7 मोटिवेशनल और प्रेरणादायक कहानियां | Short Motivational and Inspirational Stories in Hindi
7 Short Motivational and Inspirational Stories in Hindi हमारे जीवन में कहानी का एक अलग ही महत्व होता हैं । अगर आप किसी इंसान को कुछ अच्छी बातें समझाते हैं तो कुछ लोग होते हैं जो समझाई गयी बातों पर ध्यान ही नहीं देते । लेकिन यही बात अगर कहानी के जरिये समझाई जाये तो लोग कहानी बड़े ध्यान से सुनते हैं । बड़े इंसान हो या छोटे सब लोग कहानी को पसंद करते हैं और ध्यान से सुनते हैं, इसलिए मैं भी आपको Motivate करने लिए Motivational Stories लेकर आया हूँ जो आपको बहुत पसंद आने वाली हैं ।
Table of Contents
(1) सलाह नहीं, साथ चाहिए – Motivational Story in Hindi
एक दिन, एक पक्षी समुद्र में से पानी अपनी चोंच में भरकर बाहर फेंक रहा था । एक दूसरा पक्षी जब इसे देखता है, तो उससे पूछता है, ‘तू यहाँ क्या कर रहा है?’
पहला पक्षी कहता है, ‘मेरे बच्चे समुद्र में डूब गए हैं, इसलिए मैं पानी को सुखा रहा हूँ।’
दूसरा पक्षी हंसते हुए कहता है, ‘तू यह कैसे सोच सकता है कि तू समुद्र को सुखा सकेगा? तू छोटा है और समुद्र इतना बड़ा है, तेरा पूरा जीवन भी कम पड़ जाएगा।’
पहला पक्षी दूसरे पक्षी से सिर्फ इतना कहा, ‘सलाह नहीं, साथ चाहिए।’
इस पर, दूसरा पक्षी भी उसके साथ मिल जाता है। इसी तरह हजारों पक्षी आकर दूसरों से कहने लगीं कि सलाह नहीं, साथ चाहिए।
जब भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने यह सब देखा तो वे भी इस मुद्दे पर गौर करने लगते है और फिर पक्षियों की मदद करने के लिए जाने लगते हैं। तब भगवान विष्णु पूछते हैं, ‘तुम कहाँ जा रहे हो गरुड़? तुम अगर वहां गए तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुद्र को सुखाने में क्या मदद कर सकते हो?’
गरुड़ जवाब देता है, ‘भगवान, सलाह नहीं, साथ चाहिए।’
फिर क्या हुआ? भगवान विष्णु जी भी समुद्र को सुखाने निकल पड़ते हैं। भगवान के आने पर समुद्र डरकर उस पक्षी के बच्चों को वापस दे देता है।
कहानी का सार : इसी तरह आपको आपके जीवन में बहुत लोग मिलेंगे जो तरह तरह का ज्ञान देंगे कि तू ऐसा करलें वैसा करलें लेकिन सच्चा मित्र वही हैं जो सलाह के साथ-साथ, साथ भी दें । इसलिए अब जब भी कोई इसी तरह का ज्ञान दें तो उनसे कहें “सलाह नहीं, साथ चाहिए” ।
(2) एक चिड़ियाँ और पेड़ की कहानी – Inspirational Story in Hindi
नमस्कार दोस्तों ! आज मैं आपको एक छोटी सी कहानी सुनाऊंगा जिसे सुनकर आप कभी भी अपने माता पिता की रोक टोक से परेशान नहीं होंगे ।
एक बार एक चिड़ियाँ अपना घोंसला बनाने के लिए अच्छी जगह तलाश कर रही थी । उड़ते उड़ते चिड़ियाँ एक जंगल में जा पहुंची । जगंल में उसने एक नदी के किनारे दो पेड़ देखें । चिड़ियाँ उड़कर पेड़ के पास गयी और पेड़ से बोली, “क्या मैं आपके पेड़ पर घोंसला बना सकती हूँ ?” पेड़ ने चिड़ियाँ को घोंसला बनाने के लिए मना कर दिया ।
इसके बाद चिड़ियाँ ने दूसरे पेड़ से पूछा, “क्या मैं आपके पेड़ पर घोंसला बना सकती हूँ ?” दूसरे पेड़ ने चिड़ियाँ को घोंसला बनाने की अनुमति दे दी । चिड़ियाँ ने बड़ी ही मेहनत से उस पेड़ की डाल पर सुन्दर सा घोंसला बना दिया और उसमें रहने लगी । कुछ दिनों बाद चिड़ियाँ ने बच्चों को जन्म दिया ।
समय गुजरता गया । एक दिन नदी का पानी बढ़ने लगा । जिसके कारण जिस पेड़ ने चिड़ियाँ को घोंसला बनाने के लिए मना किया था वह उखड़कर बहने लगा । यह देखकर चिड़ियाँ ने पेड़ से कहा, “जो किसी दूसरे की मदद नहीं करते हैं उनके साथ यही होना चाहिए ।” यह सुनकर पेड़ ने बड़ी ही विनम्रता से चिड़ियाँ से कहा, “ऐसा नहीं हैं की मैंने अहंकार की वजह से तुम्हें मेरे ऊपर घोंसला बनाने के लिए मना किया था । दरअसल मेरी जड़े बहुत कमज़ोर थी और मैं नहीं चाहता था कि जैसे आज में बह रहा हूँ वैसे तुम्हारे बच्चें भी पानी में बह जाये इसलिए मैंने मना किया था । “
पेड़ की बात सुनकर चिड़ियाँ को एहसास हुआ कि पेड़ ने उसके भले के लिए घोंसला बनाने से मना किया था ।
तो दोस्तों इस कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि कभी भी जब आपको किसी चीज़ के लिए रोका या टोका जाये तो आपको समझना चाहिए कि उसके पीछे की वजह क्या हैं और साथ ही उसमे आपकी क्या भलाई छुपी हैं ।
कभी कभी हमें रात को कहीं जाना होता हैं और हमारे माता पिता हमें रात को बाहर जाने से रोकते हैं । वो ऐसा हमारी भलाई के लिए करते हैं न की रौब जमाने के लिए ।
(3) मन का भ्रम – Short Motivational and Inspirational Stories
सांप चूहे और किसान की Motivational कहानी ।
किसी गांव में एक किसान रहता था । उसके पास एक बहुत बड़ा खेत था । वह दिन में खेती करता और रात को घर सोने के लिए आ जाता । जब खेती की फ़सल बड़ी हो गयी तो फ़सल की रखवाली करने के लिए किसान खेत में ही खाट बिछाकर सोने लगा । उसी खेत में एक चूहें ने भी अपना एक बिल बना रखा था । जैसा की खेत चारों तरफ़ से खुला रहता है, एक दिन खेत में छोटा सांप का बच्चा आ गया और वही रहने लगा । किसान को सांप के बारे में नहीं पता था कि वो उसके खेत में रहता हैं ।
एक दिन रात के समय चूहा सांप से बचते हुवे भाग रहा था । किसान अपनी खाट पर पैर लटकाएं बैठा था । वें दोनों किसान के पास से गुज़रे तो सांप ने किसान के पैर पर काट लिया । जब किसान ने नीचे झुककर देखा तो उसे सिर्फ़ चूहा नज़र आया । किसान ने पैर हाथ फेरा और बेचैन होकर सो गया । वह सांप का बच्चा था इसी वजह से सांप ज्यादा जहरीला नहीं था । किसान को कुछ नहीं हुआ और वह रोज़ की तरह काम करता और सो जाता ।
समय गुजरता रहा और देखते ही देखते कुछ महीनें गुजर गए । एक दिन वापस किसान को रात के समय खेतों में रुकना पड़ा । जब किसान रात के समय खेतों में इधर उधर हो रहा था तब उस चूहें ने किसान के पैर पर काट लिया । किसान ने जब जल्दी से अपने आस पास देखा तो उसे अबकी बार भागता हुआ वह सांप नज़र आया जो की अब बड़ा हो चुका था ।
किसान ने जब उस सांप को देखा तो उसके होश ही उड गए । तुरंत उसके माथे पर पसीना आ गया और वह चक्कर खाकर गिर पड़ा । सवेरे तक वह खेत में पड़ा रहा । इसके बाद जब घरवालों को इसकी जानकर हुई तो उसका इलाज करवाया । महीनों तक किसान का इलाज चलता रहा फिर भी वह ठीक नहीं हुआ । ठीक होता भी कैसे ? इलाज चल रहा था सांप का काटने का जबकि सांप ने नहीं काटा था । यह किसान का सिर्फ़ भ्रम था, और वह उसी समय ठीक हो जाता अगर उसका भ्रम दूर होता ।
आप थोड़ा कभी अपने जीवन या मन में झांकना, आप जल्द ही समझ जाओगे कि आपके जीवन में ज्यादातर दुःख और चिंताए इसी तरह के भ्रम की वज़ह से हैं । आप ध्यान से समझोगे तो पाओगे कि आपके जीवन के अधिकांश दुःख ऐसे हैं जिनका अस्तित्व ही नहीं हैं, मतलब आप जीवनभर उसका इलाज करवाते रहते हो जिसका अस्तित्व ही नहीं हैं ।
अब आप ही बताएं जिस चीज़ का अस्तित्व ही नहीं हैं उसका इलाज कैसे हो सकता हैं ? नहीं हो सकता ना ! बस इसी कारण आपके जीवन के दुःख दर्द हो शारीरिक व मानसिक बीमारियां, एक बार गले पड़ जाती हैं तो पड़ ही जाती हैं ।
अगर आप सचमें अपने जीवन के संकटों व संघर्षों से बाहर निकलना चाहते हो तो सारे इलाज करवाना बंद कर दो और सबसे पहले पता करो कि आप सचमें उस संकट में हैं भी या नहीं ।
कहीं संकट में होना आपका भ्रम तो नहीं । ज्यादातर संकटों पर गौर करने पर आपको पता चल ही जायेगा कि ये सिर्फ़ आपका भ्रम हैं । बस तो आज से ही संकट होने का भ्रम तोड़ दो । कुछ ही समय में आपको दुखों से मुक्ति मिल जाएगी ।
(4) सेठ की चिंता और गरीब की शांति – Hindi Short Story
आज हम कहानी सुनाने वालें एक ऐसे सेठ की जो बहुत अमीर था । बहुत ज्यादा अमीर होने के कारण उसे अपने नौकरों पर भी विश्वास नहीं था । सेठ को डर था कि रात को सोते समय सभी नौकर मिलकर पैसों के लिए उसे मार न दें । इसलिए रात के समय किसी भी नौकर को घरमें रुकने नहीं देता था । वह रात को सोने से पहले घरके सभी खिड़की दरवाजों पर ताला लगाकर सोता था । घर के बाहर चौकीदार तो थे लेकिन सेठ को किसी पर भी भरोसा नहीं था । इसलिए सेठ रात को कभी चैन से नहीं सो पाता था ।
उसी सेठ के घर के सामने एक झोंपड़े में एक आदमी रहता था । वह बहुत गरीब आदमी था । न बीवी न बच्चें । न झोपड़ें पर दरवाजा । दिन में काम पर जाता और जो भी मिलता उससे खाना खाता और चैन से सो जाता ।
एक दिन सेठ ने गौर किया कि एक आदमी उसके घर के सामने झोपड़े में रहता हैं और उस झोपड़े का दरवाजा तक ही नहीं हैं । सेठ को ये बात थोड़ी अजीब लगी । सेठ उस आदमी के पास गया और उससे बोला कि तुमने अपने घर पर दरवाजा क्यों नहीं लगा रखा । उस आदमी ने जवाब दिया, “साहब दरवाज़े की क्या जरूरत हैं, मेरे पास ऐसा कुछ हैं ही नहीं जो चुराया जा सकें !”
सेठ जब झोपड़े के अंदर की तरफ़ झाँका तो उसे आदमी की ग़रीबी का एहसास हुआ । सेठ ने उसकी बात से खुश होकर उसे 10 हजार रुपए दे दिए और अपने घर आ गया ।
आज की यह रात उस आदमी के लिए गज़ब हो गयी । अब आदमी उन पैसों को कहाँ रखें ? न कोई तिजोरी , न कोई दरवाजा । आदमी ये सोच सोचकर डरने लगा की चोर आ गए तो क्या होगा । वह आदमी इतना डर गया कि पूरी रात सो नहीं पाया । अगले दिन जैसे ही सुबह हुई वह तुरंत सेठ के घर गया ।
आदमी ने सेठ से कहा, “ये पैसे क्या थे आफ़त की पुड़िया थी । इनके चक्कर में कल पूरी रात में सो नहीं सका इन्हें आप ही रखें ” ।
(5) इंसान मेहनत से आगे बढ़ता हैं या भाग्य से ? – Short Inspirational Story
मेरे मन में अक्सर यह सवाल उठता ही रहता हैं कि इंसान मेहनत से आगे बढ़ता हैं या भाग्य से ? इसका जवाब मुझे एक कहानी के माध्यम से मिला ।
मेरी तरह किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से यही सवाल किया कि “इंसान मेहनत से आगे बढ़ता हैं या भाग्य से” ? दूसरे ने उसको समझाते हुए पूछा क्या आपके पास किसी बैंक में लॉकर हैं?
उस लॉकर की चाबियाँ ही इस सवाल का जवाब हैं ! पहले व्यक्ति ने पूछा, “कैसे ?”
दूसरे व्यक्ति ने कहा, “देखो और समझो, बैंक के लॉकर की दो चाबियां होती हैं । एक चाबी मैनेजर के पास होती हैं और एक चाबी आपके पास होती हैं । जब तक दोनों चाबी एक साथ एक समय पर नहीं लगती लॉकर नहीं खुल सकता ।
इसी तरह आप मेहनत करने वाले इंसान हैं और मैनेजर भगवान । आपको अपनी चाबी लगाते रेहनी चाहिए क्योंकि पता नहीं कब भगवान अपनी चाबी लगा दें । और ऐसा भी ना हो की भगवान आपके भाग्य की चाबी लगा रहा हो लेकिन आप परिश्रम वाली चाबी नहीं लगा रहे है ऐसी परिस्तिथि में ताला कभी नहीं खुलने वाला । “
इसलिए मेहनत और भाग्य, दोनों ही कामयाबी की चाबी हैं । इन दोनों के बिना कोई भी सफल नहीं हो सकता ।
(6) महात्मा की सीख – Motivational Story
किसी जगह एक सेठ रहा करता था । उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन फिर भी वह व्यवसाय करना व धन कमाना उसका बड़ा शोक था । उसका हँसता खेलता पूरा परिवार भी था लेकिन सब कुछ होते हुवे भी वह सुखी नहीं था । हंसना, खेलना, मौज करना इन सबका दूर दूर तक उसके जीवन में कोई नामोनिशान नहीं था । बस इन्ही बातों को लेकर वह बहुत परेशान रहता था ।
एक बार कही से एक ज्ञानी महात्मा वहां आये । वे तो उस सेठ को देखकर ही समझ गए कि सब कुछ होते हुवे भी वह सुखी नहीं हैं । इसके बाद सेठ ने अपनी परेशानी बताते हुवे महात्मा के सामने अपना दुःखडा रोना शुरू किया । और हाथ जोड़कर महात्मा के पैरों में गिरकर बोला, “मेरे पास सब कुछ हैं, पर जीवन में प्रसन्नता नहीं हैं । आप कुछ भी करो महाराज लेकिन मेरा जीवन प्रसन्नता से भर दो ” ।
सन्यासी हँसते हुवे बोले, “ये करना तो मेरे लिए पल भर का काम हैं, बस उसके लिए तुम्हें मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी । लेकिन शायद तुमसे होगी नहीं तो फिर रहने ही दो !”
सेठ बोला, “कैसी बात करते हो महाराज जी ! जीवन में प्रसन्नता पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ ।”
महात्मा ने जब सेठ की बात सुनी तो उन्होंने अपने पास से एक छोटा सा घड़ा निकाला और वह सेठ को देते हुवे बोले, “बस इसे सोने और हिरे मोती से भरकर मुझे दे दो ।”
अब सेठ के पास तो बहुत सारा धन था । वह झट से दौड़कर गया और दोनों हाथों से खजानें में से सोने की मोहरें घड़े में भरने लगा । लेकिन घड़ा भरा नहीं, सेठ को देखा तो वह फिर से घड़ा भरने लगा । सेठ घड़े के आकर से ज्यादा सोने की मोहरें घड़ें में डालने लगा लेकिन घड़ा भरने का नाम ही नहीं ले रहा था ।
धीरे धीरे खजाना खाली होता जा रहा था लेकिन घड़ा भरने का नाम नहीं ले रहा था । उधर अपने घड़े का यह खेल देखकर महात्मा मंद मंद मुस्कुरा रहे थे । बहुत देर तक सेठ खजाना भरता रहा और परेशान हो गया । काफी देर बाद सेठ का सारा धन घड़े में समा गया लेकिन वो घड़ा नहीं भरा ।
निराश होकर सेठ महात्मा के पैरों में गिर पड़ा और दोनों हाथ जोड़कर पूछने लगा, “महाराज! यह घड़ा किस मिट्टी से बना हैं जो मेरा पूरा धन हजम करने के बाद भी नहीं भर रहा हैं?”
महात्मा हँसते हुवे बोले, “यह आकांशा और महत्वकांशा की मिट्ठी से बना हैं ! तुम अपनी ही क्या पुरे संस्कार का धन भी इसमें डाल दो तो भी यह नहीं भरने वाला । बस यही हाल तुम्हारा भी हैं, तुम्हारे मन, बुद्धि की कहत्वाकांक्षाए इतनी मजबूत हो गयी हैं कि कितना भी कमा लो तुम्हारा मन भर नहीं रहा हैं । जबकि जीने के लिए जितना धन चाहिए उससे कई गुना धन पहले से ही तुम्हारे पास हैं । जिस दिन तुम इस महत्वकांशा के जाल को तो दोगे उस दिन तुम्हारे जीवन में यह भागना दौड़ना समाप्त हो जायेगा और ततुम्हें आनंद व प्रन्नता की प्राप्ति होगी । “
यह सुनकर सेठ गिड़गिड़ाते हुवे बोला , “आपकी बात तो समझ आ गयी लेकिन अब क्या ? मेरा पूरा धन तो आपका घड़ा खा गया ।”
महात्मा ने हँसते हुए घड़ा उलट दिया और सारा खजाना घड़े से बाहर आने लगा और कुछ ही देर में खजाने के ढेर वापस लग गया । सेठ को अपना धन वापस मिल गया तो वह बहुत खुश हो गया । इसके बाद सेठ का जीवन ही बदल गया । उसने सबसे पहले अपने जीवन से सारी फालतू की व्यावसायिक भागदौड़ हटा दी । इसके साथ ही वह अपने घर परिवार के लिए दिल खोलकर खर्च करने लगा और समय भी देने लगा । फिर क्या था, कुछ ही दिनों में ही उसके जीवन ने ऐसी करवट ली कि आनंद और संतोष के शिखर पर जा बैठा ।
कहानी का सार :- आप भी अपने जीवन को ध्यान से देख लेना कही आपकी महत्वकांक्षाए भी आपको इस कदर दौड़ा तो नहीं रहीं ? ऐसा तो नहीं कि धन के लालच ने आपको इतना अँधा कर दिया कि आपके पास ना तो अपने लिए समय हैं और ना ही आपका कमाया धन आपके काम आ रहा हैं? यदि ऐसा हैं तो आज ही सम्भल जाओ ।
(7) मुर्ख कौन ? – Best Motivational Story
एक बार एक व्यक्ति था जिसकी हरकतें बहुत अजीबों गरीब थी जिसके चलते कुछ लोग उसे पागल समझते थे । अजीबों गरीब हरकतों से मतलब कि जैसे सवारी करते समय घोड़े पर पीछे की तरफ़ मुँह करके बैठना, कभी केले को फेंक देना और छिलका खा जाना ।
एक बार वह किसी गांव के बाज़ार से होकर गुजरा । कहाँ उसने ख़जूर देखें और खरीदने पहुंच गया । उसने कुछ ख़जूर दुकानदार से ले लिए और जब पैसे देने की बारी आयी तो उसने पायजामें की जेब को टटोला जिसमें उसको कुछ नहीं मिला । इसके बाद उसने अपने जूते उतारे और ज़मीन पर बैठकर जूता ऊपर करके पैसे उसमें ढूंढने लगा । उसकी यह हरकतें देखकर बाज़ार में भीड़ लग गयी ।
हद तो यह हो रही थी की वो व्यक्ति पैसे ढूंढते जा रहा था और ख़जूर खाये जा रहा था । दुकानदार को चिंता होने लगी कि एक तो ये उटपटांग जगहों पर पैसे ढूंढ रहा हैं ऊपर से बिना पैसे चुकाए ख़जूर भी खाये जा रहा हैं अगर इसके पास पैसे नहीं हुवे तो क्या वो ख़जूर उसके पेट से निकालेगा । अभी दुकानदार सोच ही रहा था कि उस व्यक्ति ने सर से टोपी उतारी और उसमे पैसे ढूंढने लगा
इस बार दुकानदार से रहा नहीं गया उसने उस व्यक्ति से कहा, “अरे! सीधे सीधे कुर्ते की जेब में क्यों नहीं देख लेते ?”
इस पर वह व्यक्ति बोला, “लो ये पहले क्यों नहीं सुझाया ” कहते कहते उसने जेब में हाथ डाला, पैसे निकालकर दुकानदार को देते हुवे फिर से बोला, “वहां तो थे ही, मैं तो बस ऐसे ही चांस ले रहा था । “
यह सुनते ही पूरी भीड़ उस आदमी पर हंस पड़ी । भीड़ में से एक आदमी ने कहा, “लगता हैं कोई पागल हैं, जब मालूम था कि पैसे कुर्ते की जेब में हैं फिर भी यहां वहां पैसे ढूंढ रहा था ? “
अब उस व्यक्ति की बारी आयी, जो बात कहने के लिए उसने ये पूरा नाटक रचा था, वह बात अब कहने का वक़्त आ गया । उसने गंभीरता से सभी लोगों से कहा, “वाह रे दुनियाँ वालों ! मैं पागल सिर्फ़ इसलिए माना जा रहा हूँ कि जहां पैसे रखे थे, वहां नहीं ढूंढ रहा हूँ ।
लेकिन मेहरबानी करके तुम सब एक बार अपने गिरेबान में भी झांक लेना कि यह जानते हुवे भी कि ईश्वर दिल में बसा हुआ हैं फिर भी तुम लोग उसे बाहर मंदिरों मस्जिदों में खोजते हो । अगर मैं पागल हूँ तो तुम लोग महापागल हो क्योंकि मैं तो छोटी सी बात पर यह मुर्खता कर रहा था लेकिन तुम लोग तो विश्व के सबसे अटल सत्य के मामलें में मुर्खता कर रहे हो ।”
कहानी का सार :- कभी कभी जीवन में परेशानियों का इलाज हमारे पास होता हैं लेकिन हम उसका इलाज बाहर खोजते रहते हैं ।
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