विक्रम-बेताल की कहानी 1: पापी कौन है? | Moral stories in hindi

विक्रम-बेताल की कहानी 1: पापी कौन है
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विक्रम-बेताल की पहली कहानी: पापी कौन है? : “विक्रम-बेताल की कहानियों के संग्रह” के पिछले भाग में आपने पढ़ा की कितने मुश्किलों से राजा ने बेताल को साथ चलने के लिए राजी किया। बेताल ने अपने शर्त के मुताबिक विक्रम को कहानी सुनना स्टार्ट किया।

विक्रम-बेताल की पहली कहानी: पापी कौन है?

बहुत समय पहले की बात हैं काशी में एक प्रताप मुकुट नाम का राजा रहता था । उनका एक इकलौता बेटा था जिसका नाम वज्रमुकुट था।

वज्रमुकुट का एक दोस्त था जो राजा के एक दोस्त दीवान का बेटा था। एक दिन दोनों दोस्त शिकार करने जंगल गए। शिकार पर घूमते घूमते उन्हें प्यास लगी वेलोग पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहे थे तब तक उन्हें एक तालाब दिखा। तालाब में उन्होंने ने हाथ मुंह धोया और पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई और पास में ही एक मंदिर था उसमे दर्शन करने चले गए।

जब वह बाहर निकले तो देखा की एक बहुत ही खूबसूरत राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ स्नान करने के लिए आई हुई हैं। उस राजकुमारी को देखकर राजकुमार देखते ही रह गया।

राजकुमार और राजकुमारी दोनो एक दुसरे को कब तक देखते रहे और एक दुसरे के मोहित हो गए। राजकुमार का दोस्त एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। कुछ देर बाद राजकुमारी ने तालाब से एक कमल का फूल तोड़ा, कान के पिछे लगाया फिर दांतों से कुतरा, पैरों के नीचे दबाया और फिर अपने छाती से लगाकर अपनी सहेलियों के साथ चली गई।

उसके जाने के बाद राजकुमार काफी दुखी हो गए और मित्र के पास लौटकर सभी बातें शेयर की। राजकुमार ने अपने मित्र से कहा मैं राजकुमारी के बिना रह नहीं सकता। लेकिन मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता है। वह कहां रहती है, उसका नाम क्या है?

दीवान के बेटे ने सबकुछ सुनकर राजकुमार को दिलासा दिया और कहा राजकुमार आप चिंता ना करें। राजकुमारी ने सब कुछ बता दिया है।” राजकुमार हैरान होकर पूछा वह कैसे?

तब राजा के मित्र के बेटे ने बताया कि राजकुमारी ने कमल के फूल को बालों से निकालकर कानों से लगाया, जिससे पता चलता है कि वह कर्नाटक से हैं। दांत से फूल को कुतरा, जिससे पिता का नाम दंतावट हुआ, और फूल को पांव से दबाने से राजकुमारी का नाम पद्मावती था। इस रहस्यमयी तरीके से राजकुमारी ने अपनी पहचान का खुलासा किया, और फूल को सीने से लगाने से यह साबित हुआ कि उनका हृदय अब आपके प्रति पूरी तरह से लगा हुआ है।

यह सुनकर राजकूमार बहुत खुश हुआ और कर्नाटक जानें के लिए अपने दोस्त से कहां और दोनो कर्नाटक के लिए निकल पड़े।

जब वो दोनों राजमहल के निकट पहुंचे, तो उन्हें एक चरखा चलाती बुजुर्ग महिला दिखी।

उस बुजुर्ग महिला के पास पहुंच कर अपना परिचय दिया और कुछ दिन वहां रहने की मोहलत मांगी। वह बुढ़िया मान गई और इनलोगो को रहने दिया।

फिर दीवान के बेटे ने पूछा माई तुम क्या करती हो तुम्हारा घर कैसे चलता है?

फीर बुढ़िया ने बताया मेरा एक बेटा है जो राजा के यहां काम करता हैं। मैं राजकुमारी की दासी हूं। अब बूढ़ी हो जाने के कारण घर में ही रहती हू और कभी-कभी राजकुमारी से मिलने चली जाती हूं।

राजकुमार ने बुढ़िया को कुछ बहुमूल्य रत्न दिया और कहा,  माई, कल तुम महल जाओ और राजकुमारी से कह देना कि जेठ सुदी पंचमी को तुम्हें तालाब पर जो राजकुमार मिला था वह यहां आ गया है।

अगले दिन बुढ़िया महल गई और उसने यह संदेश राजकुमारी को दिया। राजकुमारी ने हाथों में चंदन लगा कर बुढ़िया को एक तमाचा लगा कर घर से निकल जाने को कहा। बुढ़िया के गालों पर दसों उंगलियों के निशान बन गया था।

यह बात बुढ़िया आ कर राजकुमार को बताई राजकुमार हैरान हो गया। यह सारी घटना दीवान के बेटे को बताया तब उसने कहां तुम परेशान न हो उसके तमाचे का मतलब था अभी दस रोज़ चाँदनी के हैं। उनके बीतने पर मैं अँधेरी रात में आपसे मिलूँगी।। 

दस दिन बीतने पर फिर बुढ़िया संदेशा लेकर महल पहुंची तो इस बार राजकुमारी ने तीन उंगली को केसर के रंग में डुबोकर एक तमाचा मारा और निकाल दिया।

फिर उसी घटना को उसने दोहराया था यह जानकर राजकुमार हक्का बक्का रह गया। उसने फिर यह बात दीवान के बेटे को बताया तो उसने उसका मतलब राजकुमार को समझाया अभी राजकुमारी को मासिक धर्म आया हुआ तीन दिन बाद खत्म होंगा।

तीन दिन बाद बुढ़िया फिर से राजकुमारी के पास गई तो उसने उसे फटकारा और पश्चिमी खिड़की से बाहर जाने को कहा। बुढ़िया आके सारी बातें राजकुमार को बताई इस पर दीवान के बेटे ने राजकुमार को समझाया उसने तुम्हें पश्चिमी खिड़की से बुलाई है।

यह सुनकर राजकुमार बहुत खुश हुआ और उस बुढ़िया का भेष धारण कर राजकुमारी से मिलने महल पहुंचा और वहां से उस खिडकी के रास्ते राजकुमारी के कमरे तक पहुंच गया।

इस तरह रात भर वे दोनो एक दुसरे के साथ रहे उसके बाद राजकुमारी उसे दिन में सबसे छुपा देती थी और रात में राजकुमार बाहर आता था और दोनो एक दूसरे के साथ रहते थे।

इस तरह कई दिन बीत गए थे और राजकुमार को अचानक से अपने दोस्त की याद आती हैं, सोचने लगता हैं की मेरा दोस्त किस हाल में होंगा और कहां होंगा। फिर, उससे मिलने के लिए बेताब हो जाता हैं।

राजकुमार को हैरान देख राजकुमारी उसके हैरानी का कारण पूछती हैं तो राजकुमार उससे बताता है की मेरा एक दोस्त हैं जो बहुत ही चालक और बुद्धिमान हैं उसी के वजह से मैं आज तुमसे मिल पाया हूं। पता नहीं वो कहा और किस हाल में होंगा। मुझे उससे मिलने जाना होंगा।

यह सुनने के बाद राजकुमारी कहती हैं मैं आपके दोस्त के लिए स्वादिष्ट भोजन बनवाती हूं। आप उसे भोजन कराकर और उससे मिलकर वापस आ जाना।

राजकुमार खाना लेकर अपने दोस्त के पास पहुंचा और उससे सारी बाते बताई की मैने तुम्हारी चतुराई के बारे में राजकुमारी को बताई तो उसने तुम्हारे लिए स्वादिष्ट भोजन भेजवाई है।

इस बात को सुनकर राजकुमार का दोस्त बोला- तुमने ठीक नहीं किया उससे ये बातें बताकर। क्योंकि वो यह समझ चुकी है की जब तक मैं आपके साथ हूं वो आपको बस में नहीं कर पाएंगी इसलिए मुझे मारने के लिए खाने में जहर मिला कर भेजा है।

इतना कहकर उसने खाने के कुछ निवाले को उठाकर कुत्ते को फेका। कुता उस खाना को खाने के कुछ देर बाद मर गया। यह देख कर राजकुमार डर गया और कहां अब मैं उसके पास नही जाऊंगा बहुत खतरनाक औरत हैं। तब राजकुमार के दोस्त ने कहा कुछ ऐसी तरकीब निकालनी होगी जिससे वो हमारे साथ जा सके।

आज रात तुम वहां जाओ और जब राजकुमारी सो रही हो, तब उसकी बाईं जांघ पर त्रिशूल का निशान बना देना। फिर उसके गहने लेकर पास के दुकान में बेच देना। अगर कोई तुम्हें पकड़े, तो कहना मेरे गुरु के पास चलो, उसने ही मुझे गहने दिए हैं। इधर दीवान के बेटे ने एक योगी का रूप धारण कर लिया था 

राजकुमार अपने दोस्त का कहना माना और महल गया। अपने दोस्त के कहे अनुसार राजकुमारी के बाईं जांघ पर त्रिशूल का निशान बना दिया और उसके गहने लिए और पास के एक दुकान में बेचने गया जब दुकानदार ने गहने देखा तो वो तुंरत समझ गया कि ये राज्य दरबार का गहना हैं और उसे पकड़कर दरबार में राजा के समाने पेश किया। तब राजकुमार ने कहा ये गहने मुझे मेरे गुरु ने दिया। फिर राजा के सैनिकों ने गुरु को पकड़ कर राजा के समाने पेश किया।

राजा ने योगी यानि दीवान के बेटे से ये पूछा- तुम्हें ये गहने कहां से मिला।

तब योगी ने कहा- महाराज मैं श्मशान में डाकिनी मंत्र प्राप्त कर रहा था कि मेरे सामने एक डाकिनी आई। मैंने उसके जेवर उतार लिए और उसकी बाईं जांघ पर त्रिशूल का निशान बना दिया।

यह सुनते ही राजा ने राजकुमारी के दासी से निशान देखने के लिए कहां। दासी ने राजा को आकार बताया कि राजकुमारी के जांघ पर सच में निशान हैं।

निशान देखने के बाद राजा ने योगी से पूछा योगी बताओ धर्म शास्त्र में बुरी औरतों के लिए क्या सजा है?

योगी ने उत्तर दिया – अपने राज्य में रहने वाले किसी से भी कोई बुरा काम हो जाए, तो उसे राज्य से बाहर निकाल देना जाना चाहिए। यह सुनते ही राजा ने अपनी बेटी को जंगल भेज दिया। वहां राजकुमार और दीवान का बेटा मौके के इंतजार में बैठे थे। राजकुमारी को अकेला पाकर दोनों उसे अपने नगर ले आए और खुशी-खुशी रहने लगे।

जब कहानी खत्म हुई तो बेताल ने विक्रम से पूछा इस कहानी में पापी कौन था?

राजा कुछ देर चुप रहे तब बेताल ने फिर पूछा इस कहानी में पापी कौन है? नही तो मैं तुम्हारे सिर के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा। तब विक्रम ने उत्तर दिया-

दीवान के बेटे ने अपने मालिक का काम किया। कोतवाल ने अपने राजा के आदेशों का पालन किया। राजकुमार ने अपने प्रेम पाने की ख्वाइश पुरी करी।

इस कहानी में असली पापी राजा था जो बिना सोचे-समझे अपनी राजकुमारी को घर से बाहर निकाल दिया।
बेताल – सही कहा तूने, लेकिन तू बोला इसलिए मैं चला ।

इतना कहते ही बेताल पेड़ पर जा लटका।

Moral 

इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता हैं कोई भी फैसला बिना सोचे समझे नही करना चाहिए।

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