सुनो सबकी लेकिन करो अपने मन की || प्रेरणादायक कहानी
आज की कहानी का शीर्षक है “सुनो सबकी लेकिन करो अपने मन की ।” जीवन का कोई भी काम हो, हर कोई हमें राय देने से पीछे नही रहता । लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम उनकी सभी सलाह को मानते रहे। हमे अपनी बुद्धि और तर्क का प्रयोग कर के ही किसी बात को मानना चाहिए ।
सुनो सबकी लेकिन करो अपने मन की || प्रेरणादायक कहानी
एक कुम्हार था । उसके दो बेटे और पत्नी थी । बड़े बेटे का नाम राकेश था, तो छोटे का सोहन । कुम्हार बहुत सीधा-साधा था । वह साधारण जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति था । उसका किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं होता था । वह हमेशा ही लोगों की बात मान लिया करता था ।
एक दिन कुम्हार ने अपने बड़े बेटे से कहा- हम दोनों को काम के सिलसिले में कल सुबह शहर के लिए निकलना है । राकेश बहुत आज्ञाकारी था । उसने पिता की बात मान ली । कुम्हार और राकेश अपने साथ, अपने गधे को लेकर निकल पड़े ।
उन्होंने थोड़ी ही यात्रा की थी, कि रास्ते में उन्हें दो व्यक्ति दिखे ।
एक व्यक्ति बोला- कितने पागल लोग हैं, गधे के होते हुए भी पैदल पैदल जा रहे हैं ।
कुम्हार ने व्यक्ति की यह बात सुन ली, उसने अपने पुत्र को कहा- पुत्र तुम गधे के ऊपर बैठ जाओ । तुम्हें थोड़ा आराम मिलेगा ।
राकेश ने पिता की यह बात मान ली और वह गधे पर सवार हो गया ।
वह कुछ दूर और ही गए थे, कि रास्ते में उन्हें एक पंचायत दिखाई थी । जहाँ पर बहुत सारे बुजुर्ग लोग बैठकर बातें कर रहे थे । जैसे ही लोगों की नजर उन दोनों पर पड़ी ।
एक बुजुर्ग बोला- अब तो सचमुच ही कलयुग आ गया है देखो तो, इस लड़के को बिल्कुल भी शर्म नहीं आती । बूढ़ा बाप तो पैदल चल रहा है और खुद गधे पर बैठकर आराम से जा रहा है ।
राकेश ने जब यह बात सुनी तो, वह तुरंत गधेे से उतर गया और अपने पिता को गधे पर बैठा दिया ।
ऐसे ही उन्होंने अपनी यात्रा को और आगे बढ़ाया । आगे उन्हें कुछ बच्चे मिले, जो कि राकेश को देखकर कहने लगे- भैया आप बड़े थके हुए लग रहे हो । आप भी अपने पिताजी के साथ इस गधे पर बैठ जाओ ।
राकेश ने बच्चों की बात मान ली । वह भी अपने पिताजी के साथ गधेे में बैठ गया ।
अब वह कुछ और आगे बढ़े । तभी उन्हें एक किसान दिखा, जो की खेत में काम कर रहा था । उसने अपने साथी किसान से कहा- देखो तो कैसे लोग हैं!! बेचारे इस कमजोर से गधे पर बैठकर जा रहे हैं । आज के जमाने में तो किसी को जानवरों से प्यार ही नहीं है ।
किसान की यह बात सुनकर दोनों गधे से नीचे उतर गए और उन्होंने गधे के दोनों पांव को बांध दिया और एक डंडे की सहायता से उसे उल्टा लटका लिया। एक तरफ कुम्हार ने पकड़ा और दूसरी तरफ राकेश ने ।
अब वह उस गधे को खुद ढोकर जा रहे थे । तभी रास्ते में एक पुल आ गया । वे दोनों आहिस्ता-आहिस्ता उस पुल से जा रहे थे। पुल में खड़े लोग उन्हें देखकर कहने लगे- यह दोनों कितने मूर्ख है जानवर को अपने कंधे पर ढोकर कर चल रहे हैं ।
बहुत देर से उल्टे लटके रहने के कारण, गधा छटपटाने लगा । छटपटाने से उसके पैर की रस्सियाँ खुल गई और वह पुल के नीचे गिर गया ।
कुम्हार और राकेश को इस बात का बहुत दुख हुआ । वह बैठकर रोने लगे । तभी वहाँ एक व्यक्ति आया और बोला- आखिर तुम दोनों क्यों रो रहे हो?
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कुम्हार बोला- मेरा गधा पुल से नीचे गिर गया है । हम दोनों उसे अपने कंधे पर ढोकर ले जा रहे थे ।
व्यक्ति बोला- पर तुम दोनों उसे अपने कंधे पर क्यों ले जा रहे थे ?
कुम्हार बोला- हम दोनों तो गधे पर सवार होकर जा रहे थे । तभी कुछ लोगों ने कहा कि हम लोगों के अंदर जानवर के लिए बिल्कुल भी दया नहीं है । इसलिए हमने इस गधे के आराम के लिए, इसे अपने कंधों पर उठा लिया था, लेकिन पुल पर आते ही गधा छटपटाया, रस्सियाँ खुल गई और वह नीचे गिर गया ।
व्यक्ति बोला- किसी ने तुमसे बोला और उसे सुनकर तुम लोगों ने उसकी बात मान ली । आज तुम लोगों की बेवकूफी की वजह से इस गधे की जान चली गई । कभी-भी किसी की बातों को यूँ ही नहीं मान लेना चाहिए । अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करना चाहिए । इसलिए तो कहा भी गया हैं, “सुनो सबकी लेकिन करो अपने मन की ।”
यह सुनकर दोनों अफसोस करते हुए अपने घर की तरफ लौट गए ।
हम भी अपने जीवन में हमेशा दूसरों की बातें सुनकर उनका निर्णय मान लेते हैं । यह दुनिया तो हमारे हर फैसले में कुछ ना कुछ नुक्स निकालती ही रहेगी । इसीलिए हमें अपनी बुद्धिमानी का प्रयोग करके ही निर्णय लेने चाहिए, नहीं तो हम अपनी जिंदगी में मुसीबत को न्योता देते रहेंगे ।
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