कर्मो का फल : गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी | Hindi Story with Moral
कर्मो का फल: किसी ने सच ही कहा है: “दूसरों के साथ किया हुआ छल बर्बादी के सारे रास्ते खोल देता है। अगर आप किसी के साथ गलत करते हैं, तो आपके साथ भी गलत होगा।”
“उस समय यह बात हमे समझ नहीं आती है, लेकिन देर से ही सही कर्मों की सजा जरूर मिलती है। आप इससे कभी बच नहीं सकते, जो आपने किया है उसका अंजाम आपको हर हाल में भोगना ही पड़ेगा।”
कर्मो का फल : गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी – Hindi Story
और यह कहावत कितना सही है यह हम इस कहानी के द्वारा समझेंगे॥ जब गौतम बुद्ध एक सभा कर रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, “हे बुद्ध, कर्मों का फल कैसे मिलता है? अगर बुरे कर्मों का फल मिलता है, तो अच्छे कर्म कैसे किए जाते हैं?”
गौतम बुद्ध ने कहा, “मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। तुम इसे ध्यान से सुनो”।
महात्मा बुद्ध अब अपनी कहानी की शुरुआत की। बहुत समय पहले की बात हैं। रामू और श्यामू नाम के दो भाई एक गांव में रहते थे। श्यामू अक्सर रामू को देख कर जलता था क्योंकि रामू स्वभाव से बहुत अच्छा था, उसके दिल में सबके लिए दया और आदर भाव था।
श्यामू का स्वभाव ऐसा था कि उसके दिल में दूसरों के लिए कोई दया नही था। वह हमेशा दूसरों का अनादर करता और नुकसान पहुंचाते रहता था।
धीरे-धीरे काफी वक्त गुजर गया, रामू श्यामू के मां-बाप इस दुनिया में नही रहे। रामू ने खूब अच्छे से उनका अंतिम संस्कार किया। वह गांव वालो को भोजन के लिए आमंत्रित किया और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर विदा किया। वह हर साल अपने माता-पिता की बरसी पर ब्राह्मणों को भोजन कराता और दान देता। यह सब चीजे श्यामू को पसंद नही आती थी, और वह रामू से जलते रहता था।
श्यामू का षड़यंत्र – Hindi Story
एक बार अपने माता-पिता की बरसी पर रामू ने अपने राज्य के राजा को आदर-सत्कार के साथ बुलाया और राजा के सामने ब्राह्मणों और पूरे गांव को खाना खिलाया, ब्राह्मणों को दान भी दिया ताकि उसके माता-पिता स्वर्ग में खुश रह सकें।
तभी राजा ने श्यामू से पूछा, “तुम्हारा भाई तुम्हारे माता-पिता के लिए इतना कुछ करता है, तुम ऐसा क्यों नहीं करते हो? क्या तुम्हें यह समझ नहीं आता कि तुम भी अपने माता-पिता के लिए कुछ कर सकते हो?”
श्यामू ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहाँ से चला गया। उसे गुस्सा आ रहा था क्योंकि राजा ने उसकी बेइज्जती की और वह रामू से अपने अपमान का बदला लेने का सोच रहा था।
अगले दिन ढोंग करना शूरू करता है, नगर के सामने जोर-जोर से चीखने लगता हैं। मेरे मां-बाप मेरे सपने में आए थे, वह स्वर्ग में खुश नही है, की कोई वहां जाकर उन्हें खाना बना कर खिलाएं वो तभी खुश रहेंगे।
उन्होंने मुझसे सपने में कहा था, रामू को मेरे पास भेज दो।
वह उनकी बहुत सेवा करता हैं, वह इसके साथ बहुत खुश रहेंगे।
राजा कहते हैं यह तो अच्छी बात है लेकिन इसके लिए तो रामू को मरना पड़ेगा।
रामू की बुद्धिमत्ता – Hindi Story
रामू को यह सब समझ आ गया था कि यह सब केवल उसे फसाने की चाल है, लेकिन वह फिर भी कहता है, “चलो, इस बहाने सेवा करता हूं।” और उसने मरने के लिए तैयारी करना शुरू कर दी।
वह राजा से कहता हैं- “महाराज, आप अगले दिन नदी किनारे एक नाव का बंदोबस्त कराए। मैं नाव से कूद कर नदी में अपनी जान दे दूंगा और फिर स्वर्ग में जाकर अपनी मां-बाप की सेवा करुंगा।”
राजा ने कहा, “ठीक है, अगले दिन इन सभी चीजों की व्यवस्था कर दिया जाएगा।” रामू नदी में कूद जाता है, और सारे गांववालों को पता चल जाता है कि रामू अब इस दुनिया में नहीं है। अब वह स्वर्ग की ओर चला गया है, माता-पिता की सेवा करने के लिए। श्यामू बहुत खुश था कि उसका इकलौता भाई दुनिया में नही रहा। जो भी जमीन हैं अब वह सब मेरा हैं, मैं ही इसका मालिक बनूंगा।
धीरे-धीरे काफी दिन गुजर चले, एक दिन अचानक से राजा के दरबार के बाहर रामू बैठा होता हैं और जोर-जोर से रो रहा होता हैं।
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राजा के सिपाही उसे दरबार में ले जाते है और पूछते हैं “यह चमत्कार कैसे हुआ? तुम जिंदा कैसे हो?”
तब रामू बताता है, “मैं स्वर्ग में गया था, मैने देखा मेरे मां-बाप अभी भी खुश नही है, वो मेरे पर गुस्सा हो रहे थे, और कह रहे थे तुम्हें तो खाना बनाने भी नहीं आता तुमसे अच्छा तो श्यामू हैं जो तुमसे अच्छा खाना बना लेता है। तुम जाओ और उसे भेज दो।”
राजा श्यामू को बुलाते हैं और सारी बातें बता देते हैं। और कहते हैं, “तुम्हारे भाई ने माता-पिता के लिए इतना त्याग किया है, अब तुम्हारी बारी है। क्या तुम उनके लिए ऐसा कुछ नहीं कर सकते?”
श्यामू को ना चाहते हुए भी ये सब करना ही पड़ता हैं, अगले दिन फिर से सारी तैयारी किया जाता हैं।
श्यामू घर आ कर सोचता है, “मैं वहां जाऊंगा ही नही अगले दिन शहर छोड़ कर कहीं चला जाऊंगा।”
फिर रामू ने राजा को सारा सच बताया। वास्तव में, वह जिंदा कैसे बचा? उसने पहले ही मछुवारे से बात कर ली थी जिससे उसकी जान बची और वह एक महीने तक नगर से दूर रहा था, फिर सही समय पर राज्य में लौट आया। वह यह सब केवल इसलिए किया क्योंकि वह श्यामू को एक सबक सिखाना चाहता था।
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इधर श्यामू शहर छोड़ कर जाने का योजना बना चुका था।
अपने योजना के अनुसार, वह रात के अंधेरे में ही घर छोड़ कर भाग जाता है।
वह घर छोड़ कर कुछ दूर गया ही था की तभी राजा के दो सैनिकों की नजर उस पर पड़ती हैं और उसे रोकने की प्रयत्न करते है।
श्यामू और सैनिकों के मध्य हाथापाई और लड़ाई शुरु हो जाती हैं। श्यामू गुस्से में आकर एक सैनिक के सिर पर पत्थर से मारता है, सिर पर चोट लगने से उसकी मौत हो जाती हैं।
श्यामू के बुरे कर्मों का बुरा फल – Hindi Story
यह सारी बातें जब राजा को पता चलती हैं, वह श्यामू को माफ करने वाले ही थे। अब वह और गुस्सा हो जाते है श्यामू पर और क्रोध में आकार मृत्युदंड सुना देते है।
अगली सुबह, उसे नाव से धक्का देकर मारने का आदेश जारी कर दिया जाता है, उसको उस आखरी समय पर अपनी गलती का एहसास होता है कि जिंदगी के अंतिम वक़्त में भी उसने लोगों का बुरा ही किया। उसे भी अपने जीवन के आखिरी पलों में गलती का एहसास होता है, पर वो कहावत तो सुनी होगी अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत और पछतावे के साथ उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
कर्मों का फल कब मिलता हैं – Hindi Story with Moral
कहानी खत्म होने पर गौतम बुद्ध उस व्यक्ति को समझाते हैं “कर्मो का फल” ऐसा ही होता हैं।
बुरे इंसान को आखिरी वक्त तक सही और गलत का पहचान नही होता। जिन्दगी ऐसे ही नही चलती, “जिन्दगी समझने की चीज है, जिसे हर व्यक्ति को समझनी चाहिए”
फिर महात्मा बुद्ध ने बोला, “अच्छे कर्म को बनाने से पहले हमे इस बात पर ध्यान देने की जरुरत है की आखिर अच्छे कर्म बनने का पहला पड़ाव क्या हैं?”
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मनुष्य के द्वारा किए जानें वाले सभी कर्म उसके विचारों से बनते हैं। हमारी सकारात्मक या नकारात्मक सोच विचारों को जन्म देती हैं, और वही विचार कर्म बनाते हैं।
इस तरह सोच सकारात्मक होने पर ही अच्छे कर्मों का निर्माण हो सकता हैं।
फिर उस व्यक्ति ने पूछा “पाप का फल कब मिलता है?”
तब महात्मा बुद्ध ने कहा, “पाप का फल किए गए कर्म पर निर्भर करता हैं।” अगर आप किसी के साथ गलत करते हैं, तो आपके साथ भी जरूर गलत होगा।” जब तुम दूसरों के लिए अच्छा करते हो तो बदले में तुम्हारे साथ भी अच्छा होता हैं।”
जब तुम किसी दूसरे का बुरा करते हो और तुम्हे लगता हैं, की तुम्हारे साथ बुरा नहीं होगा। यह भी हो सकता हैं उस वक्त तुम्हारे साथ कुछ बुरा ना भी हो लेकिन कभी न कभी इसका हरजाना तुम्हे भुगतना ही पड़ता हैं, इसलिए तुम्हें किसी के साथ बुरा करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि कर्मो का फल कभी न कभी मिलता जरुर हैं।
तो हम इस कहानी से क्या सीखते हैं??
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमारे कर्मों का फल हमेशा हमारे साथ रहता है। अच्छे कर्म हमें सुख और शांति देते हैं, जबकि बुरे कर्म हमें पछतावा और दुःख देते हैं।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी Inspirational Hindi Story “कर्मों का फल” पसंद आयी होगी ।
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