बीरबल की खिचड़ी | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi No 8
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बीरबल की खिचड़ी : एक समय की बात हैं सर्दियों का मौसम था । रात के समय अकबर अपने एक मंत्री और बीरबल साथ महल के बाहर बने बगीचे में टहलने को निकलें थे । टहलते टहलते अकबर बोले, “इस वर्ष तो सर्दी काफ़ी ज्यादा पड़ रही हैं । महल से बाहर आते ही ठंड से हालत खराब सी हो रही हैं ।” मंत्री ने जवाब दिया, “आप सही कह रहे हैं मेरे हुजूर ! नगरवासीयों ने सर्दी की वजह से रात के समय घर से निकलना ही कम कर दिया हैं ।”

आगे बढ़ते हुवे अकबर अपने बगीचे में बने तालाब के पास जा पहुंचे और तालाब के पानी में हाथ डाल दिया । अकबर ने अपना हाथ पानी से निकालते हुवे कहा, “ठंड इतनी ज्यादा बढ़ रही हैं कि पानी भी बर्फ़ जैसा ठंडा हो गया हैं, ऐसे में जनता का रात में निकलना कम तो होगा ही ।” बीरबल इस बारे में कुछ भी नहीं बोल रहे थे । बीरबल को शांत देखकर अकबर ने पूछा, “ठंड के बारे में आपका क्या विचार हैं बीरबल?”

बीरबल ने जवाब दिया, “मुझे क्षमा करें जहाँपना! मैं आप दोनों से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ । मेरे हिसाब से एक ग़रीब इंसान के लिए पैसा सबसे ज्यादा जरूरी होता हैं, उसे फर्क नहीं पड़ता की मौसम ठंडा हैं या गर्म । “

बीरबल की यह बात सुनकर अकबर ने हैरान होकर पूछा, “तो तुम कहना चाहते हो कि एक इंसान पैसे के लिए इस कड़ाके की ठंड में कोई भी काम कर सकता हैं ?”

50 सोने के सिक्कें का इनाम

बीरबल, “जी हाँ मेरे हुजूर! “
अकबर, “ठीक हैं बीरबल! तो अब साबित करो कि किसी इंसान के लिए ठंड से ज्यादा पैसा जरूरी हो सकता हैं । एक ऐसा इंसान ढूंढो जो पूरी रात इस बर्फ़ जैसे पानी में खड़ा रह सके । अगर उसने ऐसा कर दिया तो मैं उसे 50 सोने के सिक्कें का इनाम दूंगा । “

अगले ही दिन बीरबल एक ग़रीब इंसान को अकबर के पास ले आया । उसका नाम रामदास था । अकबर ने रामदास से पूछा, “क्या तुम आज पूरी रात तालाब में खड़े रहने के लिए तैयार हो ? “
रामदास, “जी हां मेरे हुज़ूर!”
अकबर, “अच्छी बात हैं!”
इसके बाद अकबर ने दो सिपाहियों को तालाब के बाहर रामदास की निगरानी करने के लिए तैनात कर दिए ।

अगले दिन की राजसभा में सिपाहियों द्वारा अकबर को सुचना पंहुचा दी गयी कि रामदास पूरी रात तालाब में खड़ा रहा था । इसके बाद रामदास को राजसभा में इनाम देने लिए बुलाया गया । रामदास भी बहुत खुश हो रहा था कि उसे 50 सोने के सिक्कें मिलने वाले हैं ।

रामदास के राजसभा में आने बाद अकबर ने उसे शाबाशी दी और कहा, “हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा की आपने इस कड़ाके की सर्दी में उस बर्फ़ जैसे पानी में पूरी रात गुजार दी! आपने ये कैसे कर लिया ?”

रामदास ने जवाब दिया, “जहाँपना शुरू शुरू में तो मुझे बहुत परेशानी हुई थी लेकिन कुछ समय बाद मैंने महल की खिड़की पर जलता दीया देखा । पूरी रात मैंने उस दीये को देखते हुवे गुजार दी “

अकबर ने गुस्से से कहा, “तुमने तो धोखा किया हैं! तुमने महल के दीये से गर्मी लेकर पूरी रात गुजारी हैं । तुम्हें इस धोखें के लिए सज़ा मिलनी चाहिए । ” ये कहते हुवे अकबर ने उसे जेल में डलवा दिया ।

रामदास बेचारा बहुत रोने लगा एक तो पूरी रात उस ठंडे पानी में खड़ा रहा और जब सुबह इनाम देने की बारी आयी तो इनाम के जगह उसे जेल जाना पड़ गया । बीरबल को इस बात पर बहुत गुस्सा आया लेकिन अकबर का आदेश था तो वे चुप रहे । इसके बाद बीरबल ने कुछ सोचा और अकबर सहित कुछ मंत्रियों को अगले दिन की सुबह अपने घर दावत (खानें) पर बुलाया ।

 

बीरबल की खिचड़ी – Akbar Birbal

अगले दिन अकबर और मंत्रीगण सुबह सुबह बीरबल के घर आ पहुंचे । घर के एक सदस्य ने अकबर से कहा बीरबल रसोई खाने में हैं और वें खिचड़ी पका रहे हैं, तब तक आप बेठियें । सब खाना खाने के लिए बैठ गए और सबके आगे प्लेट लगा दी गयी । अब बस इंतजार था तो बीरबल और उसकी बनाई गयी खिचड़ी का ।

सुबह से दोपहर हो गयी लेकिन न बीरबल आया और न ही उसकी खिचड़ी । अकबर और उनके मंत्रीगणों के पेट में चूहें कूदने लगे । काफी ज्यादा समय गुजरने के बाद भी जब बीरबल नहीं आया तो अकबर खुद बीरबल के पास पहुंच गए । वहां जाकर अकबर ने देखा एक बड़ा सा खिचड़ी से भरा बर्तन काफ़ी ऊचाई पर लटका हुआ था और ज़मीन पर लकड़ियाँ जल रही थी ।

अकबर ने बीरबल से पूछा, “ये क्या कर रहे हो बीरबल !”
बीरबल ने जवाब दिया, “भोजन के लिए खिचड़ी पका रहा हूँ जहाँपना !”
अकबर गुस्से से बोले, “तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया बीरबल! ऐसे खिचड़ी कैसे पकेगी? बर्तन कितना ऊपर लटका रखा हैं और लकड़ियाँ नीचे जल रही हैं । खिचड़ी पकाने के लिए बर्तन तक गर्मी कैसे पहुंचेगी ? “
बीरबल ने जवाब दिया, “क्षमा करें महाराज! लेकिन जब तालाब से दूर महल की खिड़की पर जल रहे दीये की गर्मी रामदास तक पहुंच सकती हैं तो ये खिचड़ी का बर्तन तो फिर भी थोड़ी ही दूरी पर हैं । “

बीरबल की बात सुनकर अकबर मुस्कुराने लगे और कहा, “मैं समझ गया बीरबल तुम ऐसा क्यों कर रहे हो !”
इसके बाद अकबर ने रामदास को जेल से रिहा किया और राजसभा में बुलवाकर उसे 50 सोने के सिक्कें देकर सम्मानित किया ।

कहानी से शिक्षा :-

इस कहानी “बीरबल की खिचड़ी” से यह शिक्षा मिलती हैं बिना किसी के संघर्ष को जानें फैसला नहीं करना चाहिए

 

आपको हमारी यह कहानी “बीरबल की खिचड़ी | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi” कैसी लगी please नीचे comment करके जरूर बताएं धन्यवाद !

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