दुनियाँ की सबसे बड़ी चीज़ क्या हैं? Akbar Birbal ki kahani No 1

akbar birbal ki kahani
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Akbar Birbal ki kahani:- एक बार बीरबल अकबर के दरबार में उपस्थित नहीं थे इस बात का फायदा उठाकर बाकि के मंत्रीगणों ने योजना बनाकर महाराज अकबर से कहा, “महाराज आप हमेशा बीरबल की प्रशंसा करते रहते हैं और उसी को सभी काम की जिम्मेदारी देते हैं । हर मामले में आप बीरबल का सुझाव लेते हैं । क्या आप हम सब मंत्रीगणों को अयोग्य समझते हैं ! आप हमें मौका तो दे ताकि हम आपको दिखा सके की हम बीरबल से ज्यादा बुद्धिमान हैं ।”

मंत्रीगण की बात सुनकर महाराज अकबर थोड़ा मुस्कुराये और उन्होंने मंत्रीगण से कहा, “ठीक हैं ! मैं तुम सबसे एक सवाल पूछूंगा पर ध्यान रहे अगर तुम सब सही और सटीक ज़वाब नहीं दे पाए तो सबको फांसी पर लटका दिया जायेगा, क्या तुम्हें मंजूर हैं ?” महाराज की बात सुनकर मंत्रीगण थोड़ा सा सहम गए लेकिन बात उनके सम्मान की थी इसलिए सब मंत्रीगणों ने शर्त को मंजूर कर लिया ।

अकबर का सवाल – Akbar Birbal ki kahani in Hindi

अकबर ने पूछा, “दुनियाँ की सबसे बड़ी चीज़ क्या हैं ?

अकबर की बात सुनकर सभी मंत्रीगण सोच में पड़ गए और अपनी अपनी बुद्धि के घोड़े दौड़ाने लगे । कुछ क्षण के बाद सभी मंत्रीगण एक दूसरे के मुँह ताकने लगे । सभी मंत्रीगणों की घबराहट उनके चेहरे पर साफ़ साफ़ देखी जा सकती थी । अकबर ने सभी मंत्रीगण की स्थिति भांप ली और कहा, “याद रहे उत्तर एक दम सही होना चाहिए, मुझे कोई भी अटपटा उत्तर नहीं चाहिए ।”

घबराये हुवे मंत्रीगण को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था इसलिए उन्होंने इस प्रश्न के उत्तर के लिए अकबर से कुछ दिनों की मोहलत मांगी । अकबर ने सभी मंत्रीगण को 10 दिनों की मोहलत दी और कहा की 11वें दिन अगर तुम सब उत्तर नहीं ला सके तो सबको फांसी पर लटका दिया जायेगा ।

सभी मंत्रीगण महल से बाहर आकर आपस में प्रश्न का उत्तर बताने लगे की क्या ये उस प्रश्न का उत्तर हो सकता हैं!
एक ने कहा इस दुनियाँ की सबसे बड़ी चीज़ हैं पानी, जो की समंदर में कितना गहरा हैं किसी को भी नहीं पता ।
दूसरे ने कहा नहीं आकाश सबसे बड़ी चीज़ हैं जिसे भी नाँपा नहीं जा सकता ।
तीसरे ने दोनों के उत्तर का विरोध किया कि पानी इस धरातल पर स्थित हैं तो उससे बड़ी तो धरातल हुई और धरातल को आकाश ने ढ़का हैं तो उससे बड़ा आकाश हुआ मगर आकाश को हमारी नज़रों से नाँपा जा सकता हैं और जब आकाश को छोटी सी आँखों से नाँपा जा सकता हैं तो आकाश बड़ा कैसे हो सकता हैं ।

10वां दिन – Akbar Birbal Hindi stories for Kids

धीरे धीरे दिन बीततें गए और अभी तक मंत्रीगण को उत्तर नहीं मिला । अब मंत्रीगण को अपनी जान की फ़िक्र होने लगी । जब 10वें दिन तक भी अकबर के प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाया तो वे समझ गए की अब सिर्फ़ बीरबल ही उन्हें फांसी से बचा सकता हैं । सभी मंत्रीगण ना चाहते हुवे भी बीरबल के पास पहुंचे और सारी बात बीरबल को बताई ।

बीरबल को सारा मामला दूसरें ही दिन पता चल गया था फिर भी वे अनजान बनकर सुनते रहें । बीरबल को मंत्रीगणों की हालत का अंदाजा हो रहा था और फिर उन्होंने थोड़ा सबके सिखाने के लिए कुछ सोचा । मंत्रीगण की सारी बात सुनने के बाद बीरबल ने कहा, “अकबर ने तो आप सबसे बहुत ही कठिन प्रश्न पूछा हैं जिसका उत्तर तो मेरे पास भी नहीं हैं !”

बीरबल की यह बात सुनते ही मंत्रीगणों के आगे मानों फांसी का नज़ारा सामने आ गया और वे सब बीरबल के पैरों में गिर गए और हाथ जोड़कर जान की भीख़ मांगने लगे साथ ही खुद को मुर्ख और बीरबल को बुद्धिमान बताने लगे । बीरबल को उन सभी पर तरस आ गया और कुछ देर सोचने के बाद मंत्रीगणों से कहाँ, “मैं जो भी तुम सबसे कहुँ वो तुम सबको बिना किसी सवाल ज़वाब के करना होगा !” मंत्रगण मान गए ।

11वां दिन – Akbar Birbal Stories in Hindi

11वें दिन बीरबल ने एक पालकी मंगवाई और 2 मंत्रीगण को पालकी उठाने का आदेश दिया, तीसरे मंत्रीगण के हाथों में अपने जूते थमाकर पीछे पीछे चलने को कहा और चौथे मंत्रीगण के हाथों में हुक़्क़ा पकड़ा दिया । इसके बाद स्वयं पालकी में बैठकर सभी मंत्रीगण को महल की तरफ चलने का आदेश दिया ।

मंत्रीगणों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर भी न चाहते हुवे भी बीरबल की बात माननी पड़ी क्योंकि आज 11वां दिन था और आज अगर उन्होंने अकबर को सही उत्तर नहीं दिया तो उनका फांसी पर लटकना तय था । इसलिए सिर्फ़ बीरबल ही हैं जो उन सभी को फांसी से बचा सकता था ।

महल से होकर मंत्रीगण बीरबल को पालकी में उठाये हुवें राजदरबार में पहुंचे । जब यह नज़ार अकबर ने देखा तो वें कुछ बोलतें उससे पहले बीरबल बोल पड़ा, महाराज! दुनियाँ की सबसे बड़ी चीज़ “गरज़” (ज़रूरत) हैं, इसी वज़ह से सभी मंत्रीगणों को ये सब करना पड़ रहा हैं ।

बीरबल का उत्तर सुनकर अकबर अपनी मुस्कुराहट रोक नहीं पाए साथ ही सभी मंत्रीगण शर्म से सर झुकाये खड़े रहे ।

कहानी से सीख :-

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि कभी भी बुद्धिमान व्यक्ति से जलन नहीं रखनी चाहिए बल्कि उससे सीख लेकर खुदको बेहतर बनाने की कोशिश करते रहने चाहिए ।

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