एक राजा और पहलवान की प्रेरणादायक कहानी
आज की कहानी का शीर्षक है “एक राजा और पहलवान की प्रेरणादायक कहानी” यदि हम किसी कार्य को प्रतिदिन करते रहे, तो वह कार्य हमारे लिए बहुत आसान हो जाता है । आज हम ऐसी कहानी लेकर आए हैं जिसमें एक पहलवान ने राजा की चुनौती को स्वीकार कर, उस कठिन कार्य को कर दिखाया । शुरू करते हैं एक राजा और पहलवान की प्रेरणादायक कहानी ।
एक राजा और पहलवान की प्रेरणादायक कहानी – Inspirational Story
एक बार एक राजा ने अपने दरबार में सभी लोगों को आमंत्रित किया और कहा- मैं दरबार में उपस्थित सभी लोगों की शक्ति की परीक्षा लेना चाहता हूंँ । क्या तुम में से कोई ऐसा व्यक्ति है, जो एक बड़ी भैंस को अपने कंधे पर उठा ले ?
ऐसा सुनते ही दरबारी एक दूसरे की शक्ल देखने लगे ।
मंत्री बोला- महाराज! यह कार्य तो असंभव है । कोई व्यक्ति इतनी बड़ी भैंस को अपने कंधे पर कैसे उठा सकता है ।
राजा बोला- जानता हूंँ कार्य असंभव है । लेकिन मैं देखना चाहता हूंँ, क्या इतने असंभव कार्य को भी कोई व्यक्ति कर सकता है । जो भी व्यक्ति इस कार्य को कर दिखाएँगा, मैं उसे दस हज़ार सोने की मुद्राएं इनाम में दूंगा ।
यह बात सुनते ही सभी लोगों के मन में लालच आ गया और वह भैंस को अपने कंधे पर उठाने को तैयार हो गए ।
बहुत लोगों ने कोशिश की, मगर कोई भी भैंस को अपने कंधे पर नहीं उठा पाया ।
यह सब देखकर राजा बड़े निराशा हुए और कहने लगे- मेरी ही भूल थी । जो मैंने इतने असंभव कार्य को तुम लोगों को करने को कहा ।
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तभी भीड़ में से एक युवक सामने आया वह बोला- महाराज! मैं पहलवानी सिख रहा हूँ । लेकिन फिर भी जल्दबाजी में आकर मैं यह नहीं कहूंगा, कि मैं अभी इस भैंस को अपने कंधे पर उठा सकता हूंँ । आप मुझे दो साल ग्यारह महीने का वक्त दीजिए उसके बाद निश्चित ही, मैं इस भैंस को अपने कंधे पर उठा लूंगा ।
राजा बोले- ठीक है युवक, मुझे तुम्हारा यह आत्मविश्वास बहुत पसंद आया । मैं प्रतीक्षा करूंगा कि तुम फिर आओ और इस भैस को अपने कन्धे पर उठाकर मुझे चकित कर दो ।
ऐसा सुनकर वह युवक दरबार से चला गया ।
दो साल ग्यारह महीने बाद
राजा का दरबार फिर लगा लोगों को उस युवक की बात याद थी, इसलिए वह सब उसे देखने के लिए बड़े उत्सुक थे ।
युवक दरबार में एक बड़ी भैंस के साथ आया ।
सभी लोगों की नजर उसी पर थी । राजा को भी उस युवक से उम्मीद थी ।
युवक ने राजा को प्रणाम किया और तुरंत ही, भैंस को अपने कंधे पर उठा लिया । यह सब देखकर सभी लोग आश्चर्य चकित हो गए । और उसके बाद सब ने तालियां बजाकर उसकी तारीफ की ।
राजा बोले- युवक हम तुमसे अत्यंत प्रसन्न है । आख़िर तुमने यह कठिन कार्य करके दिखा दिया । लेकिन हमारे मन में एक प्रश्न है, यह कठिन कार्य तुमने कैसे किया ?
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युवक बोला- महाराज! मैंने आपसे दो साल ग्यारह महीने का वक्त मांगा था । यह पूरा वक्त मैंने अपने अभ्यास में लगा दिया ।
जब यह भैंस एक महीने की थी, तब से मैं इसे पीठ पर उठाकर, अभ्यास किया करता था । धीरे-धीरे इस भैंस का वजन भी बढ़ता गया और मेरे अंदर इसे उठाने की शक्ति भी विकसित होती रही और इस प्रकार मैंने इस कार्य को कर दिखाया ।
राजा बोले- युवक, यह तो तुमने बहुत ही अच्छा किया । जब इस भैंस का वजन कम था, तुमने तब से ही इसे उठाने का प्रयास किया । तुमने हमें भी बहुत कुछ सिखाया है कि बड़ा कार्य तभी हो सकता है, जब इसकी शुरुआत हम तब कर दे, जब कार्य छोटा और सरल हो ।
एक बार फिर सभी ने उसे युवक के लिए तालियां बजाई और राजा ने युवक को दस हज़ार स्वर्ण मुद्राएं इनाम मे दी।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा किसी भी चीज की शुरुआत छोटे कार्यो से करनी चाहिए और वही छोटे कार्य धीरे-धीरे हमारी शक्ति को बढ़ा देते हैं और खुद-ब-खुद हमसे बड़े कार्य होने लगते हैं ।
इसलिए आप भी अपने जीवन में छोटी-छोटी चीजों को महत्व दीजिए जैसे- रोज एक घंटा व्यायाम करना । हमे यह छोटी-सी चीज लगती है लेकिन यही छोटी-सी चीज हमारे स्वस्थ्य और जिंदगी को बेहतर बना देती है । इसलिए जीवन में छोटे-छोटे सार्थक कार्यों की शुरुआत करते रहो, जिससे की भविष्य में हमें बहुत ही अच्छा फल मिलेगा ।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी “एक राजा और पहलवान की प्रेरणादायक कहानी” पसंद आयी होगी ।
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