गुरु बनाना क्यों जरूरी हैं ये बताने से पहले आपको गुरु का अर्थ समझना होगा | जब मैं किसी को गुरु बनाने की सलाह देता हूँ तो वो मुझसे कहता है कि मैं आपसे Career के बारे में पूछ रहा हूँ और आप कह रहे हो गुरु बनाओ, तो मेरी उम्र नहीं है अभी गुरु बनाने की | दरअसल उसके दिमाग में गुरु के लिए एक तस्वीर बन जाती हैं , साधु महात्मा वाली |
पर आपको समझना होगा इस दुनियाँ में सिर्फ वे ही अकेले गुरु नहीं हैं | गुरु का अर्थ होता हैं मार्गदर्शक | गुरु आपको बताता हैं क्या सही हैं और क्या गलत हैं | गुरु की ये Definition 98% लोगों को पहले से पता हैं |
पर आप ये नहीं जानते की एक इंसान अपने जीवनकाल में अनेकों लोगों को गुरु बनाता हुआ चलता हैं |
जब बच्चा जन्म लेता हैं तो उसके सबसे पहले गुरु होते हैं उसके माता पिता | माता पिता ही उस बच्चें के संस्करों का निर्माण करते हैं | कैसे किसी से बात करना चाहिए , कैसे किसी के साथ व्यवहार करना चाहिए ये सब बच्चें के माता पिता ही उसे सिखाते हैं |
आपने अक्सर देखा होगा कुछ बच्चे जानवरों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं और कुछ बच्चें जानवरों के चोट लगते देखकर उसके दुःख को महसूस करके भावुक हो जाते हैं | ये शिक्षा बच्चे ने कहाँ से हासिल की ? ये शिक्षा उसके माता पिता से उसे मिली हैं |
इसके बाद बच्चा बड़ा होकर School / College में जाता हैं | तब उसे अलग अलग Subjects के अलग अलग गुरु मिलते हैं | जैसे हिन्दी के गुरु अलग , English के गुरु अलग , Math के अलग , Science के अलग Social Science के अलग अलग होते हैं और सभी गुरु अपने अपने Subject के महारथी होते हैं |
इसके बाद जब बच्चा और बड़ा होता हैं तो उसके मन में अलग से प्रतिभा सिखने का मन करता हैं जैसे संगीत , Dance , Football , Cricket , कुश्ती और भी | अगर बच्चें को संगीत सीखना हैं तो उसे संगीत के गुरु के पास ले जाना होगा , अगर वो Dance सीखना चाहता हैं तो उसे Dance के गुरु के पास ले जाना होगा इसी तरह अलग अलग चीजों को सिखाने वाले अलग अलग हो सकते है पर गुरु की Definition वही हैं “सिखाने वाला ही गुरु हैं |”
आपको जानकर हैरानी होगी की एक car machinic भी गुरु होता हैं तब जब वो कार को बनाना और ठीक करना सिखाता हैं , Business को अपने ज्ञान से बहुत ऊपर ले जाने वाले लोग भी गुरु होते हैं जब वो अपना Experience दूसरों को देते हैं | Cricket का coach हो चाहे Football , Hockey, Tennis के Coach हो ये सब गुरु हैं |
इसके बाद बच्चा जब बूढ़ा हो जाता हैं तो वो सत्संग जाकर वहा का गुरु से ज्ञान लेता हैं | ये गुरु जीवन के आखरी पड़ाव पर आपका मार्गदर्शन करते हैं | ये सभी गुरु हैं | जो जिस क्षैत्र का गुरु हैं अगर वो उस क्षैत्र की बहुत ज्यादा Knowledge रखता है तो वो उस गुरु से श्रेष्ठ है जो गुरु उसी क्षैत्र में कम Knowledge रखता हैं |
गुरु बनाना क्यों जरुरी हैं :-
सफलता चाहने वाले इंसान को गुरु बनाना जरूरी हैं | आपको सही Advice देने वाला होना जरूरी हैं क्योंकि आपने सुना भी होगा “गुरु बिना ज्ञान कहाँ”| गुरु की जरूरत तो भगवान श्री राम जी को भी पड़ी थी | उनके गुरु थे गुरु वशिष्ठ जी |
और जो इस संसार के गुरुओं के भी गुरु हैं भगवान श्री कृष्ण , उन्होंने भी गुरु बनाया था और उनके गुरु थे महर्षि सांदीपनि | महर्षि सांदीपनि ने भगवान श्री कृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी |
जितने श्रेष्ठ आपके गुरु होंगे उससे आगे तक आपको सफलता मिलती हैं |
गुरु किसे बनाये :-
गुरु बनाने से पहले आपको जानना होगा कि आप किस क्षैत्र में सफलता पाना चाहते है वो इसलिए क्योंकि आपको उसी क्षैत्र का गुरु बनाना होगा | अगर आप अच्छा Cricketer बनना चाहते हैं तो आपको अच्छा cricket का Coach चुनना होगा | ये coach कौन हैं ? गुरु ही तो हैं | इसी तरह संगीत गाना चाहते हो तो आपको अच्छे Singer को गुरु बनाकर उससे शिक्षा लेनी होगी , अगर आप Business करना चाहते हो तो आपको उसी Business से Related सफल हो चुके आदमी से सीखना होगा | वही आदमी गुरु हैं |
गुरु बनाते समय ध्यान रखने वाली बातें :-
जिस क्षैत्र में आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उसी क्षैत्र से Related आपको गुरु बनाना होगा और वो भी ऐसा गुरु जिसने उसी क्षैत्र में बड़ी सफलता हासिल की हो | अगर आप अलग क्षैत्र से है और आपका गुरु अलग क्षैत्र से हैं तो आप कभी भी उस क्षैत्र में सफलता हासिल नहीं कर सकेंगे जैसे अगर आप Math’s में Pass होना चाहते है और आपने गुरु बनाया संस्कृत का तो आप चाहे संस्कृत की हजारों लाखों किताबें पढ़ डाले पर आप Math’s में कभी pass नही हो पाएंगे |
Sachin Tendulkar ने अगर किसी Football के coach को गुरु बनाया होता तो क्या वो cricket के भगवान बन सकते थे ? नहीं बन पाते |
आपका गुरु सचमें ज्ञानी और सफलता प्राप्त करने वाला होना चाहिए क्योंकि यदि आपके गुरु की ही बुद्धि भ्रष्ट होगी तो वो आपको भी यही सिखाएगा क्योकि आपने सुना ही होगा “जिसका’ गुरु पाखड़ी हैं उसका चेला तो पाखड़ी ही बनेगा | “
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कही से कुछ सिख लेते है और दूसरों को सिखाने में लग जाते है और वो खुदको गुरु समझने लगते है दरअसल उनमें अहंकार आ जाता है | सच्चे गुरु में अहंकार नहीं होता |
उम्मीद करता हूँ आपको अब समझ आ गया होगा की गुरु बनाना क्यों जरूरी हैं | साथ ही गुरु किसे बनाये और गुरु बनाते समय ध्यान में रखने वाली बातें आपको समझ में आयी होगी |
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