बिना संघर्ष जीवन नहीं : महात्मा बुद्ध का ज्ञान | Best Motivational Story in Hindi |
बिना संघर्ष जीवन नहीं: यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की हैं जो अपने जीवन से बहुत परेशान रहता था। उसका मानना था की पशुओं का जीवन मानव जीवन से बेहतर हैं, उन्हे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं रहती हैं।
तो आईए जानते है फिर महत्मा बुद्ध ने उसकी सोच को कैसे बदला, और कैसे यह समझाया कि मनुष्य का जीवन ही सबसे बेहतर है।
एक व्यक्ति एक मार्ग में तेजी से आगे बढ़ रहा था। अचानक वह दूसरे व्यक्ति से टकरा गया। इस पर दूसरा व्यक्ति क्रोधित होकर कहता है, “अरे जानवर, क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता? अंधाधुंध आगे बढ़ते जा रहे हो।”
इस पर पहला व्यक्ति कहता है, “काश! आप, जो कह रहे हैं, वह सत्य होता, लेकिन दुर्भाग्यवश, मैं एक मनुष्य हूं।” इस पहले व्यक्ति की इस बात को सुनकर दूसरे व्यक्ति का क्रोध शांत हो गया।
वह उस पहले व्यक्ति से कहता है, “लगता है तुम बहुत दुखी हो, नहीं तो तुम सौभाग्य की बात को दुर्भाग्य की बात नहीं कहते। क्योंकि एक मनुष्य का जीवन पाना सौभाग्य की बात होती है। मनुष्य का जीवन बड़ी कठिनाइयों से मिलता है, और तुम इसे बेकार समझते हो और एक जानवर होना चाहते हो।”
तब वह पहला व्यक्ति कहता है, “क्या आपने कभी एक जानवर को आत्महत्या करते देखा है? क्या आपने किसी जानवर को दूसरे जानवर को धोखा देते देखा है? क्या आपने किसी जानवर को अपने कल और आज के लिए परेशान होते हुए देखा है? ऐसे में एक मनुष्य का जीवन सौभाग्य की बात कैसे हो सकती है? इससे अच्छा तो जानवरों का जीवन हैं, हम तो जानवरों से भी बदतर हालात हैं। “
वह दूसरा व्यक्ति कहता है, “लगता हैं तुम बहुत दुखी हो, तुम्हारे जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं। यदि ऐसा है तो तुम्हें इसका समाधान महात्मा बुद्ध के पास मिलेगा।”
तब पहला व्यक्ति कहता है, “महात्मा बुद्ध कौन हैं? कोई साधु हैं, महात्मा हैं या कोई ऋषि मुनि हैं। अगर इनमें से हैं तो वो मेरी कोई भी मदद नहीं कर सकते हैं। मैं ऐसे कई लोगों से मिल चुका हूं और इनके पास मेरे समस्याओं का कोई हल नहीं है।”
दूसरा व्यक्ति कहता है, “इनमें से वह कोई नहीं है, लेकिन वह क्या है? ये तो मैं भी नहीं जानता हूं, बस इतना पता है कि जो भी उनके पास अपनी समस्याएं ले कर जाता हैं, उसका समाधान बड़ी आसानी से होजाती है।” जो भी उनके पास आता है अपने सारे दुख-दर्द उनके पास छोड़कर चला जाता है। उस दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को लगा उसे महात्मा बुद्ध से मिलना चाहिए।
तब वह कहता हैं, “अगर तुम कहते हो, तो मैं उनसे भी मिल कर देख लेता हूं। उनमें ऐसी कौन सी बात है जो वो किसी के भी समस्या का समाधान बड़ी ही सरलता के साथ कर देते हैं?”
इतना कह कर वह व्यक्ति अगले दिन ही महात्मा बुद्ध से मिलने के लिए निकल गया। 4-5 दिनों की यात्रा करने के बाद वह महात्मा बुद्ध के पास पहुंचे।
मनुष्य जीवन हैं अनमोल
जब वह उनके पास पहुंचा, तो देखा कि वे अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर उपस्थित हर किसी का जीवन बहुत ही अनमोल है, परंतु मनुष्य जीवन सबसे ज्यादा अनमोल है। इसका उपयोग कर मनुष्य जीवन के उच्चतम श्रेणी पर पहुंच सकता है, और इसी मनुष्य जीवन के कारण पशुओं से भी निचली स्तर पर आ सकता हैं।
महात्मा बुद्ध का उपदेश समाप्त होते ही, वहां पर जो लोग बैठे थे वह चले गए। उसके बाद, वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा, प्रणाम करके कहता हैं- हे बुद्ध, आप कहते हैं कि मनुष्य का जीवन अनमोल है। आखिर हम मनुष्य के जीवन में ऐसी क्या बात है? हम मनुष्य के जीवन में कीमती होने जैसी क्या चीज हैं?
बिना संघर्ष जीवन नहीं
हम चिंता करते हैं, परेशान रहते हैं, हम अपने भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं, ऐसे ही कई तरह की समस्याओं से घिरे होते हैं। लेकिन आप क्या जाने, आप एक साधु हैं, आपने तो ये सारी चीजें त्याग दी हैं, इसलिए आप यह सभी बातें आसानी से कह सकते हैं। मुझे तो यही लगता हैं, मनुष्य का जीवन बहुत ही कठिन है, हमें इसे समाप्त कर लेना चाहिए।
आपने कभी पशुओं को देखा है ना, वे न तो चिंता करते हैं और न ही उन्हें किसी तरह की तकलीफ होती है। न वे किसी परेशानी में रहते हैं, वे अपना जीवन मौज मस्ती से जीते हैं, ना उन्हें अपने आज की चिंता होती है, और ना ही कल की चिंता होती है। उन्हें ना ही किसी से धोखा मिलता है, और ना ही किसी से शिकायत करते हैं, वे बस अपना जीवन जीते हैं और वहीं दूसरी तरफ मनुष्य ठीक इसके उल्टा अपना जीवन जीता है। मुझे तो यही लगता हैं की मनुष्य का जीवन पशुओं के जीवन से भी बदतर है।
मनुष्य जीवन एक श्राप हैं जो हमे मिला है। ऐसे में आपकों मनुष्य जीवन में ऐसी क्या विशेषताएं नज़र आती हैं जो आप लोगों से झूठ बोलते रहते हैं की हम मनुष्य का जीवन श्रेष्ठ जीवन है।
महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुन रहे थे और उसकी मनोदशा को समझ रहे थे। आखिर में, महात्मा बुद्ध मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से कहते हैं, “बालक, तुम अपने जीवन के संघर्षों से भाग रहे हो यदि तुम संघर्ष करोगे ही नहीं, तो जीवन सफल कैसे बनेगा? और जब हम संघर्षों से भागते हैं, तो हमारा जीवन दूसरों के अधीन हो जाता है, और हमें दूसरों के अनुसार चलना पड़ता है। इसलिए हमें अपने जीवन के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है।”
महात्मा बुद्ध के मुख से इस बात को सुनकर, वह व्यक्ति अचरज में पड़ गया। तुरंत ही वह महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया और उनके चरणों में जा गिरा। उसने कहा, “हे बुद्ध, आपको कैसे पता चला कि मैं अपने जीवन में संघर्षों से भाग रहा था? मैं समस्याओं से बचना चाहता हूँ और मेरे जीवन में जब भी कोई समस्या खड़ी होती है, तो मैं उसका सामना नहीं कर पाता, बल्कि मैं उसे छोड़कर भाग जाना चाहता हूँ।”
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महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति से कहते हैं, “तुम्हें लगता हैं पशुओं का जीवन हमसे लाख गुना अच्छा है, क्योंकि वह अपना जीवन खुद समाप्त नहीं करते है । वे ना किसी को धोखा देते हैं, ना ही भविष्य की चिंता करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि उनके जीवन में संघर्ष नहीं है। उनके जीवन में तो जन्म से लेकर मृत्यु तक संघर्ष ही होता है। जब वह छोटे होते हैं तो उन्हें अपनी जान का खतरा होता है, जिससे वो बचते रहते हैं, और जब वे बड़े होते हैं उस समय अपना पेट भरने के लिए संघर्ष करते हैं, चाहे उनके सामने कोई भी क्यों न हो, उनके सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, लेकिन वे संघर्ष करने से पिछे नहीं हटते। हम मनुष्य छोटे छोटे संघर्ष से डर जाते हैं, अगर हम मनुष्य उन पशुओं की तरह संघर्ष करना सीख जाए, तो हमारा जीवन अपने आप सफल हो जाएगा। इतना संघर्ष अगर एक मनुष्य अपने जीवन में कर ले तो, जो चाहता है वो हासिल कर सकता हैं जबकि इतना संघर्ष करने के बाद भी पशु अपने जीवन में कुछ नही कर पाता हैं।“
दुनियां का एक बहुत बड़ा सच यह भी हैं “बिना संघर्ष जीवन नहीं”।
तब बुद्ध ने कहा, “बिना संघर्ष के जीवन चल ही नही सकता चाहे वह राजा हो या भिखारी सबके जीवन में संघर्ष तो हैं ही, जो भी इन कठिन परस्थितियो के खिलाफ़ संघर्ष नही करता चाहे वह मानव हो या पशु उसका नष्ट होना तय है।”
तब उस व्यक्ति ने पूछा, “हे बुद्ध, क्या आप मुझे कोई ऐसी चीज दे सकते हैं जिससे मेरे जीवन के सभी संघर्ष हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो जाएं और मेरा जीवन हमेशा-हमेशा के लिए सुखमय बन जाएं?”
उस व्यक्ति की इस बात को सुनकर महात्मा बुद्ध फिर से मुस्कुराने लगे और उस व्यक्ति से कहते हैं, “बालक, मैं तुम्हें वो चीज तो नहीं दे सकता, लेकिन मैं तुम्हें वहां तक पहुंचने का मार्ग जरुर बता सकता हूं। यदि तुम वहां तक पहुंचने का संघर्ष कर लो, तो तुम वहां तक पहुंच जाओगे और तुम्हें वह चीज भी मिल जायेगी। लेकिन मेरी एक और बात याद रखना, ऐसा नहीं हैं कि इसके बाद से तुम्हारे जीवन से परेशानियां और समस्याएं खत्म हो जाएगी। तुम्हारे जीवन में परेशानियां और समस्याएं तो आएगी परंतु उनका प्रभाव तुम पर बहुत कम हो जाएगा। ऐसी परस्थिति में कोई तुम्हें कितना भी दुख देने का, धोखा देने का प्रयास क्यों न करे, तुम्हे कभी भी धोखा नही मिलेगा।
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वह व्यक्ति दोनों हाथ जोड़कर कहता है, “हे बुद्ध, बताइए वह चीज क्या है और मुझे कहां मिलेगी। मैं उस चीज को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं, मैं अपनी पूरे टन मन से प्रयास करूंगा, लेकिन उस चीज को हासिल करके ही रहूंगा।”
महात्मा बुद्ध बोले, “सोच लो, बालक एक बार तुमने उस रास्ते पर चलना शुरु कर दिया तो उस पर चलते ही रहना होंगा, जब तक की तुम अपनी मंजिल को पा नही लेते। और यह रास्ता अत्यंत संघर्षों से भरा होगा। क्या अब भी तुम अपनी मंजिल को पाना चाहते हो?”
तब वह व्यक्ति कहता हैं, “आप मुझे वह मार्ग बताइए, मैं उस मार्ग पर चलूंगा, मैं अपने अंतिम सांस तक संघर्ष करुंगा और उस चीज को हासिल करके ही दम लूंगा।“
समाधान
महात्मा बुद्ध ने कहा, “वह चीज का नाम हैं शांति, जो तुम्हारे मन के भीतर गहराइयों में है। हमारे मन की गहराइयों में शांति छिपी हुई है, तुम्हें अपने मन की गहराइयों में उस शांति को खोजना होगा। उस शांति के लिए संघर्ष करना होगा। अगर तुम अपने रास्ते से नही भटके तो तुम्हें वो सब मिलेगा जो तुम चाहते हो।“
महात्मा बुद्ध की बात सुनकर वह व्यक्ति बोलता हैं- मुझे लगा, आप कोई ऐसी वस्तु का नाम बताएंगे जिसे मैं हर हाल में हासिल कर लूंगा और उसके बाद मेरा जीवन सुखमय बन जाएगा।“
आगे वह व्यक्ति कहता है, “इस दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नही जिसे खोजा नही गया हो और खोजा नही जा सकता हैं लेकिन मैं अपने मन के भीतर कैसे जा सकता हूं? वहां जाने का ना ही कोई मार्ग हैं, और ना ही वहां तक कोई सवारी जाती है।“
फिर कुछ देर सोचने के बाद वह व्यक्ति कहता हैं- “हे बुद्ध, आप मुझे बताइए कैसे मैं उस मार्ग पर चलकर अपने मन की गहराइयों में शांति को ढूंढ सकता हूं।“
इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली क्या है?
महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति से पूछते हैं, “इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली क्या है?” तब वह व्यक्ति कहता है, “सबसे शक्तिशाली धनी व्यक्ति हैं जिसके पास सबकुछ है और उसे किसी बात की कोई चिंता नहीं है।”
तब महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति से कहते हैं, “इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली है इच्छा। इच्छा ही इस दुनिया को चला रही है, जो कोई भी कार्य कर रहा है, वह सब उसकी इच्छा का परिणाम है। एक इच्छा ही है जो किसी भी व्यक्ति को धूल में मिला सकती है, और इच्छा ही वो वस्तु है जो किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुँचा सकती है। इस दुनिया में जो कोई भी आया हैं, जहां कहीं भी हैं, जिस भी परिस्थिति में हैं, वह उसके इच्छा के अनुसार ही है।“
फिर महात्मा बुद्ध कहते है- “मनुष्य अपनी इच्छाओं के अनुसार अपने जीवन में कुछ भी कर सकता है, लेकिन एक सत्य यह भी है कि मनुष्य अपनी इच्छाओं पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं कर पाता है। इसलिए उसके जीवन में वह सभी घटनाएं घटती रहती हैं जो उसे नहीं चाहिए होता है। मन की बुरी इच्छाएं हमे बुरी चीजों की तरफ खींचती हैं, और अच्छी इच्छाएं अच्छे चीजों की तरफ खींचती हैं। हमारे जीवन में हमे क्या चाहिए, यह केवल हम अपनी इच्छा से ही निर्धारित कर सकते है।“
मन को शांति कैसे मिलेगी?
तब वह व्यक्ति कहता है- “क्या मैं यह इच्छा करूं की मुझे मेरे मन के भीतर की शांति मिल जाए तो क्या वह मुझे मिल जायेगी।“
बुद्ध बोले, “हे बालक, इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली चीज इच्छा अवश्य है, परंतु मनुष्य ना जाने क्यों अपने जीवन में तरह-तरह की इच्छाएं पालता है लेकिन उसकी सारी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती हैं, क्योंकि उस इच्छा को पूरा करने के लिए एक और चीज़ की जरूरत पड़ती है और उस एक चीज़ की कमी मनुष्य के जीवन में हमेशा बनी रहती है। क्या तुम इसके बारे में जानते हो?”
वह व्यक्ति बोला- “नही बुद्ध, मैं नही जानता।“
महात्मा बुद्ध कहते हैं, “बालक, वो वस्तु संकल्प हैं क्योंकि संकल्प के बिना इच्छा व्यर्थ है। संकल्प के बिना तुम कितनी भी बड़ी इच्छा क्यों न कर लो, परंतु वह कभी पूर्ण नहीं हो सकता। संकल्प जितना मजबूत होगा, तुम्हारी इच्छा भी उतनी ही जल्दी पूरी होगी। और संकल्प जितना कमजोर होगा, तुम्हारी इच्छा भी उतनी ही कमजोर होगी।”
तब वह आदमी बोला, “अगर मैं दृढ़ संकल्प लूं तो क्या मुझे शांति मिल जायेंगी?”
तब बुद्ध ने कहा, “संकल्प भले ही इच्छा को शक्ति प्रदान करता है, लेकिन इच्छा और दृढ़ संकल्प ले लेने के बाद भी व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंच नहीं पाता है। वह राह में भटक जाता है और थक हार कर अपने संकल्प को छोड़ देता है।”
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तब बुद्ध कहते है, “किसी भी मार्ग पर चलने के लिए उस मार्ग का ज्ञान होना जरुरी हैं और वह ज्ञान हमे उस मार्ग पर चल कर ही मिल सकता हैं। जब हम उस मार्ग पर चलते हैं, तो छोटी-छोटी दिक्कतें, परेशानियां तो आते जाते रहती है और हम उन छोटी-छोटी परेशानियां में फस कर रह जाते हैं और हमारा संकल्प टूट जाता हैं। हमारी इच्छाएं उन छोटी-छोटी समस्यायों के आगे कमज़ोर पड़ जाती हैं, और हम हार मान लेते है, हमारा पुरा जीवन उसी समस्यायों के इर्द गिर्द घूमते रह जाता हैं।“
इस पर वह व्यक्ति कहता है, “मैं आपकी बातों को समझने का कोशिश कर रहा हूं, लेकिन आपकी बहुत कम बातें मुझे समझ आ रही है।”
तब महात्मा बुद्ध उसे समझाने के लिए कहते हैं, “मान लो तुम्हें किसी गांव में जाना है, किसी व्यक्ति से मिलना है और तुमने ये संकल्प लिया है कि तुम उस व्यक्ति से मिल कर ही रहोगे। परंतु काफी समय ढूंढने के बाद भी ना ही तुम उस गांव को खोज पाए और उस व्यक्ति से मिल पाएं तो ऐसे में तुम क्या करोगे?”
तब व्यक्ति कहता है, “हे बुद्ध, ऐसे कैसे हो सकता है कि मैं जीवित हूं और वह व्यक्ति भी जीवित है और मुझे गांव पता है, तो मैं किसी भी कीमत पर उस व्यक्ति से मिल कर ही आऊँगा।”
तब महात्मा बुद्ध बोले, “अगर तुम्हें उस व्यक्ति का नाम पता है, गांव का नाम भी पता है, लेकिन तुम्हें यह नहीं पता है कि वह गांव किस दिशा में है, तो ऐसे में तुम कौन सा मार्ग पकड़ोगे। मान लो, यदि तुमने किसी विपरीत दिशा को पकड़ लिया, क्या तुम्हें उस गांव तक ले जाएगा वो दिशा, और क्या तुम्हें उस व्यक्ति से मिला पाएगा?”
तब वह व्यक्ति बोला, “ऐसे तो मिलना मुश्किल हो जाएगा।”
तब मुस्कुराते हुए बुद्ध ने कहा, “मैं कब से तुम्हें यही समझाने का प्रयास कर रहा हूं, हमारे अंदर इच्छा और संकल्प होने के बावजूद सही मार्ग का ज्ञान होना आवश्यक है। शांति को खोजने का मार्ग हमारे भीतर ही होता है। तुम अपने भीतर की शांति को खोजने के लिए ध्यान के मार्ग पर आगे बढ़ो। जब तुम इस मार्ग पर आगे बढ़ोगे, तो तुम्हें छोटी-छोटी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, उनसे संघर्ष करना होगा क्योंकि वह मार्ग तुम्हारे लिए बिल्कुल नया होगा। अगर तुम इन सारी परेशानियों से लड़ते हुए अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रहो, तो तुम भी अपने मन के अंदर तक पहुंच जाओगे, और वहां पहुंचने के बाद तुम्हें किसी चीज की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, और ना ही तुम्हें कोई धोखा दे पाएगा, और ना ही कोई तुम्हें दुःख पहुंचा पाएगा।“
फिर महात्मा बुद्ध कुछ देर मौन रहने के पश्चात कहते है- “जब तुम अपने मन की शांति को प्राप्त कर लोगे तो एक पशु तो नही रहोगे परंतु तुम्हें भी आज और कल की चिंता नहीं सताएगी, तुम तो बस अपने शांति में मग्न रहोगे।“
हमारे आस-पास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो कई सारी समस्यायों से जूझते रहते हैं और थक हार कर आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं। इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि मनुष्य का जीवन कितना मूल्यवान होता है और हमें अपने जीवन की मूल्य को समझना चाहिए।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी Motivational Hindi Story “बिना संघर्ष जीवन नहीं : महात्मा बुद्ध का ज्ञान” पसंद आयी होगी ।
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