बहस करने वाले मुर्ख – Don’t argue with fools

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बहस करने वाले मुर्ख – Don’t argue with fools

अक्सर आपने देखा होगा कुछ लोग होते है जो बहुत ज्यादा बहस करते हैं, हर बात में बहस करते हैं और अपनी बात को सही बताने में लगे रहते है | अगर आपकी Friend List में ऐसा बहस करने इंसान हैं तो उसे ये post जरूर share कर देना क्योंकि अब जो मैं बताने वाला हूँ उसे जानकर वो ज़िंदगी में कभी बहस नहीं करेगा |

देखो जब 2 लोग किसी बात को लेकर बहस करते हैं तो उस परिस्थिति के तीन तरह से परिणाम निकलते हैं |

(i) या तो दोनों में से कोई एक सही हैं |
(ii) या दोनों ही गलत हैं |
(iii) या दोनों ही सही हैं |

इसमें पहली और दूसरी condition तो आपको समझ में आ गयी होगी कि बहस में अक्सर दोनों में से कोई एक तो सही होता ही हैं और वो दूसरे को समझता भी हैं | दूसरी condition में ये है कि एक कहे की ताजमहल राजस्थान में है और दूसरा कहे की गुजरात में हैं जबकि असल में ताजमहल आगरा में हैं, तो इस तरह की परिस्थिति में बहस करने वाले दोनों ही गलत है |

बहस करने वाले मुर्ख - Don't argue with fools

अब तीसरी condition के लिए आप कहोगे की बहस करने वाले दोनों ही इंसान सही कैसे हो सकते हैं? ये Possible ही नहीं हैं! पर मैं आपको बता दूँ life में कभी कभी ऐसी भी परिस्थियाँ आती हैं जहाँ बहस करने वाले दोनों ही इंसान सही होते हैं जैसे 6 हैं, इसे दूसरी तरफ से देखने वाले को लगता हैं 9 हैं जबकि इस तरफ से देखने वाले को दिखता हैं 6 हैं और दोनों ही अपनी अपनी बात पर अड़े रहते हैं |

बहस करने वाले मुर्ख

अब इस condition में समझदार इंसान वो हैं जो जानता हैं की मैं सही हूँ फिर भी वो सामने वाले का दृष्टिकोण यानि Point of View जानने की कोशिश करता हैं | वो सामने वाले के नज़रिये से देखने की कोशिश करता हैं की वो सही तो नहीं कह रहा |
जबकि मुर्ख सोचता हैं की अगर मैं सही हूँ, इसका मतलब सामने वाला 100% गलत हैं | ऐसे लोग सामने वाले की बात सुनना ही नहीं चाहते क्योंकि इनको लगता हैं अब मैं सही हूँ तो सामने वाला जो भी कह रहा हैं वो सब गलत ही हैं |

पर अक्सर आपने देखा होगा कुछ लोग advance होते हैं जो खुद गलत होते हैं पर खुदको गलत साबित नहीं होने देते | और जब इनको लगता हैं की वो अब बहस हार रहा हैं या उसकी बात गलत साबित हो रही हैं तो फिर वे बहस जितने के लिए उल्टे सीधे तर्क देने लगते हैं | दरअसल ऐसे लोगों की मानसिकता होती कि “मैं ही ज्ञानी हूँ “, “सिर्फ मेरी ही बात में दम हैं “, “मैं ही सत्य बोल रहा हूँ”, “मुझसे ज्यादा कोई समझदार नहीं” | ये लोग पूरी तरह अहंकार से भरे हुवे होते हैं | समझदार इंसान इनसे बहस नहीं करता क्योंकि वो समझ जाता की ये मुर्ख हैं| और जब सामने वाला चुप हो जाता हैं तो मुर्ख इंसान को लगता हैं की उसकी बात सच साबित हो चुकी हैं और वो उस बहस को जीतकर बड़ा खुश होता हैं |

उम्मीद हैं आपको सारी बात समझ में आ गयी होगी और अब जब भी बहस करना तो बहस को जीतने के लिए या खुदको सही साबित करने के लिए बहस ना करें बल्कि बात की गहराई को समझे और फैसला खुद करें की क्या सही है और क्या गलत है साथ ही सामने वाले के नजरिये से भी देखने की कोशिश करें की सामने वाला भी तो सही नहीं बोल रहा!


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