क्या आप भी दोस्तों में बैठकर डींगे हांकते हैं ? प्रेरणादायक कहानी

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आज कल के दौर में जहाँ लोग बहुत मेहनत करते हैं उस ऊंचाई तक पहुंचने में जिस ऊंचाई का हर कोई सपना देखता हैं । लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो उस ऊंचाई पर होते तो नहीं लेकिन दिखावा कुछ इसी तरह का करते हैं जैसे उन्होंने सब कुछ पा लिया हो । ये लोग जब भी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ होते हैं तो अपनी प्रशंसा में डींगे हांकना चालू कर देते हैं । ऐसे लोगों से हमें बचकर रहना चाहिए क्योंकि असल ज़िंदगी में वे कुछ भी नहीं होते हैं और उनके जैसा बनने के चक्कर में आप ख़ुदको दोष देते रह जाते हो की आप उसकी तरह क्यों नहीं बन पा रहे हो ।

आपको बस एक बात याद रखनी हैं, ज़िंदगी सिर्फ़ उन्हीं लोगों को अवसर (मौका) देती हैं जो लोग मेहनत करते हैं और जो सिर्फ दिखावा करके डींगे हांकते रहते हैं उनसे अवसर छीन लेती हैं जैसे कि रोहन और अमित की कहानी में हुआ, तो आईए जानते हैं कैसे ‘डींगे हाँकने‘ के कारण अमित ने अपनी सफलता के रास्ते बंद कर दिए।

क्या आप भी दोस्तों में बैठकर डींगे हांकते हैं ? प्रेरणादायक कहानी

एक बार की बात है । रोहन और अमित नाम के दो दोस्त आपस में कई सालों बाद गाँव मे मिले । सालों बाद मिलकर वे दोनों बहुत खुश थे। दोनों शहर में नौकरी करते थे, लेकिन आज इतने सालों बाद एक-दूसरे को मिलना हुआ। दोनो अपने पुराने दिनों को याद करने लगे।

रोहन ने पूछा- अमित यह बताओ? तुम शहर में कहां रहते हो और क्या काम करते हो ?
अमित ने कहा-
अरे शहर में तो मेरा बहुत बड़ा बंगला है । मैंने अपनी बहुत बड़ी कंपनी खोली है । मेरे अंडर सौ से ज्यादा नौकर है । सौ से ज्यादा नौकरो को मैं तनखाह भी देता हूंँ। मेरी जिंदगी सेट है, सब कुछ बहुत अच्छा है । तू बता तू क्या करता है ? और कहां रहता है?


रोहन ने कहा-
क्या बताऊं शहर में बहुत महंगाई है । मै भी चाहता था कि शहर में मेरा अपना एक घर हो लेकिन वहाँ रहते हुए मुझे सपनों और हकीकत के बीच का फ़र्क मालूम हुआ है। मैं तो अभी किराए के मकान में रह रहा हूंँ और फिलहाल एक छोटी-सी कम्पनी में काम काम कर रहा हूंँ, जिसका मुझे बहुत कम पैसा मिलता है ।

अमित ने कहा – अरे यार ! हम दोनों साथ में ही स्कूल से निकले थे, साथ में शहर गए थे, लेकिन आज देख मैं कहां पर हूंँ और तू कहां पर है।

रोहन ने कहा- हां शायद परिस्थितियाँ मेरे अनुकूल नही है, लेकिन फिर भी मैं जितना हो सकता है, मेहनत करता हूंँ । कुछ पैसे अपने घर में भी भेजता हूंँ ताकि घर की मदद हो सके।
एक व्यक्ति दूर खड़ा होकर दोनों की बातें सुन रहा था । वह थोड़ा अनुभवी था तो समझ गया की अमित डींगे हाँक रहा है । रोहन थोड़े भोले दिल का था इसीलिए अपनी बुरी स्थिति जैसी भी हो बता रहा था ।
वह व्यक्ति दोनों के पास आया और कहने लगा क्या बातें हो रही है दोस्तों में।
यह सुनकर अमित बोला आप हमें जानते हो ?

व्यक्ति बोला- हाँ मैं तुम्हें अच्छे से जान गया हूंँ।
अमित बोला क्या जान गए हो ? यही कि तुम्हारे दोस्त रोहन को अभी पैसों की जरूरत है।

रोहन ने कहा – नहीं मुझे पैसों की जरूरत नहीं है । मै शहर में नौकरी करता हूंँ और जितना हो सकता है उतना कमाता हूंँ। आपको क्यों लगता है, कि मुझे पैसों की जरूरत है?

व्यक्ति ने कहा- मैं जानता हूंँ रोहन तुम बहुत ईमानदार हो, लेकिन साथ ही बहुत सच्चे भी हो, तुम्हारा दोस्त तो तुमसे आगे निकल गया लेकिन फिर भी तुम्हारे मन में उसके प्रति कोई ईर्ष्या का भाव नहीं है इसलिए मैं तुम्हें बताना चाहता हूंँ। मैं शहर में काम करता हूंँ, वहां पर तुम्हारे जैसे ईमानदार लोगों की जरूरत है । तुम्हें जितनी तनख्वाह मिलती है, उससे डबल करके दूँगा और साथ ही तुम्हें प्रशिक्षण भी दिया जायेगा ।

रोहन ने कहा- आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, परिस्थितिवश मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा था, लेकिन अब आप मुझे मिल गए हैं इसलिए मैं भी अब जीवन में तरक्की कर पाऊंगा। साँझ होने पर रोहन और वह व्यक्ति अपने घर लौट गए ।

अमित सोचने लगा – मैंने रोहन से झूठ कहा अगर मैं सच कहता तो वह व्यक्ति मेरी भी मदद कर देता। मैं जानता हूं कि मेरी स्थिति कितनी खराब है मैं तो बस अपना रुबाब झाड़ने के लिए रोहन के आगे बड़ी-बड़ी डींगे हाँक रहा था । काश मैं डींगे ना हाँकता तो आज मेरी भी मदद हो जाती, मैं भी जीवन में आगे बढ़ पाता परिवार के लिए कुछ कर पाता। अमित ने सबक लिया कभी-भी खुद के बारे में दूसरों के आगे बढ़ा-चढ़ा कर बातें नहीं करनी चाहिए ,अन्यथा उसका परिणाम बुरा होता है।

यहाँ डींगे हाँकना मुहावरा हमे ये बताने की कोशिश कर रहा है कि यदि हम खुद को वो नही दिखाते जो हम है, तो हम वो भी नही बन सकते जो हम बनना चाहते है इसलिए किसी के आगे हमे डींगे नही हाँकना चाहिए।

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