अकबर बीरबल और जादुई गधा | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi No 5

अकबर-बीरबल और जादुई गधा | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi No 5
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Akbar Birbal Moral Stories in Hindi : एक बार की बात हैं, अकबर बादशाह ने अपनी बेग़म के लिए बहुत ही कीमती हीरों का हार बनवाया और हार को उनकी बेगम के जन्मदिन पर उन्हें तोहफ़ा में दे दिया । बेगम होरों का हार देखकर बहुत खुश हुई और हार पहनकर तो मानों स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी । इसके बाद अकबर की बेगम ने हीरे का हार संदूक में रख दिया ताकि सिर्फ खास मौकों पर ही पहन सकें ।

समय गुजरता गया । एक दिन बेगम को हार पहनने का मन हुआ । बेगम ने जैसे ही संदूक खोला उसमें हार नहीं था । बेगम ने पुरे कमरें में हार को ढूंढा लेकिन हार नहीं मिला । इसके बाद बेगम ने इसकी सूचना अकबर को दी । अकबर ने अपने सिपाहियों को हार को ढूंढकर लाने का आदेश दिया लेकिन हार सिपाहियों को भी नहीं मिला ।

हार के खो जाने पर महारानी बहुत उदास हो गयी । महारानी को उदास देखकर अकबर ने बीरबल से हार के बारे में बताया और आदेश दिया की जल्द से जल्द हार को ढूढ़कर लाये । बीरबल ने अकबर से कहा कि हार चोरी हो गया हैं, और यह चोरी महल में काम करने वालें ने ही की हैं । इसके बाद बीरबल ने महल में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को राजसभा में शीघ्र आने का आदेश करवाया ।

जादुई गधा – Akbar Birbal Moral Stories in Hindi

कुछ देर बाद राजसभा में अकबर और उनकी बेगम सहित सारे महल के कर्मचारी आ गए, लेकिन बीरबल वहां मौजूद नहीं थे । थोड़ी देर के बाद बीरबल एक गधे को लेकर राजसभा में आ गए । गधे को राजसभा में देखकर सब लोग हैरान हो गए । अकबर ने बीरबल से गधे को राजसभा में लाने का कारण पूछा । बीरबल ने बताया, “जहांपना ये मामूली गधा नहीं हैं बल्कि जादुई गधा हैं! यह आज हमें चोर का नाम बताएगा । ” यह सुनकर अकबर को थोड़ा आश्चर्य हुआ ।

इसके बाद बीरबल उस गधे को लेकर पास ही के कमरे में चले गए और उसे वही बांधकर आ गए । और सभी कर्मचारियों से कहा कि आप सभी को एक एक करके कमरे में जाना होगा और उस जादुई गधे की पूंछ पकड़कर ज़ोर से चिल्लाकर यह कहना होगा कि, “बादशाह अकबर! मैंने चोरी नहीं की हैं ” । साथ ही बीरबल ने कहा की तुम्हारी आवाज राजसभा तक आनी चाहिए । सबका नंबर आ जाने बाद यह जादुई गधा मुझे नाम बताएगा कि चोरी किसने की हैं । इसके बाद सभी कर्मचारी एक के बाद एक कमरे में जाते हैं और गधे की पूंछ पकड़कर ज़ोर से चिल्लाकर कहते हैं, “जहाँपना! मैंने चोरी नहीं की” ।

जब सभी कर्मचारिओं का नंबर आ जाता हैं उसके बाद बीरबल कमरे में जाता हैं और कुछ ही देर के बाद वापस आकर सभी कर्मचारियों के हाथ सूंघने लगता हैं । कुछ ही देर में बीरबल एक कर्मचारी का हाथ पकड़कर कहता हैं, “इसी ने चोरी की हैं!”

अकबर ने यह देखकर बीरबल से पूछा, “क्या उस जादुई गधे ने बता दिया कि इसी ने चोरी की हैं?” बीरबल मुस्कुराया और अकबर से बोला, “जहाँपना! वो कोई जादुई गधा नहीं हैं, वो बस बाकि गधों की तरह साधारण गधा हैं । चोर को पकड़ने के लिए मैंने ऐसा कहा था ।”

अकबर से पूछा, “तो तुम कैसे कह सकते हो कि इसी कर्मचारी ने ही चोरी की हैं ?”
बीरबल ने कहा, “जहाँपना! मैंने गधे की पूंछ पर इत्र छिड़क दिया था । सभी कर्मचारियों ने गधे की पूंछ को पकड़ा और ज़ोर से चिल्लाये थे । पूंछ को पकड़ने की वजह से सबके हाथसे इत्र की खुशबु आ रही हैं लेकिन सिर्फ़ इसी कर्मचारी के हाथ से खुशबु नहीं आ रही क्योंकि इसने गधे की पूंछ को पकड़ा ही नहीं “

इसके बाद उस कर्मचारी से सख्ती से पूछने पर उसने हार की चोरी करना कबूल कर लिया और हार को अकबर को सौंप दिया । अकबर और उनकी बेगम सहित सभी दरबारियों ने बीरबल की बुद्धिमानी की सरहना की और उन्हें इनाम भी दिया गया।

 

कहानी से शिक्षा :-

  1. कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए ।
  2. बुरे काम को कितना भी छुपाया जाये वो कभी न कभी बाहर आ ही जाता हैं ।

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