “आखिर जीवन जीना इतना मुश्किल क्यों है?” इसके बाद राजा और व्यापारी ने सवालों की एक अनंत झड़ी लगा दी। दोनों के भीतर जन्मी जिज्ञासा को देखकर, ऋषि ने उन्हें जीवन का गूढ़ रहस्य बताना शुरू किया ।
ऋषि ने कहा –
हमारा सांसारिक जीवन अद्वैत से घिरा हुआ है, जिसका अर्थ होता है दो। हमारे भीतर दो प्रकार की शक्तियां है- एक है प्रकृति और दूसरी चेतना।
मैं तुम्हें एक-एक करके प्रकृति और चेतना के विषय में बताता हूंँ।
हमारा जन्म लेना, धन अर्जन करना, प्रेम करना, विवाह करना, भावनाओं में बहना, संतान उत्पन्न करना, डरना, हँसना,रोना। यह सभी क्रियाएं प्रकृति के भीतर आती है । जन्म से मरण तक व्यक्ति सिर्फ बहते हुए जल की तरह होता है, जिसे जहां स्थान मिलता है, वह वहां की ओर एक बेहोशी में बहता चला जाता है। हमारा पूरा जीवन एक लंबी गहरी बेहोशी है, जिसमें कब वक्त गुजर जाता है, हमें पता ही नहीं चलता।
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दूसरी ओर चेतना है। जिसका जन्म लेना बहुत ही विरल घटना है, अधिकतर लोग बिना चेतना को जाने मर जाते हैं । चेतना का जन्म तब होता है। जब व्यक्ति चेतना और प्रकृति के भेद को जान लेता है। वह अपनी देह और देह से संबंधित सभी विषयों से ऊपर उठकर, खुद जो आत्मा की तरह देखता है, वो जो प्रकर्ति में रहते हुए भी उससे लिप्त नही होता, वास्तव में वही चेतनाशील मनुष्य है।
जीवन एक मौका है और जीवन का लक्ष्य अद्वैत के भेद को जानना है ,जो जान लेता है वह जीवन जीते हुए भी जीवन मुक्त कहलाता है ।
ऋषि के उपदेश के बाद राजा वापस राज्य लौट गया और दोबारा से पूरा धन वैभव प्राप्त करने में जुट गया ।
लेकिन व्यापारी के मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ । व्यापारी व्यापार को अच्छी तरह समझता था, इसलिए वह समझ चुका था। प्रकृति में सुख-दुख है, इसलिए मुक्ति ही उसके लिए एक सर्वोत्तम उपाय है।
ऋषि का उपदेश केवल राजा और व्यापारी के लिए नही बल्कि संपूर्ण मानवजाति के लिए है । आज जीवन के नाम पर बस हम साँस ले रहे है, और भोगों के पीछे भाग रहे है। ये समझे बिना की आखिर हमे चीजो की जरूरत किस हद तक है। जीवन में प्रकर्ति को कितना महत्व है, उसे समझकर हमे चेतना की तरह निरंतर बड़ते जाना चाहिए।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी Inspirational Hindi Story “जीवन क्या है? इसका क्या उद्देश्य है?” पसंद आयी होगी ।
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