कमजोर हो तो चुनौती उठाओ – Acharya Prashant Motivational Speech

Acharya Prashant Motivational Speech
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“कमजोर हो तो चुनौती उठाओ ।” आज की कहानी महान आचार्य प्रशांत जी से संबंधित है । जैसे पुराने ऋषि-मुनि और शिष्यों के बीच प्रश्न-उत्तर में संवाद होता था, उसी प्रकार आज के युग में भी आचार्य प्रशांत अपने सभी शिष्यों के प्रश्नों का उत्तर बिल्कुल जमीनी भाषा में देते हैं । जो लोगो को बहुत आसानी से समझ आ जाता है। जानते हैं कैसे आचार्य जी ने एक शिष्य के प्रश्न का उत्तर देकर, उसे सही रास्ता दिखाया ।

Acharya Prashant Motivational Speech in Hindi

आचार्य प्रशांत के प्रेरणादायक विचार “कमजोर हो तो चुनौती उठाओ ।”
आचार्य प्रशांत जी का सत्र प्रारंभ होता है और एक शिष्य माइक लेकर उनसे प्रश्न करता है- आचार्य जी, मैं जीवन के हर क्षेत्र में बहुत कमजोर हूंँ । मैं जब भी कोई काम करता हूंँ उसे बीच में ही छोड़ देता हूंँ । मैं आपसे यह जानना चाहता हूंँ कि मैं अपनी कमजोरी को कैसे हटाऊ?

आचार्य प्रशांत- तुम्हें कैसे पता कि तुम कमजोर हो?
शिष्य-
क्योंकि मुझसे कोई काम नहीं होता, इसलिए मैं कह सकता हूंँ मैं कमजोर हूंँ ।
आचार्य प्रशांत- अच्छा, ईमानदारी से बताओ, क्या तुमने सचमुच जो काम किए थे उसमें अपना सौ प्रतिशत दिया था ?
शिष्य- नहीं, आचार्य जी ।
आचार्य प्रशांत- तो फिर कैसे कह सकते हो कि कमजोर हो ! जब पूरी ताकत ही नहीं लगाई ।
शिष्य आगे कुछ नही बोल पाया, बस उन्हें ध्यान से सुनने लगा ।

आचार्य जी का जो उत्तर था वह सिर्फ उस शिष्य के लिए नहीं था, हम सभी के लिए था

आचार्य प्रशांत बोले- यही तो समस्या है हम लोगों के जीवन की, कि हम चुनौती भी ऐसी ढूंढते हैं बिल्कुल छोटी । अगर खुद को मजबूत करना है तो बड़ी चुनौती उठाओ । कमजोर सिर्फ तब तक ही हो, जब तक कुछ कर नहीं रहे हो । जब सचमुच तुम्हें कुछ करना होगा, तो अपना सौ प्रतिशत ही दोगे ।
आज के युग में कमजोरी सबसे बड़ी सजा है इसलिए ताकत अर्जित करने के लिए, जो कुछ करना पड़े करो । “कमजोरी सबसे बड़ा गुनाह होता है, जीवन में कुछ भी हो जाए पर कभी कमजोर मत रह जाना ।”

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आचार्य जी फिर बोले- यह दुनिया बस कमजोर लोगों को ढूंढती हैं ताकि वह उनका शोषण कर सके, क्या तुम लोग ऐसा जीवन जीना चाहते हो? इसमें तुम लोगों के द्वारा शोषित हो । अगर नहीं तो अपने जीवन में से हर प्रकार की कमजोरी को हटा दो । कमजोरी को हटाने में दर्द होगा, तकलीफ होगी, पुराने मानसिक धर्रे टूटेंगे लेकिन अगर ताकत चाहिए तो उस दर्द को झेल जाना । “दर्द भी झेलना है तो ऐसा दर्द झेलो, जो कमजोरी को मिटाने के लिए हो ।”
जिंदगी को यूं ही बर्बाद मत करो! जिंदगी में घुस-घुस कर देखो की कौन-कौन सी कमजोरी है और पूरी ऊर्जा के साथ उन कमजोरी को मिटाने में लग जाओ ।


दिन-रात कमजोरी का रोना मत रोना । यहां पर तुम्हारे आंसू की कोई कीमत नहीं है । अभी से शुरुआत करो और धीरे-धीरे समझोगे की कमजोरी बस यही है कि हम कुछ नहीं करना चाहते जैसे-ही कुछ करने लगोगे, तब समझ आएगा कि ताकत तो पहले से ही भीतर थी । जो चीज है ही उसके लिए क्यों परेशान होते हो ।

आचार्य जी का उत्तर सुनकर शिष्य को जैसे अपने ही मन में बैठी हुई कमजोरी साफ-साफ दिखने लगी और उसे समझ आने लगा कि अगर मुझे अपनी कमजोरी को मिटाना है तो मुझे इतनी बड़ी चुनौती अपने ऊपर लेनी होगी, जिसे पूरा करने के लिए दिन-रात भी कम पड़ जाए ।
इस प्रकार शिष्य को आचार्य जी ने उसका उत्तर दे दिया और वह निकल पड़ा, अपनी कमजोर जिंदगी में ताकत भरने ।

यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अपनी जिंदगी में चुनौतियों को उठाना सीखना होगा, तभी हम एक मजबूत और ताकतवर इंसान बन पाएंगे । आज से ही अपनी पूरी ऊर्जा खुद को मजबूत बनाने में लगा दो ।

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