श्याम का गिरवी हार – Moral Story in Hindi
आज की कहानी का शीर्षक है “श्याम का गिरवी हार ।” किस्मत झूठ बोलने वालों के हिस्से में और समस्या लिख देती है इसलिए हमें झूठ से बचना चाहिए । आज की कहानी इसी विषय पर आधारित हैं ।
श्याम का गिरवी हार – Moral Story in Hindi
एक बार की बात है । श्याम नाम का एक किसान था । वह किसानी करके अपनी जीविका चलता था, लेकिन कुछ वक्त से उसका काम ठप होता जा रहा था । मौसमी प्रभाव के कारण फसलों की ज्यादा उपज नहीं हो रही थी । उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए । वह परेशान हो गया था ।
उसने अपनी पत्नी से कहा- फैसलों की उपज कम होने के कारण मैं फसलों को बेच नहीं पा रहा हूँ, ऐसे में कैसे हमारा गुज़ारा होगा ?
पत्नी – यदि आपका काम ठीक नहीं चल रहा है, तो आप कुछ वक़्त के लिए शहर जाकर कोई और काम कर लीजिए ।
श्याम – हाँ, लेकिन कुछ नया शुरू करने के लिए भी धन की आवश्यकता तो पड़ती है ।
पत्नी – मेरे पास सोने का हार है, आप इसे ले जाकर धनी सेठ के यहाँ रखवा दीजिए और धन ले लीजिये । इससे आप अपना नया काम शुरू कर सकते हैं ।
सब सुनकर मानो श्याम के भीतर एक उम्मीद जग गई हो ।
श्याम – ठीक है !
ऐसा कहकर शाम धनीसेठ के पास आभूषण की दुकान पर पहुँचा ।
श्याम बोला- धनीसेठ मुझे एक हार गिरवी रखवाना है ।
धनीसेठ बोला- हाँ, दिखाओ कौन-सा हार है ?
वह देखते ही समझ गया कि यह तो बहुत कीमती हार है ।
धनीसेठ ने श्याम को पैसें दे दिये और पैसे चुकाने के लिए 1 वर्ष का समय दिया ।
श्याम बोला- सेठ जी, ये हार मेरी पत्नी का है मैं इसे छुड़वाने जरूर आऊँगा । आप इसे बेचना मत ।
धनीसेठ ने सोचा- इसकी हालत देखकर तो नहीं लगता कि यह कभी हार छुड़वाने वापस आयेंगा ।
धनीसेठ बोला- हाँ बिल्कुल नही बेचूँगा ।
श्याम और उसकी पत्नी शहर को निकल गए।
वहाँ जाकर उसनें सब्जियां बेचने का काम शुरू कर दिया । वह जल्दी उठकर मंडी, सब्जी लेने जाता और शाम को सब्जियां बेचता, उसकी कमाई अच्छी होने लगी थी ।
श्याम और पत्नी की बातचीत – Moral Story in Hindi
श्याम पत्नी से- आज तुम्हारी वजह से मेरा काम अच्छा चल रहा है यदि तुम मुझे अपना हार ना देती तो, कुछ भी ठीक नहीं होता ।
पत्नी बोली- यह तो मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके कुछ काम आ रही हूँ, यह परेशानी आपकी अकेले की थोड़ी है मेरी भी तो है ।
श्याम मुस्कुराते हुए बोला- अभी हमारा काम अच्छा चल रहा हैं कुछ महीनो बाद और धन आ जाएगा, तब हम धनीसेठ के यहाँ जाकर तुम्हारा हार छुड़ा लेंगे ।
पत्नी बोली- हाँ, जरूर और तब तक तो मौसम भी सुधर जाएँगा । हम वापस से किसानी कर सकते है ।
चार महीने बाद
चार महीने बाद शाम के पास इतना धन इखट्ठा हो गया था कि वह अपना गिरवी हार छुड़वा सकता था ।
दोनों अपने पुराने घर की ओर चले गए ।
दोनों अपने घर पहुँचे थोड़ा आराम किया फिर श्याम धनीसेठ के पास हार लेने के लिए पहुँचा ।
श्याम को देखकर धनीसेठ थोड़ा सकपका गया । उसे उम्मीद नहीं थी कि इतना महंगा हार वह इतनी जल्दी छुड़वाने आ जाएगा।
श्याम धनीसेठ से बोला- धनीसेठ, मैंने जो तुम्हारे यहाँ हार गिरवी रखवाया था । मैं उसे वापस लेने आया हूँ ।
धनीसेठ के मन में लालच आ गया था । वह हार वापस नहीं देना चाहता था ।
धनीसेठ – वह हार तो चोरी हो गया ! चोर मेरी दुकान में आये थे, काफी तोड़-फोड़ की। देखो ना तुम्हारा तो क्या ही नुकसान हुआ, मेरी तो दुकान ही लूट गई थी । बड़ी मुश्किल से फ़िर से दुकान खोल पाया हूँ ।
श्याम ने धनीसेठ की दुकान की तरफ देखा और सोचने लगा दुकान तो बिल्कुल वैसी ही हैं जैसे पहले थी । अगर ऐसा कुछ हुआ होता, तो हमारे पास कोई ख़बर तो आती ।
श्याम बोला- दुकान तो बिल्कुल वैसी ही है जैसे पहले थी ।
ऐसा सुनकर धनीसेठ बोला- कहना क्या चाहते हो ! क्या मैं झूठ बोल रहा हूंँ । तुम्हारा हार चोरी हो गया है, अब मैं कुछ नहीं कर सकता ।
श्याम ने दुकान के बाहर जाकर आस पास रहने वालों से पूछ-ताछ की कि धनीसेठ के यहाँ चोरी कब हुई थी, लेकिन वो सब ख़ुद हैरान हो गए जब उन्होंने धनीसेठ के यहां चोरी का सुना । उन्होंने कहा कि हमें तो अभी अभी पता चल रहा हैं कि उनके यहाँ चोरी हुई हैं ।
ऐसा सुनकर श्याम समझ गया कि सेठ झूठ बोल रहा है । यह आसानी से मेरा हार नहीं देगा । मुझे इसके लिए कुछ करना पड़ेगा ।
दुकान की कुछ दूरी पर धनीसेठ का बेटा खेल रहा था । श्याम ने उसके बेटे को उठाया और उसे लेकर अपने घर की तरफ निकल गया। उसने उसे एक कमरे में बंद कर दिया ।
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यह देखकर श्याम की पत्नी बोली- यह कौन है? और आपने इसे कमरे में क्यों बंद कर दिया ?
श्याम – तुम चिंता मत करो, मैं इस बच्चे को कोई तकलीफ नहीं देना चाहता यह तो बस इसलिए है की धनीसेठ हमारा हार वापस दे दे ।
धनीसेठ को जब यह पता चला कि उनका बेटा नहीं मिल रहा है तो उन्होंने आस-पास वालों से पूछना शुरू किया ।
तभी धनीसेठ का नौकर बोला- मैंने श्याम को आपके बेटे को उठाते हुए देखा था ।
ऐसा सुनते ही धनीसेठ को बहुत क्रोध आया । वह कहने लगा- मैं अभी अपने बेटे को उसके पास से लेकर आता हूँ ।
नौकर – नहीं, सेठ जी आप उसके पास मत जाइए, ऐसा करने से वह गुस्से में आकर, आपके बेटे को नुकसान भी पहुँचा सकता है । आपको न्याय माँगने के लिए राजा के पास जाना चाहिए ।
धनीसेठ – तुम ठीक कहते हो, मुझे ज़रा-सी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए ।
धनीसेठ राजा के पास पहुँचा और कहने लगा- राजा जी, मैं आपके पास एक फरियाद लेकर आया हूँ! मुझे आपसे उम्मीद हैं कि मुझे न्याय जरूर मिलेगा ।
राजा बोला- बताओ ! क्या समस्या है ?
धनीसेठ बोला- राजा जी, मेरे पुत्र को श्याम उठाकर अपने घर ले गया है, मुझे मेरा पुत्र वापस चाहिए आप उसको यहाँ पर बुलाए और उससे मेरा पुत्र को वापस माँगे ।
राजा ने सेनापति को भेज कर कहा कि श्याम को पकड़कर दरबार में लाया जाएँ ।
सेनापति गए और श्याम को पड़कर दरबार में ले आए ।
राजा शाम से- अगर तुमने धनीसेठ का बच्चा उठाया हैं तो इसे इसका बच्चा वापस लौटा दो वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा ।
श्याम बोला- नहीं महाराज, मैंने बच्चे को नहीं उठाया है । मैंने देखा था एक उड़ता हुआ बाज़ आया और इनके बच्चे को उठा कर ले गया ।
ऐसा सुनते ही धनीसेठ को क्रोध आ गया वह चीखते हुए बोले- ऐसा कभी होता है किसी बच्चे को कोई बाज़ उठाकर ले जाए । मेरे बच्चे को उठाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई, ऊपर से झूठ बोलते हो । मेरे नौकर ने तुम्हें मेरे बच्चे को उठाते हुए देखा हैं ।
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श्याम बोला- आप मुझे बताओं सेठ जी, आपकी दुकान में चोरी हुई आपकी दुकान में तो शीशे-काँच और सारा माल वैसा ही था। सिर्फ मेरा ही हार कैसे चोरी हो गया। जैसे आपकी पूरी दुकान में आपके सारे सामान को छोड़कर मेरा ही हार चोरी हो सकता है इसी प्रकार एक बच्चे को बाज़ भी उठा कर ले जा सकता है ।
राजा ने पूछा- यह चोरी का कौन-सा मामला है ?
श्याम ने पूरी घटना राजा को सुना दी ।
धनीसेठ बोला- राजा जी, मुझे माफ कर दीजिए । वह हार मुझे बहुत पसंद आ गया था, उसकी कीमत बाजार में बढ़ गई थी । इसलिए मैंने श्याम से झूठ बोला । मैं हार देने को तैयार हूँ। बस मेरा बच्चा लौटा दो ।
श्याम बोला- परेशान मत होइये, आपका बच्चा सुरक्षित है वह मेरे घर में है, मेरी पत्नी उसका ध्यान रख रही है ।
राजा बोला- धनीसेठ आज तुम्हारा झूठ तुम पर ही भारी पड़ गया । यदि तुम झूठ ना बोलते तो आज यह समस्या तुम्हारे सामने ना आती ।
धनीसेठ बोला- राजा जी मुझे माफ कर दीजिए मैं अब कभी ऐसा नही करूँगा ।
धनीसेठ ने श्याम से भी माफी माँगी । श्याम ने धनीसेठ का बच्चा वापस कर दिया और धनीसेठ ने भी श्याम का हार लौटा दिया ।
झूठ बोलने से मुसीबत उल्टा अपने ही सर आ जाती है इसलिए लालच में आकर कभी-भी झूठ नहीं बोलना चाहिए ।
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