एक मूर्तिकार के प्रयास की कहानी । Motivational Story in Hindi
आज की कहानी का शीर्षक है “एक मूर्तिकार के प्रयास की कहानी”। हम अक्सर थोड़े से प्रयास करने के बाद उम्मीद करना छोड़ देते हैं, लेकिन कुछ कार्य ही ऐसे होते हैं जो हमसे बहुत बड़ी कीमत माँगते हैं इसलिए हमें किसी कार्य को यह सोचकर नहीं छोड़ देना चाहिए कि यह तो बड़ा कठिन है । आज की कहानी भी एक मूर्तिकार के अथक प्रयास की कहानी है ।
एक मूर्तिकार के प्रयास की कहानी । Motivational Story in Hindi
एक बार की बात है एक राजा अपने मंत्री और कुछ सैनिकों के साथ भ्रमण के लिए अपने घोड़े पर सवार होकर जा रहे थे । तभी उनकी नजर एक बड़े पत्थर पर पड़ी, पत्थर को देखते ही वह रुक गए ।
वह घोड़े से नीचे उतरे और देखने लगे वह पत्थर बड़ा मजबूत और सुंदर लग रहा है । राजा ने मंत्री को आदेश दिया कि इस पत्थर को उठाकर महल में ले जाया जाए ।
राजा का आदेश पाकर मंत्री ने सैनिकों को आदेश दिया और सबने मिलकर उस पत्थर को महल में भिजवा दिया ।
जब राजा महल में पहुँचे तब उन्हें यह विचार आया कि इस पत्थर का प्रयोग किसी अच्छे काम के लिए होना चाहिए । राजा गौतम बुद्ध को बहुत मानते थे इसलिए उन्होंने सोचा क्यूँ ना इस पत्थर से बुद्ध की मूर्ति बनवाई जाए ।
राजा ने सभा बुलवाई
राजा बोले- महामंत्री! मैं उस लाये गए पत्थर से गौतम बुद्ध की मूर्ति बनवाना चाहता हूँ । तुम किसी अच्छे मूर्तिकार को ढूँढकर लाओ जो बुद्ध की बहुत अच्छी मूर्ति बना सके ।
मंत्री बोला- जो आज्ञा महाराज!
मंत्री नगर के सबसे अच्छे मूर्तिकार को ढूँढ कर राजा के सामने ले आता हैं ।
मंत्री बोला- महाराज ये नगर का सबसे अच्छा मूर्तिकार हैं ।
राजा बोले – मूर्तिकार! मुझे बुद्ध की एक बहुत अच्छी मूर्ति बनवानी है ? क्या तुम यह मूर्ति बना सकते हो ?
मूर्तिकार बोला- हाँ, राजाजी । मैं बहुत सारी मूर्ति बना चुका हूंँ और मैं बुद्ध की बहुत ही बेहतरीन मूर्ति बना सकता हूंँ ।
राजा बोले- ठीक है, तुम्हें एक माह के भीतर मूर्ति बनानी होगी, इसके लिए मैं तुम्हें पाँच सौ सोने की मुद्राएँ दूँगा ।
यह सुनकर मूर्तिकार बहुत खुश हुआ और वह पूरे उत्साह के साथ मूर्ति बनाने के लिए तैयार हो गया । मंत्री ने सैनिकों के हाथों वह पत्थर मूर्तिकार के यहाँ भिजवा दिया ।
मूर्तिकार मूर्ति बनाने के लिए अपने सारे औजारों को ले आया । उसने सबसे पहले हथौड़ा उठाया और पत्थर पर एक चोट मारी फ़िर इसी तरह उसने बहुत बार हथौड़े से उस मूर्ति पर चोट करी । पत्थर पर एक खरोच तक नहीं आई उसने हज़ारों बार चोट मारी लेकिन पत्थर इतना मजबूत था की थोड़ा-भी टूटा नहीं ।
मूर्तिकार ने इस बार भी हथौड़ा उठाया पर वह रुक गया । वह सोचने लगा पत्थर तो टूट ही नहीं रहा । फालतू में हथौड़ा मार-मार के क्यूँ खुद को थकाऊ । उसने फिर प्रयास करना छोड़ दिया और एक माह ऐसे ही ऐसी बीत गया । अब मूर्तिकार को राजा के सामने पहुँचना था ।
दरबार लगा सभी राजा के दरबार में मौजूद थे।
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राजा बोले- मूर्तिकार बताओ ? क्या तुमने मूर्ति का निर्माण कर दिया ?
मूर्तिकार बोला- नहीं, महाराज मैंने हज़ारों बार पत्थर पर चोट करी थी । लेकिन पत्थर तो बहुत ही ज्यादा मजबूत था टूटने का नाम ही नहीं ले रहा था इसलिए मैं मूर्ति नहीं बना पाया । मुझे क्षमा कर दीजिए महाराज ।
यह सुनकर राजा निराश हो गए वह बुद्ध की मूर्ति देखने के लिए बहुत उत्सुक थे ।
मंत्री ने मूर्तिकार को जाने के लिए कह दिया ।
राजा बोले- मंत्री, तुम तो मेरा दिया हुआ कार्य पूरा ही नहीं कर पाए । यह पत्थर क्या इतना मजबूत था कि टूट ही नहीं रहा था अब तो मेरी इच्छा और बढ़ गई कि इसी मजबूत पत्थर से बुद्ध की मूर्ति बने । जाओ किसी और अच्छे मूर्तिकार को ढूँढ कर लाओ । जो बुद्ध की बहुत ही बेहतरीन मूर्ति बना सके ।
मंत्री बोला- जी महाराज, आपकी जो आज्ञा।
मंत्री सोचने लगे- मैं तो सबसे बेहतरीन मूर्तिकार को ढूँढ कर लाया था वह नहीं बना सका तो किसी और से क्या उम्मीद कर सकता हूंँ ।
पत्थर के मजबूत होने की बात नगर में फैल गई थी इसलिए सभी मूर्तिकार मूर्ति बनाने से मना कर रहे थे । आखिर में उन्हें एक साधारण-सा मूर्तिकार दिखा ।
मंत्री ने मूर्तिकार से पूछा- क्या तुम गौतम बुद्ध की मूर्ति बना सकते हो ?
मूर्तिकार बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं, सेनापति जी, आप मुझे मौका तो देकर देखिए मैं बहुत ही बेहतरीन मूर्ति बनाऊंगा ।
मंत्री बोला- नगर में यह बात चारों तरफ फैली हुई है, तुम्हें पता है ना कि वह पत्थर इतना मजबूत है कि कोई भी मूर्तिकार मूर्ति बनाने को तैयार नहीं हो रहा है ।
मूर्तिकार बोला- हाँ, मुझे पता है और मुझे यह भी पता है जो मूर्ति बनाएगा उसे पाँच सौ सोने की मुद्राएँ मिलेगी ।
मंत्री के पास कोई चारा नही था, इसलिए उसने यह कार्य उस साधारण मूर्तिकार को दे दिया ।
मंत्री ने उस मूर्तिकार के यहाँ पत्थर भिजवा दिया । उस मूर्तिकार ने कार्य करना शुरू किया उसने पत्थर पर चोट करी, लेकिन पत्थर का कुछ नहीं हुआ । लेकिन वह रुका नहीं वह तब तक चोट करता रहा जब तक की पत्थर ना टूट जाए वह पत्थर इतना मजबूत था कि उसे पत्थर पर डबल मेहनत करनी पड़ती थी । लेकिन वह रुका नहीं उसने बहुत मेहनत करी और वह मूर्ति बनाने में कामयाब हो गया ।
एक माह के बाद सेनापति मूर्तिकार के पास पहुँचे मूर्तिकार ने मूर्ति तैयार कर दी थी ।
दोनों महाराज के दरबार में पहुँचे ।
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मंत्री राजा से बोला- महाराज, एक मूर्तिकार ने बुद्ध की मूर्ति तैयार कर दी हैं ।
राजा बोले- मैं कब से यही प्रतीक्षा कर रहा था कि बुद्ध की मूर्ति तैयार हो जाए । मूर्ति दिखाई जाए ।
मंत्री ने सेनापतियों को आदेश, दिया उन्होंने राजा के सामने आकर मूर्ति रख दी ।
राजा देखकर बहुत खुश हुए, वह मूर्ति की तारीफ करते नहीं थक रहे थे । उन्होंने मूर्तिकार की तरफ देखा ।
राजा बोले- अरे वाह ! तुमने तो बहुत ही शानदार मूर्ति का निर्माण किया है, पर पहले मैं यह जानना चाहता हूंँ कि पहले वाले मूर्तिकार ने इस पर बार-बार प्रहार किया था, लेकिन फिर भी पत्थर पर खरोच तक नहीं आई थी । फिर तुमने कैसे इस पत्थर से मूर्ति बना दी ।
मूर्तिकार बोला- महाराज प्रयास के द्वारा कोई-कोई पत्थर ऐसा होता है जिस पर हज़ारों प्रयासों से भी कुछ नहीं होता । लेकिन जरूरी होता है कभी ना रुकना । यदि मैं हज़ारों प्रयासों के बाद रुक जाता तो मैं भी यह मूर्ति नहीं बना पाता । इसलिए मैंने पत्थर पर तब तक चोट करी जब तक पत्थर ना टूट जाए और ऐसा बार-बार लगातार करने से, मैं इस मूर्ति को बनाने में कामयाब हो गया ।
मूर्तिकार की यह बात सुनकर राजा मंत्री और सभा में बैठे सभी लोगों ने मूर्तिकार की प्रशंसा की ।
राजा बोले- आज तुमने हमें बहुत बड़ी सीख दी है कि लगातार प्रयास से हर असंभव कार्य संभव हो जाता है । मैं तुम्हें इस कार्य के लिए पाँच सौ सोने की मुद्राएँ देता हूंँ ।
यह सुनते ही मूर्तिकार बहुत खुश हो गया, मूर्तिकार ने राजा क आभार व्यक्त किया ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमें अपने सपनों को बिना प्रयास किये कभी नहीं छोड़ना चाहिए । हर कीमती चीज हमें बार-बार कोशिश करने से ही मिलती है इसलिए अपने जीवन में आगे बढ़ाने के लिए हर वह कोशिश करो जो कि आपको जीवन में आगे बढ़ाएँ ।
उम्मीद करते है आपको हमारी गौतम बुद्ध Motivational Story in Hindi “एक मूर्तिकार के प्रयास की कहानी” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS Squad, Think Yourself और Your Goal