महान दार्शनिक लाओ-त्जू की प्रेरणादायक कहानी

lao tzu motivational story in hindi - लाओ-त्जू
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क्या आपके आस-पास वाले भी आपकी विचारधारा को नहीं समझते और आपको इस जमाने के झूठे रंग में रंगने की सलाह देते हैं ? अगर ऐसा है तो यह कहानी फिर आपके लिए ही है । महान दार्शनिक लाओ-त्जू की प्रेरणादायक कहानी ।

राजा की न्यायाधीश की खोज

एक बार की बात है एक राजा थे, जो कि अपने राज्य के लिए एक न्यायाधीश ढूंढ रहे थे । उन्होंने लाओ-त्जू (lao tzu) के बारे में बहुत ज्यादा सुना था । वह चाहते थे कि लाओ-त्जू उनके राज्य के न्यायाधीश बने । अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिए राजा ने लाओ-त्जू को अपने महल में बुलवाया और कहा- लाओ-त्जू आपके ज्ञान की चर्चा हर जगह है, आप बहुत बुद्धिमान और तर्कशील मनुष्य हो । मैं चाहता हूंँ आप मेरे राज्य में रहकर न्यायाधीश की उपाधि संभाल ले ।

लाओ-त्जू बोले- नहीं राजन, मेरे और आपका विचार अलग-अलग है । मैं इस पद को नहीं संभाल पाऊंगा, कृप्या करके आप किसी और को ढूंढ ले ।
राजा बोले- यह आप क्या कह रहे हो? आप इतने बड़े दार्शनिक और विचारक हो? आपसे ज्यादा बेहतर कोई भी नहीं है इस राज्य का न्यायाधीश बनने के लिए, इसलिए मेरी विनती है कि आप मेरी बात मान लीजिए ।
लाओ-त्जू राजा की बात को मान गए और न्यायाधीश के पद पर आसीन हो गए ।

न्याय की परीक्षा

एक बार राजा के महल में एक अमीर आदमी न्याय मांगने के लिए आया ।
बात कुछ इस प्रकार थी कि उस आदमी का हार चोरी हो गया था । उनकी एक बेटी थी, जो की बाग में यूं ही खेल रही थी, खेलते हुए उसका सोने का हार बाग में ही गिर गया और उसे पता भी नहीं चला । एक पंछी ने हार को चोच में दबाकर एक पेड़ पर टांग दिया । एक गरीब व्यक्ति था, जो कि उन्हीं के घर में काम किया करता था ।

गरीब आदमी पेड़ पर टंगे हार को देखकर सोचने लगा कि मैं कितना गरीब हूंँ, मुझे इस हार की आवश्यकता है क्यों ना मैं इस हार को ले लूँ । वैसे भी यह हार मैंने चुराया नहीं है यह तो पेड़ पर टंगा हुआ है, तो मैं इसे ले सकता हूँ । कई दिन बीत गए लेकिन अमीर आदमी को पता नहीं चला कि उनका हार गायब है । काफी वक्त के बाद उन्हें खबर मिली कि उनकी बेटी का हार चोरी हो गया है, उन्होंने चोर को भी खोज निकाला और वह उसे लेकर राजा के दरबार में पहुंच गए ।

लाओ-त्जू का न्याय

अब देखते हैं कि एक विचारक और दार्शनिक इस घटना पर किस प्रकार न्याय करता है ।
अमीर व्यक्ति ने सारी घटना राजा और लाओ-त्जू के सामने कह दी । और गरीब व्यक्ति ने भी अपना पक्ष रखा ।
लाओ-त्जू बोले- मुझे लगता है अमीर व्यक्ति को पचास कोड़े पड़ने चाहिए और गरीब आदमी को अमीर आदमी की संपत्ति का दस प्रतिशत देना चाहिए ।

यह बात सुनकर वह अमीर आदमी भड़क गया और बोला- यह कैसा न्याय है, एक चोर को मैं दस प्रतिशत दूँ । ऊपर से मैं जो न्याय मांगने आया हूंँ, मुझे पचास कोड़े पड़े । अमीर व्यक्ति ने राजा की तरफ देखते हुए कहा- राजा मैं आपके न्याय से सहमत नहीं हूँ, आप ही मुझे बताइए? यह कैसा न्याय है?


राजा को भी लाओ-त्जू की बात समझ नहीं आ रही थी । राजा ने बड़ी विनम्रता पूर्वक कहा- लाओ-त्जू, मैं आपसे यह पूछना चाहता हूंँ कि आपके इस न्याय का क्या आधार है? क्या सोच कर आप ऐसा कह रहे हैं ?

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लाओ-त्जू बोले- पहली बात तो इस अमीर आदमी के पास इतनी संपत्ति क्यों है कि इसे अपने सोने का हार खोने की सुध नहीं है । इसे कई दिनों बाद पता चलता है कि इसका हार खो गया है । इससे पता चलता है कि इनके पास पैसों की कमी नहीं है इसलिए कदर भी नहीं है । दूसरा यह अमीर आदमी इस गरीब आदमी को सजा दिलवाने के लिए लाया हैं, जो की बिल्कुल सही नहीं है ।

इसलिए मुआवजे के तौर पर इन्हें इस व्यक्ति को अपनी संपत्ति का दस प्रतिशत देना चाहिए क्योंकि यह करने से इस व्यक्ति की आर्थिक मदद होगी । अमीर व्यक्ति पर ऐसा बहुत-सा धन पड़ा है जिसका वह उपयोग भी नहीं करता, लेकिन उनके मन में यह धारणा है वह उनके पास होना जरूरी है । बस यही सोच कर मैंने अपना फैसला सुनाया है ।

लाओ-त्जू की बात सुनकर राजा बोले- आप एक महान दार्शनिक और विचारक है, लेकिन मेरे राज्य में आपका यह न्याय किसी भी तरीके से तर्कसंगत नहीं लगता । इसलिए मैं चाहता हूंँ कि आप इस न्याय की गद्दी को छोड़ दे।


लाओ-त्जू बोले- मैंने तो पहले ही कहा था कि मुझे न्यायाधीश नहीं बनना है इस दुनिया के झूठ के आगे सच हमेशा कहीं दबा ही रहता है और जो व्यक्ति इस सच को साफ-साफ देख लेता है, वह दुनिया की व्यवस्था के काबिल नहीं रह जाता है । मैं तुम्हारी दुनिया के झूठ में नहीं फंसना चाहता । लाओ-त्जू ने राजा का महल छोड़ दिया और वह चल निकले अपनी यात्रा पर ।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम भी अपने जीवन में अपने लिए बिल्कुल सही और सच्चे रास्ते चुनते हैं लेकिन दुनिया के झूठ, कपट और छल के आगे हम अपनी सच्चाई को ढक देते हैं इसलिए अपनी सही विचारधारा को कभी-भी किसी झूठ के आगे मत गिरने देना । क्योंकि सच आपको हल्का बनाएगा और झूठ आपको जटिलता देगा, इसलिए हमेशा सच के साथ चलो ।


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