जीवन में सही फैसला लेना सीखें | Hindi Story | Motivational Story in Hindi 2024

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Hindi Story : आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी लेकर आये हैं जिसे पढ़कर आप जीवन में कभी भी ग़लत फैसला नहीं लेंगे । हमारा दावा हैं आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी और आप इस कहानी को अपने मित्रों को जरूर शेयर करेंगे ।

बहुत समय पहले की बात हैं एक छोटे से राज्य में एक बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। सभी जगहों पर उनके ज्ञान के बहुत ही चर्चे थे । हो भी क्यों ना, वह बहुत बड़े ज्ञानी थे उनके ज्ञान के चर्चे उस राज्य के निकट के सभी राज्यों में होता था । उनके पास लोग दूर-दूर से आते थे ताकि अपनी समस्यायों का समाधान प्राप्त कर सकें।

उस बौद्ध भिक्षु के पास कोई कैसी भी कठिन समस्या लेकर क्यों न आए वह समस्या का समाधान जरुर करते थे। जब भी कोई व्यक्ति अपनी समस्या लेकर उनके पास जाता वह उस समस्या को बड़े ही ध्यान से सुनते और उसी में लिन हो जाते जैसे उनकी वह ख़ुद की समस्या हो। समस्या में लीन होते और कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद करते और समस्या के बारे में अच्छे से सोच विचार करते और उसके बाद उसका सही समाधान निकालते।

ऐसे में कई लोग उनके बारे में यह सोचते थे की उनके पास कोई चमत्कारित शक्तियां हैं! हैं तो कोई कहता दिव्यदृष्टि हैं जिससे वह समाधान पूछते हैं और उसके बाद हमे बताते हैं।

Hindi Story : जीवन में सही फैसला लेना सीखें

एक बार एक व्यक्ति ने उनसे यह पूछ ही लिया क्या आपके पास कोई अदभुत शक्तियां हैं? या कोई दिव्यदृष्टि? जिससे आप हमारी किसी भी समस्या का समाधान देख पाते है या फिर पूछ कर बताते हैं?

उस व्यक्ति की बात सुनकर वह बौद्ध भिक्षु जोर-जोर से हंसने लगे। उसने उस व्यक्ति की बात का कोई जबाब नही दिया।

जिस राज्य में यह बौद्ध भिक्षु रहते थे उस राज्य में अजीब सी एक घटना घटी।

क्या हुआ अजीब घटना – Hindi Story

जिस राज्य में बौद्ध भिक्षु निवास करते थे उसी गांव में एक बूढी औरत रहा करती थी जो अपने पूरे घर में अकेले रहती थीं उसका इस दुनिया में कोई भी न था। उसके पास छोटा सा खेत था जिसमें वह काम करके अपने भोजन की व्यवस्था कर लिया करती थी ।

उस राज्य से होकर चार मित्र अपने घर की ओर जा रहे थे। वे लोग अलग अलग गांव के रहने वाले थे लेकिन एक साथ काम करने की वजह से मित्र बन गए थे । वे लोग 1 साल से दूसरे गांव में काम करके पैसें इक्ट्ठा करके अब अपने घर जा रहे थे।

यह बात बहुत पुराने जमाने की हैं जब कार, बसें या रिक्शा नही हुआ करते थे । जब लोग पैदल ही यात्रा करते थे इसलिए वे चारों मित्र पैदल ही यात्रा कर रहे थे। 

वे चारों मित्र अपने अपने धन को इकठ्ठा कर अपने गांव की ओर जा रहे थे उन चारों ने अपना-अपना धन अलग अलग एक पोटली में रखा था । उस पोटली में उन सबकी सारी कमाई थी।

तभी उन चारों मित्र में से एक मित्र कहता हैं- “मित्रों इस तरह हम अपना धन अलग अलग रखेंगे तो चोरी हो सकता हैं क्यो न हम अपना धन एक ही पोटली में रखें जिससे हम सभी ध्यान दे सकेंगे और हमारा धन सुरक्षित रहेगा और जब हम अपने गांव नज़दीक होकर अलग होंगे तो वहां पर हम अपना अपना हिस्सा अलग-अलग कर लेंगे।”

उस तीनों मित्र ने उस युवक की बात मान ली और वे सभी मिलकर अपना धन एक ही पोटली में रख देते है और वे सभी मिलकर अपने गांव की ओर आगे बढ़ते हैं। 

चलते-चलते काफी समय बीत चुका था और अब रात होने वाली थी। तभी आगे बढ़ते हुए उन्हें एक घर दिखाई दिया, जहां वही अकेली बूढ़ी औरत रह रही थी। रात्रि का समय भी हो चुका था और इन चारों मित्रों को ठहरने के लिए कोई जगह चाहिए थी। इस पर वे चारों मिलकर योजना बनाईं कि वे इसी घर में रात बिताएंगे।

उन चारों लोगों ने उस घर की ओर बढ़ते हुए दरवाजा खटखटाया। तब वह बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोला, और उन मित्रों में से एक ने हाथ जोड़कर कहा, “माता जी, हम अपने गांव की ओर जा रहे हैं लेकिन रात हो गई है और हम इतनी रात में सफर नहीं कर सकते। हमारी आपसे विनती है कि आप हमें एक रात यहां ठहरने की अनुमति दें। सुबह होते ही हम चलेंगे।”

बहुत सोच-विचार करने के बाद बूढ़ी औरत कहती है, “तुम सभी आज रात के लिए यहां पर रुक सकते हो।” बूढ़ी औरत ने सबके लिए खाना बनाया और उन्हें पेट भरकर खिला दिया ।

इसके बाद, उन मित्रों ने धन की पोटली उस बूढ़ी औरत के हाथ में थमा दी और कहा, “माता जी, इस पोटली में हमारी साल भर की कमाई है। हमने अब तक का सब धन इसमें रखा है और अब हम इसे आपको सौंप रहे हैं, क्योंकि यह चारों से अधिक आपके पास सुरक्षित रहेगा।”

हम बस इतना चाहते है कि यदि हम चारों में से कोई एक व्यक्ति लेने आए तो आप इस पोटली को मत देना, जब तक हम चारों एक साथ लेने न आए।

तब वह बूढ़ी औरत कहती हैं- ठीक है बेटा जब तुम चारों एक साथ मेरे पास इस पोटली को लेने आओगे तभी इस पोटली को मैं दूंगी।

वह धन की पोटली उस बूढ़ी औरत को दे कर चारों मित्र बेफिक्र हो जाते है की अब उनका धन सुरक्षित है और वे लोग खाना खा गहरी नींद में सो जाते है।

अगली सुबह जब वह चारों उठते हैं तो सभी लोग अपनी आगे की यात्रा के लिए तैयारियां शुरू करते है। उन चारों दोस्तों में से एक दोस्त थोड़ा सा बदमाश था वह अपने उन मित्रों से कहता है भाइयों इस बूढ़ी औरत ने हमारी रात भर खातिरदारी की हैं हमे भोजन कराया है सोने के लिए अच्छी बिस्तर दिया। रात को सर ढकने के लिए छत दी है। और हमने अब तक उसके लिए कुछ नहीं किया। वह बूढ़ी औरत अकेले ही खेतों में काम कर रही हैं। क्या हम सभी यहां से जाने से पहले बूढ़ी औरत की मदद नही कर सकते।

उस बदमास दोस्त ने मन ही मन यह योजना बना ली थीं कि वह किसी तरह से भी उस बुढ़िया से पोटली हासिल करके ही रहेगा बाकी के तीनों मित्र उसकी बातों में आ जाते है और वे सभी मिलकर उस बुढ़िया की मदद करने अर्थात खेतों में काम करने के लिए चल पड़ते हैं। 

वे सभी मिलकर खेतों का काम कर ही रहे थे। काफ़ी देर काम करने के बाद वह बदमाश दोस्त अपने बाकि तीनो मित्रों से कहता हैं मित्र मुझे जोरों की प्यास लग गई है। मैं जरा उस बूढ़ी औरत से पानी मांग कर लाता हूं। वह बाकि मित्र भी अब काफी थक चुके थे उन्हें भी जोरों की प्यास लगी थीं इसलिए वह तीनों मित्र उसे वहां से जाने के लिए कह देते हैं साथ में पानी लाने को कहते हैं । जैसे ही वह बदमाश दोस्त उस बूढ़ी औरत के पास पहुंचता है वह उस बूढ़ी औरत से कहता हैं माता जी अब हम यहां से जा रहे हैं कृपया करके हमारे धन की पोटली वापस दे दे। 

इस पर वह औरत कहती हैं नही! नही! जब तक तुम चारों एक साथ ना हो तब तक मैं वह पोटली किसी को नही दे सकती तुम्ही ने कहा था की जब तक हम चारों एक साथ न हो तब तक यह पोटली किसी को नही देनी हैं।

तभी वह बदमाश उन तीनों की तरफ इशारा करते हुए कहता हैं, “ठीक हैं तो बाकि के तीनों मित्रों से भी पूछ लेते हैं ।” बदमाश मित्र का इशारा जब उन तीनों मित्रों ने देखा तो उन तीनों से सोचा की हमारा मित्र हमारे लिए पानी लाना चाहता है इसलिए वह हमसे आज्ञा मांग रहा हैं तभी उन तीनों मित्रों ने इशारे में कहां ठीक है ले आओ यह देख उस बुढ़िया को यह लगने लगा की अब चारों यहां से जा रहे हैं और यह अपनी पोटली मांग रहे हैं इसलिए बुढ़िया ने पोटली लाकर उस बदमाश दोस्त के हाथ में रख दी।

उस बदमाश दोस्त ने पोटली को हाथमें रखा और पीछे के रास्ते से वहां से चला गया और बाकि के तीन मित्र कामों में व्यस्त रह गए । कुछ देर बाद जब वह खेतो में काम कर के बुढ़िया के पास लौटते हैं और बुढ़िया से कहते हैं माता जी हमारा मित्र अभी पानी लेने के लिए आया था कहां गया।

इस पर वह बुढ़िया कहती हैं क्या! वह पानी पीने आया था? पर वह तो कह रहा था की हम चारों जा रहे हैं कृपया करके हमारी धन की पोटली हमे थमा दे।

तीनों बड़े हैरान होकर उस उस बुढ़िया से कहते हैं माता जी भला हमने कब कहा कि हम पोटली मांगे हैं? हमे तो प्यास लगी थीं हमने पानी के लिए इशारा किया था ।

तभी बूढ़ी औरत उन तीनों से कहती हैं परंतु अब तो वह पोटली लेकर जा चुका हैं तभी वह तीनों मित्र माथा पकड़कर रोने लगते है और कहते हैं माता जी उसमे हमारा सारा कमाया हुआ धन था वह अकेले लेकर भाग चुका है हमने तो आपकों कहा था की जब तक हम चारों एक साथ ना आए तब तक आपको वह पोटली किसी को नही देनी है फिर आपने ऐसा क्यों किया? 

इसमें तो सरासर आप ही की गलती हैं हमने आपकों उस पोटली की हिफाजत के लिए दिया था और आपने उसे एक ऐसे हाथ में दिया जिसने हमारा सारा धन लूट लिया हम बर्दास्त नही करेंगे हम राजा के पास जायेंगे और राजा से आपकी शिकायत करेंगे न्याय की मांग करेंगे। अब तो इस बात का फैसला राजा ही करेंगे।

तीनो नौजवान क्रोधित होकर राजा के दरबार में पहुंच जाते है और अपनी सारी समस्या उस राजा को बता देते हैं। जब वह राजा उन तीनों नवजवानों की बातें ध्यानपूर्वक सुनता हैं तो वह तुरन्त ही बुढ़िया को राज्य दरबार में पेश होने की आदेश देता है।

राजा का इन्साफ – Motivational Hindi Story

राजा के आदेश पर राजा के सैनिक तुरन्त ही उस बुढ़िया को राज्य दरबार में पेश करते हैं और राजा भरी दरबार में उस बुढ़िया को दोषी करार कर देते है और कहते हैं कि तुम्हें वह पोटली उस अकेले व्यक्ति को नही देनी चाहिए थी।

जब उन्होंने तुमसे कहा था की जब तक वह चारों एक साथ उस पोटली को लेने ना आए तब तक तुम्हें वह धन किसी को नही देना चाहिए था। इसमें तुम्हारी गलती है और अब तुम्हें हरजाना भरना पड़ेगा। 

तुम्हें इनका धन लौटना होंगा । राजा का यह आदेश सुनकर बूढ़ी औरत फूट-फूट कर रोने लगती हैं और राजा ने मदद की गुहार लगाती है।

और कहती हैं- हे राजन मैं तो एक बूढ़ी औरत हूं और मेरे पास इतना धन नही है और न ही मेरे घर में कोई ऐसा नही है जो धन कमाता हो मेरे पास इतना धन नही है की मैं लौटा सकूं मैं तो अकेली हूं बेसहारा हूं कृपया करके मुझ पर रहम करें लेकिन राजा उस औरत की एक नही सुनता और वह औरत रोते हुए अपने घर की ओर जा रही थी। 

आखिर मैं इतना धन कहां से लाऊं की कैसे मैं उन लोगों का यह धन कैसे लौटाऊंगी मेरे पास इतना धन नही है मैं क्या करूं कैसे करूं?

कहां से लाऊं इतना धन? अगर मैने उनका धन नही लौटाया तो राजा मुझे मार डालेगा।

इसमें मेरी भी गलती है जब उन चारों ने मिलकर कहां था जब हम चारों एक साथ ना हो तो तब तक वह पोटली किसी को नही थामनी हैं फिर भी मैंने वह पोटली केवल एक व्यक्ती को थमा दी गलती तो इसमें मेरी ही हैं यह सारी बातें सोचते-सोचते अपने घर की ओर जा रही थी।

तभी उस बुढ़िया औरत को वही बौद्ध भिक्षु मिले जो बड़ी ही आसनी से किसी भी समस्या का समाधान करते थे।

तब बौद्ध भिक्षु बुढ़िया औरत से पूछते हैं- क्या बात है बेटी? क्यों परेशान हो? और रो रही हो इस बात पर वह बुढ़िया संत को सारी बाते बता देती हैं।

उसके बाद कहती हैं, “हे महाराज इसमें गलती तो मेरी ही हैं उन्होंने ने तो कहां ही था की जब तक हम चारों एक साथ न आए तब तक पोटली किसी एक को मत देना। लेकिन मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थीं जो मैने पुरा धन किसी एक व्यक्ति को दे दिया और वह उनका सारा धन लेकर चला गया लेकिन अब मुझे समझ नहीं आ रहा है की मैं इतना धन कहां से लाऊं? और कैसे जुटाऊं?”

राजा ने अब तो आदेश भी दे दिया हैं की-  मुझे धन लौटना पड़ेगा अब मैं इसी संकट में हूं इतना सारा धन कहां से लाऊं।

वह भिक्षु उस बुढ़ि औरत से कहते हैं तुम रो मत। मैं कोई न कोई रास्ता निकालता हूँ । इतना कह कर वह संत वही पर बैठ जाते है और कुछ देर के लिए आंखे बंद करके सोचते हैं और मौन रह कर समस्या का सामधान निकालते हैं।

बहुत सोचने के बाद वे आंखें खोलते है और कहते हैं, “बेटी राजा का फैसला गलत हैं! तुमने जो किया उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है।” यह सुनकर बुढ़िया एक दम चुप सी हो गई और सोचने लगी आखिर राजा का फैसला कैसे गलत हो सकता हैं? 

वह तो सबका न्याय करते हैं तो मेरे साथ गलत कैसे कर सकते है? उस संत और बुढ़िया की बात आसपास खड़े सभी लोग सुन रहे थे। वे लोग भी अचरज में थे की राजा का फैसला कैसे गलत हो सकता हैं?

उनकी बातें सुन रहे वहां खड़े लोग बोले, “राजा कैसे गलत हो सकते है? इस बुढ़िया ने ही गलती की है चारों का धन एक को ही दे दिया। ऐसे में इस बुढ़िया को उनका धन तो लौटना ही चाहिए।”

तभी वह संत उस बूढ़ी औरत से कहते हैं, “जाओ और राज दरबार में कह दो आपका फैसला गलत हैं!”

पहले तो बुढ़िया इतनी हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही थी की वह भरे राज्य दरबार में जाकर यह कह सकें की आपका फैसला गलत हैं। 

संत के फिर कहने पर वह राज्य दरबार लौटी और डरते डरते बोली, “हे राजन! आपका फैसला गलत हैं।”

इतना कह कर वह राजा को सारी बात सच सच बता दी उस बुढ़िया की बात सुनकर राजा बहुत क्रोधित हुआ।

और उस बुढ़िया से कहां, “कौन हैं वह संत? जिसने मेरे फैसले को गलत बताया हैं! क्या उन्हे लगता मैने सही निर्णय नही लिया है? मैं प्रतिदिन कई निर्णय लेता हूं लेकिन आज तक किसी ने नही कहां की मेरा फैसला गलत हैं।”

आगे राजा ने कहा, ” ठीक हैं फिर! उस संत को बुलाओ और उन्हें न्याय करने देते हैं । अगर उस संत ने सही फैसला नही सुनाया तो मैं उन्हें फांसी की साजा दे दूंगा। राजा ने तुरंत ही अपने सैनिकों को आदेश दिया जाओ और उस संत को लेकर आओ।

यह बात सारे नगर में फैल गई है सभी यह जानने को उत्सुक थे की आखिर वह संत कौन हैं जिसने राजा को कहा हैं कि उनका फैसला ग़लत हैं और अब वे खुद इसका न्याय करने आ रहे हैं।

वे सैनिक कुछ देर बाद उस संत को लेकर राज्य दरबार पहुचे। राज दरबार में सभी लोग उपस्थित थे। उन संत को देखकर राजा कहता हैं, “महाराज! आपको ऐसा क्यों लगाता है मैंने जो फैसला सुनाया है वह गलत है? इस बुढ़िया ने यह वादा किया था की वह चारों लोगों की उपस्थिति में ही धन की पोटली देगी लेकिन इसने सिर्फ़ एक ही व्यक्ति को धन की पोटली थमा दी । इसने अपना वादा तोड़ा हैं। इसे एक व्यक्ति को धन नहीं देना चाहिए था । अब इसे बाकियों का धन लौटना पड़ेगा । ” 

वह उनका सारा धन लेकर भाग गया तो इसमें इसकी गलती हुई ना। अब इस बूढ़ी औरत को ही बाकियों का धन लौटना पड़ेगा ! तो मेरा फैसला ग़लत कैसे हुआ ?”

इसके बाद बौद्ध भिक्षु बड़ी विनम्रता से कहते हैं, “हे राजन यह आपका फैसला था लेकिन मैं आपसे कुछ कहना चाहता हु।”

इस पर राजा कहता हैं, “ठीक है कहिए, आप क्या कहना चाहते है?” 

तब वह साधु बड़ी विनम्रता से कहता हैं, “राजन! जैसा की वादा किया गया था की पोटली इन चारों मित्रों की उपस्तिथि में ही दी जाएगी । और अभी ये यहां केवल तीन ही मौजूद हैं! चौथा कहां हैं? इनसे कहिए ये तीनों अपने चौथे मित्र को वापस लाएं तभी इनका धन वापस किया जाएगा। वादा भी वैसा ही किया गया था जब तक चारों एक साथ ना हो तब तक धन वापस नही करना हैं। अगर यह बूढ़ी औरत धन लौटा देती हैं तो अपना वादा तोड़ देंगी यह भी तो सही नही है। यदि आप चाहते हैं इनका धन वापस लौटाया जाए तो इनसे कहिए पहले जाएं और अपने मित्र को वापस लाए।”

उस राज्य दरबार में बैठ सभी लोग इस फैसले को सुनकर बहुत ही खुश हुए और संत की हाँ में हाँ मिलाने लगे। सभी उस संत की समझदारी की तारीफ भी की।

राजा तुंरत ही उस संत के सामने सर झुका लेता है और हाथ जोड़कर कहता हैं, “हे महाराज! आपका यह फैसला इतना सही कैसे हो सकता हैं आखिर यह बात मेरे दिमाग में आया क्यों नहीं।”

मैने इस बात को लेकर इस तरह सोचा क्यों नहीं तभी वह साधु उस राजा से कहते हैं हे राजन आपके पास और भी कई काम होते हैं आप दिन भर व्यस्त रहते है और आपकों जल्दीबाजी में फैसले लेने पड़ते है।

आपने इस मामले को सुना समझा लेकिन इसे देखने में आप गलती कर गए इसे आपने ऊपरी तौर पर देखा आपने इसकी गहराई तक जाने का प्रयास तक नहीं किया यदि आपने इस मामले को गहराई को देखा होता समझा होता तो आप भी इस नतीजे पर आते जब तक हम जब तक किसी मामले की गहराई तक नहीं जाते तब तक हम उसका सही समाधान नही निकाल सकते।

हम में अधिकांश लोग तो अपने फैसले केवल जल्दीबाजी में लेना चाहते है भले ही वह मामला कितना भी गंभीर क्यों न हों हमे तो बस अपना हक चहिए हमारा नाम होना चाहिए।

भले ही वह फैसला हमारे लिए नुकसानदायक क्यों न हों लेकिन हमे तो उससे मामले की गहराई तक जाने के लिए सोचते तक तभी वह राजा उस संत से कहता हैं हे 

महाराज क्या आपके पास कोई दिव्य शक्तियां हैं क्या आपके पास कोई ऐसी चमत्कारी शक्तियां हैं। जिससे आप सवाल करते है और वह आपको उसका समाधान बताती हैं जिसके कारण आप सही फैसला ले पाते हैं।

इस बात पर मुस्कुराते हुए कहते हैं हे राजन यह सवाल हमसे अब तक कई लोगो ने पूछा हैं और हमने किसी को आज तक उत्तर नही दिया है लेकिन आप हमारे राज्य के राजा हैं इसलिए मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर देता हूं।

मेरे पास कोई भी ऐसी दिव्य या चमत्कारी शक्तियां नही है मैं हर बात को केवल गहराई तक सोचता हूं और विचार करता हूं और जब मै विचार करता हूं तब मेरे सामने कई सारे समाधान आते हैं। फिर मैं उन समाधानों पर कई बार विचार करता हूं तब मैं दूसरो को समधान देता हूं क्योंकि किसी एक इंसान का लिया हुआ गलत फैसला किसी इंसान का जीवन बर्बाद कर सकता हैं। एक लिया गया फैसला सही हुआ तो जीवन अच्छा हो सकता हैं और एक गलत फैसला जीवन को नरक बना सकता है। इसलिए फैसले छोटे हो या बड़े हमे मौन रह कर समझदारी से लेनी चाहिए। अगर आप मौन रह कर किसी फैसला पर विचार करते हैं तो एक सही समाधान निकल कर सामने आता है।

Moral: इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है कि सही फैसला लेने की क्षमता हमारे जीवन में सफलता हासिल करने के लिए जरुरी हैं।

हम सभी के जिंदगी में कई बार मुश्किल से मुश्किल घड़ी आती हैं तो कभी हमे बड़े फैसले लेने होते हैं उस समय हमे पता नहीं होता हैं की यह फैसला हमारे जीवन पर कैसा प्रभाव डालेगा। हमारे जीवन में खुशियां लायेगा या मुसीबत। कई बार तो ऐसा भी होता हैं की हम समझ ही नही पाते है की क्या निर्णय ले जो उचित होंगा लेकिन एक सही फैसला या निर्णय हमारी जिंदगी सुखमय बना सकती है और एक गलत फैसला हमारे जीवन को नरक बना सकती हैं ऐसे में सही फैसला लेने की क्षमता हमारे जीवन में सफलता हासिल करने के लिए जरुरी हैं।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी “जीवन में सही फैसला लेना सीखें – Hindi Story” पसंद आयी होगी ।

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