अपनी जिंदगी के फैसले खुद लें – short moral stories in hindi
जब हमारे दिमाग में किसी चीज को लेकर स्पष्टता नहीं होती, तब हम आए-गए हर किसी की बात मान लेते हैं और इसी कारण हम यह नहीं समझ पाते कि आखिर हम क्या चाहते हैं? इसलिए चाहे आपकी जिंदगी की छोटी-सी भी बात क्यों ना हो, लेकिन उसके लिए फैसला आपको खुद लेना चाहिए । एक Short moral stories in hindi “अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले।”
अपनी जिंदगी के फैसले खुद लें – short moral stories in hindi
एक बार की बात है एक दुकानदार था । जिसकी अगरबत्तियों की दुकान थी । उसने अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड लगाया हुआ था । जिस पर लिखा था, हमारे यहां सुगंधित अगरबत्तियां मिलती है । आते-जाते लोगों की नजर जब भी उस बोर्ड पर पड़ती, वह तुरंत दुकान में जाते और अगरबत्तियां खरीद लेते । इस तरह दुकानदार की दुकान बहुत अच्छी चल रही थी ।
एक बार एक व्यक्ति दुकानदार के यहां पहुंचा और बोला- भाई साहब! आपने अपनी दुकान के बाहर क्या बोर्ड लगा रखा है ?
दुकानदार बोला- क्या मतलब, मैंने तो यही बोर्ड लगाया है कि हमारे यहां सुगंधित अगरबत्तियां मिलती है । इसमें गलत क्या है ?
व्यक्ति बोला- मेरे कहने का यह मतलब है कि अगरबत्तियां तो सुगंधित ही होती है, तो बोर्ड पर सुगंधित लिखवाने की क्या जरूरत थी । आपको अपने बोर्ड पर यह लिखवाना चाहिए कि हमारे यहां अगरबत्तियां मिलती है ।
दुकानदार को उस व्यक्ति की बात में दम लगा । इसलिए उसने अपने बोर्ड में से सुगंधित शब्द हटा दिया । अब उसकी दुकान का नाम हो गया था । हमारे यहां अगरबत्तियां मिलती है ।
कुछ दिनों बाद उस दुकानदार की दुकान पर एक दूसरा व्यक्ति आया ।
व्यक्ति बोला- अरे! भाई जी, आपने क्या बोर्ड लगा रखा है?
दुकानदार बोला- ठीक तो है, हमारे यहां अगरबत्तियां मिलती है ।
व्यक्ति बोला- अरे! अगर किसी को अगरबत्तियां खरीदनी होगी तो यही आएगा । हमारे यहां का क्या मतलब है । आपको अपने बोर्ड पर सिर्फ इतना लिखना चाहिए था, अगरबत्तियां । इतना लिखोगे तब भी कोई भी समझ जाएगा कि इधर अगरबत्तियां मिलती है ।
दुकानदार ने फिर उस व्यक्ति की बात मान ली और बोर्ड में सिर्फ अगरबत्तियां शब्द रहने दिया ।
फिर थोड़े ही दिनों में एक और व्यक्ति दुकानदार के पास पहुंचा और बोला- इधर अगरबत्तियां मिलती है ।
दुकानदार बोला- हाँ, बाहर बोर्ड पर तो लिखा है अगरबत्तियां, तो इधर अगरबत्ती ही मिलेगी ना ।
व्यक्ति बोला- आपको तो अब सभी जान चुके हैं । आपको क्या जरूरत है बोर्ड पर कुछ भी लिखवाने की । अब आपकी दुकान इतनी चलने लगी है । मेरी मानो तो, आप यह अगरबत्तियां नाम भी हटा ही दीजिए । ऐसा कहते हुए वह हंसते हुए चला गया ।
दुकानदार सोचने लगा, क्या सचमुच मेरी दुकान इतनी अच्छी चल रही है कि मुझे नाम की भी जरूरत नहीं है । ऐसा करता हूंँ मैं बोर्ड ही नहीं लगाता, बाकी दुकानदारों को भी पता चले कि मुझे नाम की कोई जरूरत नहीं है । वैसे भी शेक्सपियर ने कहा है “नाम में क्या रखा है।” ऐसा सोचते हुए उस दुकानदार ने अपने बोर्ड से अगरबत्तियां शब्द भी हटा दिया ।
बोर्ड खाली रहने की वजह से लोगों का उसकी दुकान में आना कम हो गया और धीरे-धीरे उसका धंधा मंदा हो गया ।
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दुकानदार का एक दोस्त उससे मिलने आया ।
आते ही उसने दुकानदार से हाथ मिलाया और गले मिला फिर दोनों की बातचीत शुरू हुई ।
दोस्त बोल- मुझे लगा, तुमने दुकान बंद कर दी है ।
दुकानदार बोला- अरे! इतनी अगरबत्तियां दिखाई नहीं दे रही क्या तुम्हें ? दुकान क्यों बंद करूंगा ? हाँ, पर आजकल धंधा थोड़ा मंदा चल रहा है ।
दोस्त बोला- जब मैं तुम्हारा दोस्त हूंँ, मुझे लग सकता है तुमने दुकान बंद कर दी है तो बाकी सब को भी तो लग सकता है ।
दुकानदार बोला- तुम्हारा कहने का क्या मतलब है?
दोस्त बोला- तुमने बाहर बोर्ड में कुछ भी नहीं लिखवा रखा । कैसे पता चलेगा कि यहां अंदर क्या बिक रहा है और क्या नहीं ? इसी कारण तुम्हारा काम मंदा चल रहा है । अपनी दुकान के बाहर बोर्ड पर लिखवाओ, हमारे यहां सुगंधित अगरबत्तियां मिलती है ।
ऐसा सुनते ही दुकानदार सोचने लगा, अरे यह तो मैंने पहले ही लिखवा रखा था । पर लोगों के कहने पर मैं न जाने क्या-क्या कर बैठा ।
दुकानदार बोला- तुम ठीक ही कहते हो! मेरे काम का ठीक से ना चलने का कारण यही है कि मैं हर किसी की बात सुन लेता हूँ। मैने खुद अपना ही नुकसान कर लिया ।
दुकानदार ने दोबारा दुकान के बाहर बोर्ड लगा दिया कि हमारे यहां सुगंधित अगरबत्तियां मिलती है । और फिर से उसकी दुकान चलने लगी ।
यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि दूसरों की कही गई किसी भी बात से हमें अपनी जिंदगी में बदलाव नहीं करना चाहिए । क्योंकि दूसरा तो दूसरा है उसे क्या पता आपके लिए क्या सही है और क्या गलत । आपसे बेहतर कौन जान सकता है कि आपके लिए क्या सही है । इसलिए हमेशा अपनी बुद्धि से काम ले और अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले ।
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