तेनालीराम की चतुराई से कैसे पकड़े गए चोर | तेनाली राम की कहानी No. 2
तेनालीराम कृष्ण देव राय के दरबार के एक महान कवि थे। वह अपनी बुद्धि, तर्क और चतुराई के लिए प्रसिद्ध थे। इस कहानी में जानते हैं, तेनालीराम की चतुराई से कैसे पकड़े गए चोर ।
विजयनगर नामक जगह पर कृष्णदेव राय का साम्राज्य था । कुछ वक्त से उनके साम्राज्य में चोरिया ज्यादा होने लगी थी। कृष्ण देव ने साम्राज्य में कड़े प्रबंध किए हुए थे, इतने कड़े प्रबंध के बाद भी चोरियों की घटना घटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
उन्हें चिंता सताने लगी इसलिए उन्होंने सभा में मंत्रियों आदि से चर्चा की , इतने प्रबंध के बाद भी आखिर क्यों यह चोरियां रुकने का नाम नहीं ले रही है । इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने तेनालीराम पर भरोसा किया। राजा कहने लगे तेनाली हमारा सारा प्रबंध असफल हो चुका है । अब तुम ही हमारी आखिरी उम्मीद हो ।अपने साथ जितने सैनिकों को ले जाना हो ले जाओ और इस समस्या का समाधान करो ।
यह सुनकर तेनाली हल्का-सा मुस्कुराए और कहा महाराज मुझे इतने सैनिकों की आवश्यकता नहीं है । एक सप्ताह के भीतर ही मैं उन चोरों को पकड़ लूंगा ।
यह सुनकर सभा में बैठे सारे मंत्री हंसने लगे और कहने लगे। महाराज हमारे इतने प्रबंध के बाद भी यदि हम चोर को नहीं पकड़ पाए तो तेनाली अकेला कैसे यह कार्य कर पाएगा ।
महाराज कहने लगे मुझे तेनाली की बुद्धिमत्ता पर यकीन है अवश्य ही तेनाली इस समस्या का समाधान निकाल लेगा। यह सुनकर तेनाली ने आभार व्यक्त किया और कहा महाराज आप निश्चिंत रहिए मैं इस समस्या का समाधान निकाल लूंगा।
तेनाली ने अपनी गोपनीयता बचाकर नगर में यह खबर फैला दी कि सेठ लक्ष्मी चंद्र जो की एक बहुत बड़े जोहरी है । उनके गुरु ने उनको एक मंत्र दिया है, जिससे कि यदि वह उस मंत्र को पढ़कर अपनी सभी तिजोरिया खोल कर भी सो जाए, तो भी उनका धन चोरी नहीं हो सकता । धीरे-धीरे यह खबर पूरे नगर में फैल गई ।
यह सब जानकर वह चोर बहुत खुश हुए और सोचने लगे। यह तो अच्छा मौका है । हम आज रात जाकर ही उस सेठ का सारा धन चुरा लेंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा।
उन्होंने ऐसा ही किया रात होने पर वे सेठ के घर पहुंचे, देखा तो उनकी तिजोरी खुली हुई थी । धन देखकर उन्होंने बिल्कुल भी देर नही की और अपने थैले में सारा धन समेट कर वह भाग गए ।
एक सप्ताह बीतने के बाद
तेनाली सभा में उन चोरों के साथ उपस्थित हुए और महाराज से कहने लगे। महाराज यह रहे आपके गुनहगार जो चोरी किया करते थे । महाराज ने देखा उन चोरों के साथ उनका पुराना मंत्री भी था, उन्होंने पूछा तेनाली यह तो हमारा पुराना मंत्री है तुम इनको क्यों लेकर आए हो।
तेनालीराम की चतुराई से कैसे पकड़े गए चोर
तेनाली कहने लगा महाराज मैं आपको विस्तार में बताता हूं । मैंने नगर में झूठी खबर फैलाई थी, कि सेठ लक्ष्मी चंद के पास उनके गुरु द्वारा दिया गया एक जादू मंत्र है । जिसे पढ़कर यदि वह तिजोरी खोलकर भी सो जाए ,तब भी उनका धन कोई नहीं चुरा सकता। यह खबर इन चोरों तक पहुँचाने के लिए फैलाई गई थी । सेठ लक्ष्मी चंद की मदद से कमरे के फर्श और दीवारों पर काला रंग कर दिया गया था। जिससे कि उनके दोनों पैर और हाथ में काला रंग लग जाए , उस काले रंग की सहायता से हमने चोरों का पीछा किया ।
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दोनों चोरी करने के बाद अपने सेठ के पास पहुँचे, जो की हमारे राज्य का पुराना मंत्री था । इसी से ही हमें पता चल गया । नगर में यह सारी चोरियां हमारा पुराना मंत्री करवा रहा था । महाराज ने चोरों और अपने पुराने मंत्री को जेल में डलवा दिया और इस तरीके से विजयनगर चोरों से मुक्त हो गया ।
कृष्णदेव राय ने तेनालीराम की तारीफ करी और कहा तेनाली तुम कभी भी मुझको निराश नहीं करते । सचमुच तुम तर्क और बुद्धि के धनी हो । एक बार फिर से तेनाली ने अपनी बुद्धिमता का परिचय दिया।
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