हर इंसान झूठ बोलता हैं! | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi No 6
Chand Kumar 1 year agoAkbar Birbal Moral Stories in Hindi : एक समय की बात हैं बादशाह अकबर को उपहार में एक गुलदस्ता मिला जो की पास ही के राज्य से आया था । वह गुलदस्ता बेहद अनोखा और चमकदार था इसलिए अकबर उस गुलदस्ते को हमेशा अपने पलंग के नजदीक रखवाते थे । वह गुलदस्ता उन्हें काफी पसंद था ।
एक दिन जब बादशाह अकबर शिकार खेलने के लिए महल से बाहर गए तो उनके कक्ष की सफ़ाई करते समय एक सफाई वाले से वह गुलदस्ता टूट गया । यह देखकर वह काफी घबरा गया । सफाई वाले ने गुलदस्ता जोड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन सारी कोशिश बेकार हुई । निराश होकर उसने टूटे हुवे गुलदस्ते को कचरे में फेंक दिया और भगवान से प्रार्थना करने लगा की बादशाह को इसके बारे में पता न चले ।
इसके बाद जब बादशाह अकबर शिकार से महल लौटे तो उन्होंने पाया की उनका मनपसंद गुलदस्ता अपनी जगह पर मौजूद नहीं हैं तो उन्होंने सफ़ाई वाले को बुलवाया । अकबर ने कड़क आवाज़ में सफ़ाई वाले से पूछा, “मेरा गुलदस्ता कहा हैं ?”
सफाई वाला बहुत डरा हुआ था और उसे कुछ भी समझ नहीं आया की अब वो इसका क्या जवाब दें तो घबराहट में उसने बादशाह अकबर से कहा, “गुलदस्ता गंदा हो गया था तो मैं उसे घर ले गया, उसको अच्छे से साफ़ करने के लिए । “
सुनते ही बादशाह अकबर ने कहा, “अभी तुरंत जाकर गुलदस्ता वापस लेकर आओ !”
ये सुनते ही सफाई वाले की धड़कने और बढ़ गयी और वो समझ गया कि अब सच बोलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं । सफाई वाले ने बादशाह अकबर को गुलदस्ते की टूटने की बात बता दी ।
फांसी की सज़ा – Moral Stories in Hindi
अकबर को गुलदस्ता टूटने से ज्यादा सफाई वाले के झूठ बोलने पर गुस्सा आ गया । अकबर ने कहा, ” जब गुलदस्ता टूट ही गया था तो इसमें तुम्हें झुठ बोलने की क्या जरूरत थी । मुझे झूठ बोलने वालों से सख्त नफ़रत हैं ।” यह कहते हुवे बादशाह अकबर ने गुस्से में आकर सफाई वाले को फांसी की सज़ा सुना दी । सफाई वाले ने मिन्नतें की, कि घबराहट की वजह से झूठ मुँह से निकल गया था लेकिन बादशाह ने फांसी की सज़ा बरकरार रखी । सिपाहियों ने सफाई वाले को जेल में डाल दिया ताकि 2 दिन बाद उसे फांसी दी जा सके ।
बीरबल को राज्य से निकाल दिया – Stories in Hindi
जब इस घटना का पता बीरबल को हुआ तो उन्होंने राजसभा में इसका जिक्र किया और कहा, “हर इंसान जीवन में कभी न कभी झूठ बोलता ही हैं। अगर उस झूठ से किसी का नुकसान नहीं होता हैं तो वो झूठ गलत नहीं हैं ।” बीरबल के ऐसे विचार सुनकर अकबर को और भी गुस्सा आ गया और उन्होंने सभी मंत्रीगण और दरबारियों से पूछा, “क्या आपने जीवन में कभी झूठ बोला हैं ?”
सभी मंत्रीगण और दरबारियों ने कहा, “नहीं, हमने कभी जीवन में झूठ नहीं बोला!”
बीरबल ने झूठ बोलने वालों का पक्ष रखा था और वें झूठ बोलने वालों को सही बता रहे थे इस वजह से अकबर ने उन्हें राज्य से निकाल दिया ।
बीरबल की चतुराई – Akbar Birbal Moral Stories
इस बार बीरबल ने थान ही लिया कि वें बादशाह अकबर को बताकर ही रहेंगे कि हर इंसान जीवन में कभी न कभी झूठ बोलता ही हैं । इसके बाद वें सीधे सुनार के पास गए और गेहूं के दाने के समान एक सोने का दाना बनवाया । यह दाना दिखने में एक दम गेहूं जैसा था लेकिन था सोने का । सोने का दाना लेकर बीरबल अकबर की राजसभा में पहुंच गया । बीरबल को देखकर बादशाह अकबर कुछ कहते उससे पहले ही बीरबल बोल पड़े, “बादशाह अकबर! आज मैं आपको एक चमत्कार दिखाने वाला हूँ!”
चमत्कार का नाम सुनते ही अकबर की जिज्ञासा बढ़ गयी और उन्होंने बीरबल को बोलने दिया | बीरबल ने आगे कहा, “दरअसल राज्य के बाहर जाते ही मुझे एक महात्मा मिले । उन्होंने मुझे यह चमत्कारी गेहूं का दाना दिया और कहा की इसे जिस भी खेत में लगाओगे वहां सोने की फ़सल उगेगी ।”
आगे बीरबल ने कहा, “इसलिए मैं चाहता हूँ जहाँपना, कि आप मुझे थोड़ी सी ज़मीन दें ताकि इसे वहां लगा सके” यह सुनकर अकबर बहुत खुश हुवे और वे खुद भी सोने की फसल देखने के उत्सुक हो उठे । अकबर ने बीरबल को राज्य के उत्तर में खेत दे दिया | इसके बाद सारा दरबार अकबर सहित बीरबल के पीछे पीछे खेत की ओर चल पड़ा ।
खेत में पहुंचकर बीरबल ने ऊँची आवाज़ में कहा, “आज यहां ऐसा चमत्कार होने वाला हैं जो ना कभी किसी ने सुना हैं और ना कभी देखा होगा”
आगे बीरबल ने अकबर से कहा, “इस चमत्कारी गेहूं के दाने से फ़सल तभी उगेगी जब इस दाने को सिर्फ़ वहीं इंसान बोयें जिसने जीवन में कभी झूठ न बोला हो” । बीरबल की ये बात सुनते ही सभी मंत्रीगण और दरबारी एक दूसरे की शक्ल देखने लगे । कुछ क्षण के बाद तो वहां सन्नाटा ही छा गया । बीरबल ने कहा कोई भी आगे आये और मुझसे ये दाना लेकर खेत में लगा दें । हजारों की भीड़ से एक इंसान भी आगे नहीं आया । ये देखकर अकबर को थोड़ी निराशा हुई ।
इसके बाद बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा, “बादशाह! अब आप ही ये चमत्कारी बीज़ खेत में लगा दीजिये । बस याद रहे फसल तभी उगेगी अगर आपने जीवन में कभी झूठ न बोला हों ।” अकबर को एहसास हुआ की बचपन में उन्होंने काफ़ी झूठ बोले थे तो उन्होंने भी उस दाने को नहीं लिया। इसके बाद वे समझ गए बीरबल सही था कि हर इंसान जीवन में कभी न कभी झूठ बोलता ही हैं लेकिन अगर उस झूठ से किसी का बड़ा नुकसान नहीं होता तो वो झूठ गलत नहीं हैं । इसके बाद अकबर ने उस सफाई वाले को जेल से रिहा कर दिया और उनकी फांसी की सज़ा भी माफ़ करदी साथ ही बीरबल को वापस महल में ले लिया ।
कहानी से सीख :-
- गुस्से में आकर कभी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए ।
- छोटे झूठ जिनसे किसी का नुकसान न हो माफ़ किये जा सकते हैं, इसके लिए भारी दण्ड देना सही नहीं होता ।
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