एक राजा और फकीर का तत्वज्ञान – Inspirational Story in Hindi

एक राजा और फकीर का तत्वज्ञान - prernadayak story
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आज की कहानी का शीर्षक है “एक राजा और फकीर का तत्वज्ञान ।” इस कहानी में हम जानेंगे कि कैसे एक राजा और फकीर के बीच होने वाली तत्वज्ञान की बातों को दरबारी नहीं समझ पाए , लेकिन जब उन्होंने समझा तब वह जान पाए कि राजा हो या रंक तत्वज्ञान पर सबका समान अधिकार है । तत्वज्ञान का अर्थ है, हर चीज को उसके तत्व से जानना यानी उसके आधार से जानना । वैसे ही हर मनुष्य को हमें उसकी उपाधि या रंग रूप से नहीं, उसके उस आधार से जानना चाहिए, जिस पर उसका ज्ञान खड़ा होता है ।

एक राजा और फकीर का तत्वज्ञान – Inspirational Story in Hindi

किसी नगर में एक तत्व ज्ञानी राजा रहते थे । राजा बड़े ही बुद्धिमान, चतुर और दयालु थे । वह दिखने में बहुत आकर्षक और बलवान थे । वह हर चीज का तर्क समझ लिया करते थे, जो सामान्य मनुष्य के लिए समझना संभव नहीं था ।

वहीं दूसरी तरफ एक फकीर थे, जो कि फकीरी करते थे । राजा के समान उनमें भी तत्वज्ञान था, लेकिन वह अपने तत्वज्ञान को कभी भी साफ-साफ तरीके से नही कहते थे । वह जो भी कहते उसे पहेलियों में कहा करते थे । जो कि सब की समझ से बाहर की बात थी । शरीर की दुर्बलता के कारण फकीर को धन की आवश्यकता पड़ी । उसने राजा के बारे में सुना था, कि वह भी बहुत बड़ा दयालु और तत्व ज्ञानी भी है, इसलिए उन्होंने फैसला किया, कि वह राजा के पास ही मदद लेने के लिए जाएँगे ।

फ़कीर राजा के मिलने के लिए उनके महल में पहुँचे ।

राजा के द्वार पर दरबारी पहरा दे रहे थे, तभी वहाँ फकीर आए ।
फकीर बोले- मुझे राजा से मिलना है, मैं उनका भाई हूंँ ।
दरबारियों ने फकीर को ऊपर से नीचे तक घूरकर देखा । वह जोरों से हँसने लगे और कहने लगे, आपको लोगों से मज़ाक करना पसंद है या लोगों से मज़ाक उड़वाना, यहाँ से चले जाओ।

एक दरबारी बोला- हमें यहाँ पर कार्य करते हुए बहुत समय बीत चुका है, हम जानते है, कि राजा का कोई भी भाई नहीं है ।इसलिए अपना और हमारा वक्त बर्बाद मत करो यहां से निकल जाओ ।

फकीर बोला- मैं सत्य कह रहा हूंँ, मैं राजा का ही भाई हूंँ । बिल्कुल उन्हीं की तरह हूँ । वो मुझे पहचान लेंगे, बस मुझे उनसे मिलना है, मेरा संदेश राजा तक पहुँचा दो ।

दूसरा दरबारी बोला- फकीर इस उम्र में आकर, क्यों झूठ बोल रहे हो ? तुम उनकी तरह बिल्कुल नही है, एक तरफ हमारे तत्वज्ञानि, बलवान और देखने में बेहद आकर्षक राजा और दूसरी तरफ तुम । खुद को कभी देखा है बूढ़े, कमजोर और लाचार और खुद को राजा का भाई कहते हो । बोलने से पहले कुछ सोच तो लिया करो, इतनी हिम्मत कहाँ से आई तुम्हारे पास । जो राजा को अपना भाई बता रहे हो ।

फ़कीर बोला- हाँ, हिम्मत तो मुझमें हैं । तुम्हारी इतनी भिन्नताएं गिनाने के बाद भी मैं कहता हूंँ, वह मेरे भाई हैं । वह तत्वज्ञानी है तो अपने तत्वज्ञानी भाई को जरूर पहचान लेंगे ।
दरबारी फ़िर बोला- अगर तुम्हें राजा से मिलना है, तो तुम मुझे बता सकते हो, लेकिन उसके लिए तुम्हें झूठ बोलने की जरूरत नहीं है ।
फकीर बोला- तो फिर ठीक है, अब राजा को ही फैसला करने दीजिए, मैं झूठ बोल रहा हूंँ या सच ।

दोनों दरबारियों ने मिलकर फैसला लिया कि पहले राजा को ख़बर कर देते है, तभी इसे मिलने की इज़ाजत देते है ।
उनमें से एक दरबारी फकीर की ओर देखते हुआ बोला- ठीक है, तुम अभी इधर रुको! मैं राजा से पूछ कर बताता हूंँ कि वह तुमसे मिलना भी चाहते हैं या नहीं ।

फकीर बोला- ठीक है, मैं यहाँ बैठकर इंतजार करूंगा । मुझे यकीन हैं, वह तत्वज्ञानी राजा मुझे जरूर पहचान लेंगे । उनसे जाकर कहना । आपका तत्वज्ञानी भाई, आपसे मिलने आया है।
दरबारियों ने सैनिकों को सारी बात बता दी और कहा, कि राजा तक ये संदेश पहुँचा दे कि उनका तत्वज्ञानी भाई उनसे मिलने आया है ।

एक सैनिक राजा के कक्ष में पहुँचा ।
सैनिक बोला- राजा, कोई फ़कीर आपसे मिलना चाहता है, वह कहता है कि वह आपका भाई है , बिल्कुल आपकी ही तरह है ।

राजा ने जब यह सुना की कोई फकीर उन्हें अपना भाई बता रहा है तो वह कुछ सोच में पड़ गए ।
राजा बोले- तुमने ठीक से सुना ना, उसने क्या कहा?
सैनिक बोला-
हाँ उसने कहा, आपका तत्वज्ञानी भाई आपसे मिलने आया है ।

यह बात सुनते ही राजा फिर सोच में पड़ गए और उन्होंने आखिर में फकीर को दरबार में बुला ही लिया ।
जब फकीर दरबार में आए तो राजा ने उनका बहुत सम्मान किया, आदर के साथ उन्हें आसन ग्रहण करने को कहा ।
उस फकीर के प्रति राजा का ऐसा व्यवहार देखकर सभी सोचने लगे क्या सच में यह राजा के भाई है और यदि है तो ये फकीर किस तरह बन गए ।

राजा और फ़कीर की बातचीत शुरू हुई।
राजा बोले- कहो! भाई साहब कैसे हो आप? यहाँ कैसे आना हुआ?

फकीर बोले- भाई क्या बताऊं, मैं बहुत ज्यादा परेशान हूंँ । जिस महल में रहता हूंँ, वह तो गिरने ही वाला है । मेरे पास बत्तीस नौकर थे, लेकिन वह भी धीरे-धीरे करके मुझे छोड़ कर चले गए । मेरी पांच रानियां है, जो कि इतनी दुर्बल हो चुकी है कि मेरी सेवा ठीक प्रकार से नहीं कर पा रही है । और अब मैं बूढ़ा हो रहा हूंँ, तो शरीर में इतनी जान नहीं बची, कि अपना कोई कार्य स्वयं कर सकूँ । इसलिए बहुत आशा के साथ मैं यहाँ आया हूंँ ।

आगे फकीर ने कहा – मैंने सुना है आप बहुत बड़े दयालु है, थोड़ी कृपा अपने इस तत्वज्ञानी भाई पर भी कीजिए । यदि आप मुझे थोड़ा-सा धन दे दो, तो मेरी मदद हो जाती ।
तत्वज्ञानी वाली बात सुनकर राजा मन ही मन ऐसे मुस्कुराएं जैसे बहुत कुछ जान रहे हो ।

राजा बोले- ठीक है, मैं तुम्हें सौ मुद्राएं दे देता हूंँ ।
फकीर बोला- भाई मैं तो आपके पास बहुत ही ज्यादा उम्मीद लेकर आया था और आप मुझे सिर्फ सौ मुद्राएं दे रहे हैं, इन सौ मुद्राओं से मेरा क्या होगा, यह तो आपकी शान के खिलाफ है ।
यह सब सुनकर दरबार में उपस्थित सारे लोग आश्चर्य में पड़ गए उन्हें पता ही नहीं था कि राजा का कोई भाई भी है । वह फकीर की बातों पर भी यकीन नही कर पा रहे थे कि उसके पास महल भी हो सकता है, दोनों की बाते उनके सिर के ऊपर से जा रही थी ।

राजा फिर बोले- आजकल रियासत पर इतना खर्च हो रहा है, कि मेरे पास खजाने की कमी हो गई है । इसलिए मैं तुम्हारी इससे ज्यादा मदद नहीं कर सकता ।
फकीर बोला- अगर आपके पास धन की कमी है, तो मैं आपको बताता हूंँ कि आपको धन कहाँ से मिलेगा । अफ्रीका महाद्वीप को पार करके, आपको सोने का खजाना मिल जाएगा ।

राजा बोला- पर उस महाद्वीप को कैसे पार किया जाए, इसके बीच तो एक बहुत बड़ा समुद्र पड़ता है ।
फकीर बोला- कोई नहीं, मैं तुम्हारे साथ चलूँगा । मेरे कदम जहाँ भी पड़ेंगे, वहाँ का समुद्र सूख जाएगा और हम आराम से वहाँ पहुँच जाएंगे ।
फकीर की बात सुनकर राजा हंसने लगा और बोला- ठीक है अब मैं आपको सौ नहीं हजार मुद्राएं देता हूंँ ।
फकीर ने राजा से हजार मुद्राएं ली और वह दरबार से चला गया ।


मंत्री, सेनापति और बाकी सभी दरबारी बड़े असमंजस में पड़ गए थे । उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था, कि अभी-अभी उन्होंने क्या देखा और क्या सुना । उनकी कोई भी बात उन लोगों के पल्ले नहीं पड़ी थी, इसलिए मंत्री ने बड़े आश्चर्य से राजा से पूछा,

मंत्री बोला- राजा, आप दोनों की बातें तो हमारी समझ के बाहर है । आप दोनों क्या पहेलियों में बात कर रहे थे और यह फकीर क्या सचमुच आपका भाई है । अगर है तो इतने सालों से कहा था और इसकी यह बात तो मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आई कि इसके पास महल है, नौकर है, रानियां है आप ही बताइए कि हम सब ने क्या देखा था ।

राजा बोला- सच ही है हमारी बातें किसी पहेली से कम नहीं थी, लेकिन उसमें गहरा तत्व ज्ञान था । जो कि तुम लोगों को समझ नहीं आया । जानता हूँ तुम लोगों के लिए यह सब बड़ा अनोखा था, इसलिए मैं तुम्हें बताता हूँ।

फकीर ने जो कहा था, वह सत्य ही कहा था कि वह मेरा भाई है । मैं इस नगर का राजा हूंँ तो वह धर्म का राजा है उस नाते तो वह मेरा भाई हुआ । और एक, दूसरे तरीके से भी मैं उसका भाई हुआ मेरे पास अपार धन है, मैं लक्ष्मी का पुत्र हूंँ और वह गरीब है तो वह गरीबी का पुत्र है और लक्ष्मी और गरीबी तो बहने होती है ।

उसका यह कहना कि उसका महल अब गिरने वाला है इससे उसका अभिप्राय यह था कि उसका शरीर बूढ़ा हो चुका है और वह कभी-भी मर सकता है ।
उसके बत्तीस नौकर उसको छोड़कर जा चुके हैं इससे उसका अभिप्राय यह था, कि उसके बत्तीस दांत धीरे-धीरे झड़ गए हैं और अब उसके मुँह में एक भी दांत नहीं है ।
और जो उसने अपनी पाँच रानियों के बारे में बताया था, कि वह अब बहुत दुर्बल हो चुकी है इसका अर्थ यह था, कि उसकी पांच इंद्रियां अब बहुत शिथिल पड़ चुकी है, इसलिए उससे अब कोई काम नहीं होता है ।

सेनापति ने यह सब सुनकर कहा राजा सच में आप बहुत बड़े तत्व ज्ञानी हो । लेकिन मैं यह जानना चाहता हूंँ कि उस फकीर ने यह क्यों कहा था? समुद्र में पैर रखेगा तो पानी सूख जाएगा । इसका क्या अर्थ था?
राजा बोला- मैंने उसे सौ मुद्राएं दी थी, इसलिए उसने मुझ पर एक प्रकार का व्यंग्य किया था, कि जैसे समुद्र में पानी को छूते ही सुखा देता है । उसी प्रकार उसने महल में कदम रखा है, तो मेरा धन भी कम होता जायेगा ।
इसलिए मैंने उसे सौ मुद्राओ के बदले हज़ार मुद्राएँ भेट कर दी ।

सेनापति और बाकी दरबारी ने राजा के आगे हाथ जोड़ लिए ।
वह दरबारी भी राजा की बात सुन रहे थे वह कहने लगे- राजा मैंने उस फकीर को देखकर उसे कम आंक लिया था, लेकिन अब मैं जान पाया हूंँ कि आपकी तरह वह भी एक तत्व ज्ञानी था ।
राजा बोला- तत्वज्ञान किसी को भी प्राप्त हो सकता है, इसलिए हमें कभी किसी को देखकर यह अंदाजा नहीं लगना चाहिए कि वह कुछ जानता है या नहीं । जैसे:- एक प्राणी का दर्द वही महसूस कर सकता है, जो दर्द क्या है जानता हो । उसी प्रकार एक तत्वज्ञानी का भाषा वही समझता है जो उसका अर्थ जानता हो ।

यह कहानी हमें यह बताने का प्रयास कर रही है कि एक तत्व ज्ञानी ही दूसरे तत्व ज्ञानी की बातों को समझ सकता है ऐसा ही हमारी आम जिंदगी में भी होता है कि हम जीवन को नहीं समझ पाते, तो जीवन भी हमें नहीं समझता । इसलिए हर चीज को तत्व से जानने की आवश्यकता होती है । जिस प्रकार एक तत्व ज्ञानी को तत्व ज्ञानी ही जान सकता हैं उसी प्रकार जीवन को भी वही जान सकता हैं जो जीवन के तत्व या आधार को समझता हो ।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी  Inspirational Story in Hindi “एक राजा और फकीर का तत्वज्ञान” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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