बिजनेस और नौकरी: किसका महत्व अधिक है?

बिजनेस और नौकरी
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इस कहानी में बिजनेस और नौकरी के बीच तुलनात्मक चर्चा की गयी है। यह दिखाता है कि कैसे एक सादा समोसे वाले ने बिजनेस के महत्व को समझाया और स्वयं को साबित किया।

एक बड़े बाजार में भोलेराम की एक समोसे की दुकान थी। भोलेराम बहुत सीधे और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पास एक बेटा भी था, दुकान के एक कोने पर भोलेराम समोसे तलते रहते और दूसरे कोने पर उनका बेटा पैसे लेने देने का हिसाब करता था |

दुकान के सामने एक बड़ी सॉफ़्टवेयर कंपनी थी। कंपनी के कर्मचारी दोपहर को जब लंच का समय होता तो वे अक्सर भोलेराम की दुकान पर समोसे खाने आते थे। एक दिन कंपनी के मैनेजर श्याम बाबू समोसे खाने आए।

खाते-खाते श्याम बाबू ने कुछ मजाक सुझाया और उन्होंने भोलेराम से कहा, “भाई समोसे तो तुम बहुत अच्छे बनाते हो और तुम्हारी दुकान भी अच्छी चलती है, लेकिन मुझे लगता है कि तुम इन समोसों को बेचकर अपना कीमती समय गवा रहे हो।

बिजनेस और नौकरी: किसका महत्व

थोड़ा और पढ़ते, थोड़ी और मेहनत करते तो तुम मेरी तरह मैनेजर हो जाते और ऐशोआराम की तरह जी रहे होते।” भोलेराम ने सरलता से कहा, “मैनेजर साहब, आपके और मेरे काम में बहुत फर्क है।”

बिजनेस और नौकरी

आगे भोलेराम बोले, “आपको याद होगा, लगभग 10 साल पहले आप इस कंपनी में जूनियर के पद पर शामिल हुए थे। उस समय आपकी मासिक आय 10,000 रुपये थी। मेरे पास तब कोई दुकान नहीं थी, इसलिए मैं उस समय टोकरी में समोसे बेचकर गुजारा करता था और मेरी कमाई लगभग 1,000 रुपये प्रति माह थी।

आज से लगभग 10 साल बाद आप मैनेजर के पद पर पहुंच गए हैं और आपकी मासिक वेतन 50,000 रुपये है। मेरे पास अब अपनी दुकान है और मैं हर माह 2 लाख रुपये कमाता हूं। लेकिन ध्यान देना, पैसा ही सब कुछ नहीं होता। जो मेहनत और संघर्ष आपने अपने जीवन में किया है, वह आपके बेटे के लिए नहीं होगी, वह आपके मालिक के बच्चों के लिए होगी।

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जब मेरे बेटे का समय आएगा, तो वह मेरी दुकान को संभालेगा और उसे कोई चुनौती और संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ेगा, जैसे मुझे करना पड़ा। मैंने अपनी मेहनत से दुकान को विस्तारित किया है और ये सब कुछ मेरे बेटे के हिस्से में आएगा, वह आराम से मेरे बिजनेस को आगे बढ़ाएगा।

उसके विपरीत, तुम अपने बेटे को सीधे मैनेजर के पद पर बिठा नहीं सकते। उसे फिर से वही जूनियर पद से मेहनत करनी पड़ेगी, जैसे कि तुमने की है। तुम्हारी मेहनत का उसे अधिक लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन वह यहाँ से अनेक चीजें सीखेगा और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करेगा।”

 

झेंपे से श्याम बाबू ने बिना कुछ कहे समोसे के पैसे देकर कंपनी की तरफ चले गए।

दोस्तों, इस कहानी में नौकरी और व्यवसाय के बीच तुलनात्मक चर्चा की गई है। हम यहां नौकरी को बुरा नहीं कह रहे हैं, वास्तव में नौकरी भी अच्छी होती है और अच्छाई और बुराई हर क्षेत्र में होती है। लेकिन कहानी में बिजनेस का महत्व नौकरी से अधिक होने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

यह कहानी “बिजनेस और नौकरी: किसका महत्व अधिक है?” बहुत मनोरंजक है और हर उम्र के लोगों को पसंद आएगी। चलिए, कहानी पढ़ने के बाद कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में जाइए और अपनी मूल्यवान टिप्पणी को हमें लिखकर भेजिए। आपकी टिप्पणी हमें और बेहतर लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

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