संयम – Best Inspirational Story in Hindi
अक्सर हम उन कर्मों को देखते हैं जो कर्म लोग बाहर करते हैं । लेकिन उन कर्मों से ज्यादा, हमें उन कर्मों को देखना चाहिए, जो हम अपने मन के अंदर करते हैं । बाहर के कर्मों को बदलने से कुछ फायदा नहीं होता, अगर हम अंदर अपना मन ना बदल पाए ।
एक व्यक्ति था । जिसके दो पुत्र थे । एक की उम्र पन्द्रह वर्ष थी, तो दूसरे की सत्रह वर्ष । वह व्यक्ति चाहता था कि उसके दोनों पुत्र योग को अपने जीवन में लाएं और अपने मन को संयम में रख सके ।
पिता की शिक्षा – Best Inspirational Story in Hindi
पिता ने अपने दोनों पुत्रों को अपने पास बुलाकर बिठाया और कहा- बेटा मैं चाहता हूंँ, तुम दोनों योग को अपने जीवन में उतारो और अपने मन को संयम करना सीखो । यही सही वक्त है कि अपने शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दो ।
पिता की बात सुनकर दोनों पुत्रों ने उनकी बात मान ली । पिता फिर बोले- तो फिर ठीक है तुम दोनों को कल सुबह चार बजे उठाना है और योग करना है । इसलिए तुम दोनों जल्दी सो जाओ, ताकि तुम सुबह जल्दी उठ सको ।
पिताजी की इस बात पर दोनों पुत्रों ने हामी भर दी ।
संघर्ष का पहला दिन
सुबह हो गई चार बज चुके थे । बड़ा-पुत्र चार बजे उठ चुका था, लेकिन छोटा-पुत्र अभी तक सो रहा था । बड़े-पुत्र ने छोटे-पुत्र को जाकर उठाने का प्रयास किया, लेकिन उसके बार-बार उठाने पर भी वह नहीं उठा । इसलिए वह अपने पिताजी के पास गया और बोला- पिताजी मैं छोटे को कब से उठाने की कोशिश कर रहा हूंँ पर यह है कि उठ ही नहीं रहा । मुझे नहीं लगता कि यह रोज सुबह उठकर योग कर भी पाएगा और अपने मन पर संयम कर पाएगा ।
पिताजी बोले- बेटा ऐसा क्यों कह रहे हो? अभी तो पहला ही दिन है ।
पुत्र बोला- वही तो पहले ही दिन इसने ऐसी हरकत कर दी, तो फिर जीवन में संयम कहां से ही आएगा ।
संयम का महत्व – Best Inspirational Story in Hindi
पिताजी बोले- उसके जीवन में संयम आए या ना आए, यह तो बाद की बात है लेकिन मुझे लगता है, तुम्हारे जीवन में संयम कभी नहीं आ पाएगा ।
पिताजी के ऐसे शब्द सुनकर वह हैरान रह गया और बोला- पिताजी, आप क्या कह रहे हो? जो आराम से घोड़े बेचकर सो रहा है, उसको कुछ कहने की वजह आप उल्टा मुझे ही कह रहे हो, कि मेरे जीवन में सयंम नहीं आ पाएगा । मैं तो जल्दी उठ गया हूंँ ।
पिताजी बोले- तुम्हारे जल्दी उठने का क्या लाभ अगर तुम्हारे अंदर संयम नहीं है । वह सो रहा है हमें साफ-साफ दिख रहा है लेकिन तुम जगे हुए हो और जागते हुए भी सोए हुए हो, क्योंकि तुम्हारे भीतर जल्दी उठने का अहंकार है । और जहाँ अहंकार होता है वहां संयम तो दूर-दूर नहीं होता । इससे तो बेहतर था कि तुम भी उसकी तरह सोते ही रहते । इससे मुझे साफ-साफ दिखाई देता, कि तुम सच में भी सो रहे हो ।
सीख
पिताजी ही ऐसी बातें सुनकर उसे महसूस हुआ, कि वह जो भी कह रहे हैं सच ही तो कह रहे हैं । मेरे जल्दी उठने का भी क्या लाभ जो मैं इतनी छोटी-सी बात के लिए, इतना उत्तेजित हो गया ।
पुत्र बोला- पिताजी, आपका धन्यवाद! आपने मुझे, मन को संयम करने का रास्ता दिखा दिया है । मैं इसे एक सीख की तरह लूंगा, मुझे समझना चाहिए था कि वह मेरा छोटा-भाई है । यदि वह सो रहा है मुझे उसे वक़्त देना चाहिए ना कि उस पर क्रोध करना चाहिए ।
पिताजी बोले- मुझे खुशी है कि तुम मेरी बात को समझ गए ।
पुत्र ने अपने छोटे-भाई को प्यार से उठाया और वह उठ गया, फिर दोनों ने मिलकर योग शुरू कर दिया ।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बिगड़ी हुई परिस्थिति में ही देखना चाहिए कि हमारा मन कितना संयम में है । किसी दूसरे की खामी को देखकर कभी-भी क्रोध न करें, क्योंकि ऐसा करने से दूसरे का क्या हम खुद का भी भला नहीं कर पाएँगे।