हर कोई धोखेबाज नहीं होता – प्रेरणादायक कहानी
“हर कोई धोखेबाज नहीं होता ।” अगर आपको भी किसी इंसान से धोखा मिला है, तो इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि हर इंसान धोखेबाज होता है । अपनी जिंदगी में मिलने वाले अनुभव के आधार पर हर किसी को जज कर लेते हैं । लेकिन यह कहानी आपकी आंखें खोल देगी कि आपका एक अनुभव यह नहीं तय कर सकता कि हर इंसान धोखेबाज होता है । शुरू करते हैं एक प्रेरणादायक कहानी “हर कोई धोखेबाज नहीं होता ।”
हर कोई धोखेबाज नहीं होता – प्रेरणादायक कहानी
एक राज्य था । जिसमें एक व्यापारी और उसकी पत्नी रहा करते थे । दोनों में बहुत प्रेम था । वे लोग रीति-रिवाज को मानने वाले थे । उनकी घर की छत पर रात के वक्त हमेशा एक मशाल जलती रहती थी । उस मशाल को देखकर सब लोग यही कहा करते थे, कि यह मशाल दोनों के प्यार की मशाल है । हर कोई कहता था कि ऐसा जोड़ा तो हमारे पूरे राज्य में नहीं है ।
एक बार राजा और रानी बैठकर व्यापारी और उसकी पत्नी के विषय में बात कर रहे थे ।
राजा बोला- ऐसा कैसे संभव है कि इन दोनों में इतना प्रेम है ?
रानी बोली- जरूर व्यापारी बहुत समझदार और अपनी पत्नी से प्रेम करने वाला होगा, तभी दोनों की जिंदगी इतनी खुशहाल है ।
राजा बोला- नहीं! मुझे तो लगता है कि व्यापारी की पत्नी उससे बहुत प्रेम करती होगी और इसी कारण दोनों का प्रेम बना हुआ है । दोनों अपने-अपने तर्क देने लगे ।
राजा बोले- क्यों ना, हम इन दोनों की परीक्षा ले, जिससे कि हमें पता चले, दोनों का प्रेम कितना गहरा है ?
रानी बोली- आपने तो मेरे मुंह की बात छीन ली । मेरा भी यही विचार है कि हम दोनों पति-पत्नी की अलग-अलग परीक्षा लेते है और देखते हैं दोनों में से कौन कितना अधिक प्रेम करता है ।
राजा-रानी दोनों ने आपस में योजना बना ली कि व्यापारी और उसकी पत्नी की क्या परीक्षा लेनी है ।
अगले दिन रानी ने एक दासी को अपने पास बुलाया और बोली- दासी! तुम उस व्यापारी के पास जाओ । लेकिन याद रहे तब जाना, जब उसकी पत्नी आस-पास ना हो, जाकर उससे कहना कि हमारी रानी तुम्हारे प्रेम में पड़ गई है और यदि तुम अपनी पत्नी की हत्या कर दो, तो वह तुमसे विवाह करने को तैयार है ।
व्यापारी का ज़वाब
दासी ने रानी की बात सुनी और वह व्यापारी के पास पहुँची और रानी का संदेश उसे सुना दिया ।
व्यापारी बोला- एक रानी क्या, यदि सौ रानी भी मुझसे विवाह करना चाहे, तो भी मैं अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकता । आप जाकर रानी से कहिए कि अपने छोटे विचारों को अपने पास ही रखिए । कृपा करके जितना जल्दी हो सके यहाँ से चली जाओ ।
यह बात सुनकर दासी राज दरबार में पहुंची ।
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दासी बोली- रानी, उस व्यापारी ने तो आपसे विवाह करने के लिए साफ-साफ इनकार कर दिया है ।
रानी बोली- इसका यह मतलब हुआ कि वह व्यापारी अपनी पत्नी से सचमुच में प्रेम करता है ।
राजा बोले- व्यापारी का प्रेम तो साबित हो गया, अब बारी है उसकी पत्नी की ।
राजा ने एक सैनिक को अपने पास बुलाया और कहा- सैनिक व्यापारी की पत्नी के पास जाओ और उससे कहो, यदि वह अपने पति की हत्या कर दे, तो राजा तुमसे विवाह करके, तुम्हें इस राज्य की रानी बना देंगे ।
सैनिक व्यापारी की पत्नी के पास पहुंचा और बोला- मैं आपके पास राजा का एक संदेश लेकर आया हूंँ ।
राजा का संदेश आया है यह बात सुनकर पत्नी अत्यंत प्रसन्न हुई वह बोली- आखिर! क्या संदेश लाए हो ?
सेनापति बोला- हमारे राजा दिल ही दिल में आपसे बहुत प्रेम करते हैं । वह आपको राज्य की रानी बनाना चाहते हैं, यदि आप अपने पति की हत्या कर दे, तो वह आपसे विवाह कर लेंगे ।
व्यापारी की पत्नी ज़वाब
सेनापति की यह बात सुनकर व्यापारी की पत्नी के मन में लालच आ गया, वह बोली- अगर ऐसी बात है, तो आज रात दो से तीन बजे के बीच ही, मैं अपने पति की हत्या कर दूंगी । हमारी छत पर हमेशा एक मशाल जलती रहती है, जब मशाल बुझ जाए तब समझ जाना कि मैंने अपने पति की हत्या कर दी है ।
सेनापति व्यापारी की पत्नी के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर भौचक्का रह गया । लेकिन उस वक्त वह उसे कुछ नही बोल सकता था । उसने दरबार में जाकर राजा-रानी को पूरी बात बता दी ।
यह बात सुनकर राजा-रानी दोनों हैरान रह गए । उन दोनों को यही उम्मीद थी कि व्यापारी की तरह, उसकी पत्नी भी उनके संदेश को ना कहेगी ।
यह बात सुनकर राजा और सतर्क हो गए । राजा ने सेनापतियों को कहा- आज रात जाकर हमें किसी भी तरह व्यापारी की जान बचानी है, किसी भी हालत में उसे कुछ नहीं होना चाहिए । ठीक दो बजे तुम लोग व्यापारी के घर पर पहुंच जाना ।
सेनापति सैनिकों को लेकर व्यापारी के घर पहुंच गया और राजा-रानी महल की छत पर खड़े होकर, उनके घर की छत पर जलती हुई मशाल को देख रहे थे ।
व्यापारी की हत्या
जैसे ही सेनापति और सैनिक व्यापारी के घर पहुंचे क्या देखते हैं, व्यापारी की पत्नी ने अपने पति की हत्या कर दी है । सैनिकों ने व्यापारी की पत्नी को रंगे हाथों पकड़ लिया ।
उधर राजा-रानी भी देखते हैं कि व्यापारी के घर की छत की मशाल बुझ चुकी है ।
व्यापारी की पत्नी को कारागार में डाल दिया गया और उम्र कैद की सजा सुना दी गई ।
राजा दिन-रात खुद को कोसने लगे । वह सोचने लगे, मेरी परीक्षा के कारण व्यापारी की जान चली गई । उन्हें धीरे-धीरे महिलाओं से नफरत होने लगी ।
राजा का आदेश
एक दिन उनका क्रोध इतना बढ़ गया कि उन्होंने सेनापति को अपने पास बुलाया और बोले- सेनापति मैं शिकार पर जा रहा हूंँ । शाम तक जब मैं वापस आऊं, तो राज्य में जितनी भी महिलाएं हैं सब की हत्या कर दो । मुझे किसी भी महिला की शक्ल नहीं देखनी । मुझे औरत जात से नफरत हो चुकी है । ऐसा कहकर राजा घोड़े पर सवार होकर तेजी से निकल गए ।
सेनापति सोचने लगा, व्यापारी की मृत्यु के बाद महाराज को न जाने क्या हो गया है, यह कैसी बातें कर रहे हैं एक औरत के धोखे के चलते क्या वह, इसकी सज़ा सभी औरतों को देंगे ?
यह बात उसने घर जाकर अपने पिताजी को बताई जो कि उनके ही दरबार के पूर्व सेनापति थे ।
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सेनापति ने अपने पिताजी को सारी कहानी सुना दी वह बोले- देखो ना! पिताजी, महाराज कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं । मुझ पर तो एक संकट आ गया है । मुझ में इतना दम नहीं है कि निर्दोष महिलाओं की हत्या करवा दूं और इतना साहस भी नहीं है कि राजा की बात को टाल सकूं । आप ही मुझे बताओ आखिर में क्या करूं?
पिताजी बोले- तुम घबराओ नहीं, तुम कुछ दिनों के लिए कहीं छुप जाओ ।
सेनापति बोला- लेकिन उससे क्या होगा, जब मैं मिल जाऊँगा और उनके सामने आऊंगा, तब महाराज तो मुझे मृत्यु दंड ही दे देंगे ।
पिताजी बोले- तुम चिंता मत करो! पुत्र, अगर कुछ दिन तक तुम उन्हें नहीं मिलोगे, तो वह तुम्हें ढूंढते हुए हमारे घर आएंगे । मैं राजा को समझा दूंगा, तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करो ।
पिताजी की यह बात सुनकर सेनापति की जान में जान आई वह कुछ दिनों के लिए छुपकर कहीं रहने लगा ।
जब राजा शाम को वापस आए तो देखते हैं राज्य में सभी महिलाएं उन्हें दीख रही है । महिलाओं को देख-देख कर उन्हें व्यापारी की पत्नी का धोखा याद आ रहा था । वह गुस्से में जाकर सेनापति को ढूंढने लगे जब सेनापति उन्हें नहीं मिला तब वह सेनापति के घर पहुंचे ।
सेनापति के घर में सिर्फ उनके पिता थे । राजा को देखकर सेनापति के पिता ने उन्हें प्रणाम किया । पहले भी बताया गया है कि सेनापति के पिता राज्य के पूर्व सेनापति थे, तो उन्हें देखकर राजा का क्रोध थोड़ा शांत हो गया ।
राजा बोले- मैं सेनापति को ढूंढने आया हूं, कहां है?
पूर्व सेनापति बोले- महाराज मैंने उसे कहीं भेज दिया है ।
राजा बोले– जब आप राज्य में हुआ करते थे, तब क्या आप मेरे पिताजी का दिया हुए आदेश ठुकरा देते थे ।
पूर्व सेनापति बोला- महाराज! मैं अपना कर्तव्य पूरे तरीके से निभाता था ।
राजा बोले- फिर आप अपने पुत्र को कर्तव्य निभाने से क्यों रोक रहे हो, मैंने आपके पुत्र को एक कार्य दिया था ।
पूर्व सेनापति बोले- महाराज माफ कीजिए! लेकिन आपका दिया हुआ कार्य अनुचित है । किसी एक महिला के धोखे को लेकर क्या आप राज्य की सारी स्त्रियों की हत्या करवा देंगे । आप तो राजा है इस राज्य के पिता है क्या आप अपनी संतानों के साथ ऐसा सलूक करोगे ।
राजा ने एक लंबी सांस ली और बोले- जानता हूँ यह बिल्कुल गलत है, लेकिन मैं क्या करूं दिन-रात मुझे आत्मग्लानि महसूस हो रही है कि मेरी वजह से एक निर्दोष व्यापारी मर गया । सबसे बड़े खेद की ये बात है कि उसे उसकी ही पत्नी ने मारा है जिनकी प्रेम की मिसाल पूरा राज्य दिया करता था । उस प्रेम का सच इतना भयानक निकलेगा, यह तो हमने कभी सोचा भी नहीं था ।
पूर्व सेनापति बोले- महाराज, आप जो कहना चाहते हैं मैं समझ रहा हूं । यदि आप मुझे आज्ञा दे तो मैं आपको एक कहानी सुनना चाहता हूं जिसमें आप जान पाएंगे कि सच्चा प्रेम क्या होता है?
राजा सामने पड़ी खटिया पर बैठ गए और बोले बताइए आप कौन सी कहानी बताना चाहते हैं ।
एक योद्धा की कहानी
एक बार मैं और आपके पिताजी दोनों शिकार करने के लिए निकले थे। धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा और उस अंधेरे में, मैं और आपके पिताजी दोनों अलग-अलग दिशा पर निकल गए । तुम्हारे पिताजी को तो राज्य में जाने का रास्ता मिल गया, लेकिन मैं घने जंगल में अकेले फँस गया ।
तभी मैंने देखा एक योद्धा घोड़े पर बैठ कर मेरी ओर आ रहा है और उसने रस्सी लेकर मुझे जकड़ लिया और मुझे अपने साथ ले गया । काफ़ी दूर जाकर वह रुक गया । जब मैंने जगह को थोड़ा टटोला तब मुझे पता चला कि यह तो एक कब्रिस्तान है यह देखकर मैं बहुत डर गया । मुझे लगा अब तो मेरी जान जाने ही वाली है ।
उस योद्धा ने मुझे मजबूर किया कि मैं उधर एक कब्र खोदू । मैं एक कब्र खोदने लगा और मेरे बगल में ही वह योद्धा दूसरी कब्र खोदने लगा । कब्र खोदते हुए मैं सोचने लगा, कि यह एक कब्र तो जरूर मेरे लिए ही है पर यह दूसरी कब्र किसके लिए खोद रहा है ।
जब दोनों कब्र खोद ली गई, योद्धा ने मुझे घोड़े से बांध दिया । दो कदम पर ही एक खंडहर था, वहां जाकर वह एक लाश को खींचते हुए लाया, यह नजारा देखकर तो मेरे होश ही उड़ गए । मेरा कलेजा मेरे मुंह को आ गया । उसने मेरे सामने उस लाश को एक कब्र में गाढ़ दिया । अब मेरा डर और बढ़ गया मुझे लग रहा था कि यह दूसरी कब्र में मुझे डालेगा ।
अचानक से योद्धा ने अपने मुंह पर से कपड़ा हटाया तो मैं क्या देखता हूं, वह तो एक महिला है । वह बोली घबराओ नहीं मैं तुम्हें नहीं मारने वाली, मैं जानती हूंँ तुम इस राज्य के सेनापति हो इसलिए मैं तुम्हें यहां पर लेकर आई हूं । ताकि तुम मेरा संदेश राजा तक पहुंचा दो ।
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आपके राजा के बड़े भाई का पुत्र उसने मेरी जिंदगी तबाह कर दी है । उसने मुझे पाने के लिए मेरे पति की हत्या कर दी थी, इसलिए मैंने भी उसकी हत्या कर दी है । यह लाश जो तुम देख रहे थे, जो मैंने अभी-अभी दफनाई है यह उसी राजकुमार की है । वह पैसों का लालच देकर मुझे अपना बनाना चाहता था । लेकिन जब मैंने इसका प्रस्ताव ठुकराया तो उसने मेरे पति को ही मार दिया । यह दूसरी कब्र मैंने खुद के लिए खोदी है, इसके ठीक बगल में मेरे पति की कब्र है मैं चाहती हूंँ तुम मुझे यहीं पर दफना दो ।
पूर्व सेनापति बोला- मैंने बहुत कोशिश की उसे समझने की, लेकिन वह नहीं मानी और उसने तलवार लेकर अपना गला काट लिया और मैंने उसकी अंतिम इच्छा पूरी की, उसकी लाश को उसके पति की लाश के साथ दफना दिया । और इस तरह यह कहानी समाप्त हो गई ।
सेनापति फिर बोला- राजा, मैंने आज तक उस जैसी नारी नहीं देखी थी । वह एक साधारण स्त्री थी, लेकिन न जाने उसके भीतर यह बल कैसे आया होगा जो उसने अपने पति के लिए अपने ही प्राण त्याग दिए ।
ऐसा अद्भुत प्रेम देखकर क्या आपको अभी-भी लगता है कि सारी स्त्रियों को हत्या कर देनी चाहिए ।
यह सुनकर राजा अत्यंत भावुक हो गए और कहने लगे- मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूंँ, मैं समझ चुका हूंँ कि इस संसार में सभी अलग लोग है और किसी एक के धोखे की सजा हमें बाकियों को नहीं देनी चाहिए ।
ऐसा कहकर राजा वहां से चला गया और धीरे-धीरे स्त्रियों के प्रति उसकी दृष्टि बदलती गई।
कहानी से शिक्षा
यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है यदि जीवन में हमें धोखा मिला हो, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी दुनिया ही धोखेबाज है । हर एक इंसान की एक अलग शख्सियत होती है सबको एक पैमाने पर तोलना हमारी एक बहुत बड़ी भूल है ।
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