Buddha Motivational story in Hindi
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” सहज जीवन कैसे जिए ।” हम सभी अपने जीवन से बहुत दुखी है और जितना हम दुखी होते हैं, उतनी ही तेजी के साथ हम सुख की तरफ भागते हैं । लेकिन सुख मिलने के बाद भी हमें शांति नहीं मिलती । इस कहानी के माध्यम से हम जानेंगे कि एक सहज जीवन कैसे जिए । शुरू करते हैं गौतम बुद्ध की Motivational Story “सहज जीवन कैसे जिए ।”

Buddha Motivational story in Hindi

एक व्यक्ति था । जिसकी अध्यात्म में विशेष रूचि थी । वह हमेशा अध्यात्म की किताबें पढ़ता था । रोज पूजा-पाठ करता था लेकिन फिर भी उसे भीतर से शांति नहीं मिलती थी । अपने इन्हीं सवालों का जवाब लेने के लिए, वह व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास पहुंचा ।

उसने गौतम बुद्ध को प्रणाम किया और कहा- बुद्ध, हम मनुष्य सहज क्यों नहीं हो पाते? सुख-दुख की चक्की में पिसते रहते हैं । चाहे हम कितना भी ज्ञान क्यों ना अर्जित कर ले, उसके बाद भी हम वैसे ही बने रहते हैं । कभी-कभी लगता है मनुष्य जीवन एक दुर्भाग्य है ।


बुद्ध बोले- जो जैसा है उसको उस तरह देखो! जीवन को ना सौभाग्य कहो, ना दुर्भाग्य।
व्यक्ति बोला- बुद्ध, जब मनुष्य जीवन ना सौभाग्य है, ना दुर्भाग्य, तो हमारा जन्म ही क्यों हुआ है? हम इस दुनिया में है ही क्यों?

बुद्ध बोले- क्या पर्वत, पहाड़, नदी से हम पूछ सकते हैं कि वह ऐसे क्यूँ है, वे बस है । उसे ऐसे ही बनाया गया है । इसी तरह मनुष्य भी है, बस इतना-सा सूत्र है ।
व्यक्ति बोला- बुद्ध, मैंने अपने जीवन का बहुत ही बारीकी से निरीक्षण किया है । और मैंने तब यह जाना कि दुख में दुख है लेकिन सुख में भी सुख नहीं है । सुख बस कुछ देर का है उसके बाद गौर से देखो, तो वह भी दुख है । मतलब खुशी का कोई भी रास्ता मनुष्य के लिए नहीं बचता, तो ऐसे में मनुष्य कैसे जिए?


बुद्ध बोले- सहजता के साथ जिए ।
व्यक्ति बोला-
आप ही बताइए बुद्ध, कि मैं अपने जीवन में सहजता को कैसे लेकर आऊं?

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बुद्ध बोले- जब तुम यह जान ही गए हो की दुख में दुख है और सुख में भी दुख छुपा हुआ है, तो फिर क्यों सुख-दुख के चक्र में फंसते हो । “यह जीवन रस्सी के दो छोरो के समान है । जिसका एक सिर हमारे हाथ में नहीं है क्योंकि हमें नहीं पता हमारा जन्म कहां होगा, हमारे माता-पिता कौन होंगे, रिश्तेदार कौन होंगे । और इसी रस्सी का दूसरा सिरा मृत्यु है । जिसका भी हमें कुछ नहीं पता कि हमारी मृत्यु कैसे होगी, कहां होगी और कितनी आयु में होगी । और दोनों छोरों के बीच का जो वक्त होता है, वह भी हमारे हाथ में नहीं है । वह तो समाज,व्यवस्था और तुम्हारे भीतर जो कुछ बचपन से डाला गया है उसके द्वारा होता है ।”

बुद्ध फिर बोले- जब तुम्हारे द्वारा कुछ होता ही नहीं है, तब तुम दुखी क्यों होते हो । जब तुम कुछ करते ही नहीं हो, तो तुम सुखी क्यों होते हो । जीवन को आनंद के साथ बिताने का सिर्फ एक ही रास्ता है सहज हो जाओ । अपना हर कर्म सहजता के साथ करो । फिर धीरे-धीरे तुम्हें अपने सुख-दुख पर भी हंसी आने लगेगी ।


व्यक्ति बोला- बुद्ध ! सचमुच आप तो सहजता की मूर्ति है । मैं कोशिश करूंगा कि अपने जीवन में सहजता को स्थान दूँ । मैंने भी यही अनुभव किया है कि जब मैं सहज होता हूंँ, तो मैं आनंद में होता हूंँ । यदि आपको विश्व गुरु कहा जाए तो बिल्कुल गलत ना होगा । आप हर प्रश्न का उत्तर भी है और आप एक मौन भी है । अब व्यक्ति को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था, इसलिए उसने बुद्ध को प्रणाम किया और वहां से चला गया ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सहजता ही एक ऐसा उपाय है, जिससे हम अपने जीवन को ठीक तरह से जी सकते हैं । इसलिए हर कार्य को करने से पहले सहज हो जाओ । परिणाम चाहे जो भी हो आपको उसके लिए मजबूत बनना पड़ेगा । बाहर-बाहर भले ही हार मिले या जीत । हर बार आप मजबूत बनेंगे और आपकी यही ताकत धीरे-धीरे आपको एक सहज इंसान बनाएगी । इसलिए जीवन को सहजता के साथ जीना शुरू करें।

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