gautam buddha inspirational story in hindi, बुद्ध का मौन
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यह आस्तिकता और नास्तिकता की कहानी है, जिसमें कहानी ( बुद्ध का मौन ) में बुद्ध ने अपने मौन द्वारा ज्ञान देने की कोशिश की है। जिसमें बुद्ध ने मनुष्य को किसी भी विचारधारा पर ना रुकने की सलाह दी है,क्योंकि जहां मनुष्य रुक जाता है वहां पर उसका बंधन मौजूद होता है । बुद्ध ने इसी बंधन को त्यागने की बात कही है, और वह कहते हैं, कि अपनी सभी मान्यताओं से परे सत्य की खोज करनी चाहिए और इसके लिए कहीं पर भी रुकना नहीं चाहिए । मनुष्य को बहते पानी की तरह होना चाहिए। उसकी यात्रा अनंत होनी चाहिए जब तक की उस शून्य या मौन का आभास ना हो जाए,तो आइए बुध के मौन की कहानी शुरू करते है।

एक बार की बात है तीन व्यक्ति थे। दो व्यक्तियों ने अपनी -अपनी समझ के अनुसार अपनी नास्तिकता और आस्तिकता की विचारधारा अपना रखी थी। एक-एक करके उन दोनों ने अपने विचारों के तर्क देना शुरू किए।

एक ने कहा – ईश्वर नाम की कोई चीज इस संसार में नही है, केवल मनुष्य ही अपने प्रयासों द्वारा अपनी किस्मत का खुद विधाता होता है। ईश्वर पर विश्वास वो लोग करते है, जो कमजोर और कायर होते है, अपनी असफलताओं का सारा बोझ वो ईश्वर नामक एक काल्पनिक नाम पर मढ़ कर, ख़ुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास करते है। मैं एक नास्तिक हूँ, और ईश्वर के अस्तित्वमान होने की सारी विचारधारा को ठुकरता हूँ।
दूसरे ने कहा- ये पूरा संसार ईश्वर ने ही बनाया है। ईश्वर कण-कण में है। उसकी इच्छा के बिना संसार में कोई कार्य सफल नही हो सकता। वह सर्वशक्तिमान ब्रह्म है, उनसे ही उत्पत्ति और विनाश है। मैं एक आस्तिक हूंँ, और ईश्वर के होने की विचारधारा में विश्वास करता हूं।
किंतु ……

तीसरे ने कुछ नही कहा- क्योंकि उसकी अपनी कोई विचारधारा नही थी। सब ने मिलकर फैसला किया कि हमें बुद्ध के पास जाना चाहिए, वो ही हमें बता सकते है, कि हम तीनों के लिए कौन-सा उचित रास्ता है।
तीनों एक-एक करके बुद्ध के पास पहुँच गए और कहने लगे बुद्ध आप इतने बड़े ज्ञानी हो ,कृपया करके हमारी समस्याओं का समाधान करें ।

बुद्ध ने नास्तिकता पर विश्वास करने व्यक्ति को कहा- ईश्वर है और आस्तिकता पर विश्वास करने वाले व्यक्ति को कहा -ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है। दोनों बुद्ध की यह बात सुनकर अपने-अपने रास्ते अपनी खोज पर निकल गए । अब तीसरा व्यक्ति बुद्ध से पूछने लगा, बुद्ध कृपया करके मुझे बताइए कि मेरे लिए उचित मार्ग क्या है। बुद्ध ने कोई जवाब नहीं दिया वह मौन हो गए ,कुछ देर वो रुका किंतु उत्तर नही मिला तो, वह तीसरा व्यक्ति भी चला गया।

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बुद्ध के शिष्य आनंद ने उनसे पूछा- आपने उस तीसरे व्यक्ति का संशय क्यूँ दूर नही किया।
बुद्ध ने कहा तीनों अपनी-अपनी खोज में निकले थे। आस्तिकता को मानने वाला व्यक्ति आस्तिकता के बंधन में बंध गया था।
नास्तिकता को मानने वाला नास्तिकता में बंध गया था । उनकी खोज कभी रुके ना, इसलिए मैंने उनके मन के बंधन को तोड़ने के लिए उनके विचारों से विपरीत सलाह दी। किंतु तीसरे व्यक्ति की अभी कोई खोज शुरू ही नही हुई, इसलिए मैं उसे कोई जवाब देकर उसे किसी भ्रम में नही डालना चाहता था ।

शायद बुद्ध का मौन ही उसका जवाब था वह तीसरे व्यक्ति को कहना चाहते थे की नास्तिकता-आस्तिकता की विचारधारा से दूर मौन से ही उसकी शुरूआत संभव है।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी Inspirational story “बुद्ध का मौन” पसंद आयी होगी ।

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