वक्त के साथ खुद को ढालना सीखो । Positive Kahani in Hindi

वक्त के साथ खुद को ढालना सीखो - Positive Kahani in hindi
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Positive Kahani in Hindi: जीवन में सभी लोग एक योजना के तहत काम करते हैं और लगभग सभी योजना सफल नहीं होती, तो फिर ऐसे में क्या किया जाए । क्या खुद को हमेशा दुखी होने दे? तो इसका जवाब है बिल्कुल नहीं । वक्त के साथ आपको फ्लैक्सिबल बनना है, ना कि अपनी सोची गई योजना पर टिके रहना है । इसी विषय से संबंधित शुरू करते हैं आज की कहानी “वक्त के साथ खुद को ढालना सीखो ।”

करण की योजना – Positive Kahani in hindi

करण एक बहुत होशियार लड़का था । सभी की तरह उसने भी अपने जीवन में बहुत सारी योजनाएं बना रखी थी। उसका सपना था कि वह इंजीनियर बने, तो फिर क्या था उसने एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अपना एडमिशन करा लिया और पढ़ाई के लिए निकल पड़ा ।

समस्या यह थी कि उससे इंजीनियरिंग हो नहीं रही थी । लेकिन फिर भी वह कभी यह नहीं सोचता था कि मैं कुछ और कर लूँ । वह बस अपनी उस योजना को पकड़ के रखना चाहता था । चाहे कुछ भी हो, उसको तो इंजीनियर ही बनना था । जैसे-तैसे उसने इंजीनियरिंग तो पूरी कर ली । लेकिन उसके बाद भी वह इस काबिल नहीं हो पाया था कि वह इस फील्ड में एक अच्छी नौकरी ले सके ।

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इंजीनियरिंग के बाद तीन-चार साल उसने ऐसे ही गुजार दिए और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें । एक बार उसे उसके कॉलेज का एक दोस्त दिखा । विमल को देखते ही करण उससे बात करने के लिए पहुंचा ।

करण बोला- अरे! विमल कैसे हो? बड़े दिनों बाद।
विमल बोला- ठीक हूँ, कॉलेज के बाद तो जैसे दोस्तों से मिलना-जुलना ही कम हो गया है ।
करण बोला- और, आजकल क्या कर रहे हो ?
विमल बोला- मैंने अपना खुद का काम खोला है । कपड़ों की एक दुकान खोली है और वह बहुत अच्छी चल रही है ।

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यह सुनकर करण हैरान-सा रह गया । क्योंकि विमल भी उसके साथ इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता था और वह भी उसी की तरह सोचता था कि वह इंजीनियर बनेगा, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने अपनी फील्ड चेंज कैसे कर ली ।
करण बोला- पर तू तो कह रहा था, कि मैं इंजीनियर ही बनूँगा, फिर तूने अपनी योजना कैसे बदल ली ।

विमल की समझदारी – Positive Kahani in hindi

विमल बोला- हाँ, मुझे भी यही लगता था कि मैं इंजीनियर बनूँगा, लेकिन हमें जीवन के हिसाब से चलना चाहिए । हमें खुद इतना फ्लैक्सिबल होना चाहिए कि हम उस हिसाब से खुद को ढाल सके । कब तक एक चीज को पकड़ कर रखेंगे, इसलिए मैंने सोचा कि मैं अपना ही काम खोल लेता हूंँ ।

करण और विमल में और भी बहुत सारी बातें हुई। उसके बाद विमल वहां से चला गया ।
करण सोचने लगा, मैं भी कितना बड़ा बेवकूफ हूंँ । जो एक चीज को पकड़ कर, अपना वक्त यूं ही बर्बाद करता रहा । दूसरी तरफ विमल कितना समझदार है, उसने वक्त रहते कोई दूसरा काम पकड़ लिया । मैं भी तो ऐसी बहुत सारी स्किल्स जानता हूँ जिसमें मैं जा सकता हूंँ । लेकिन पता नहीं क्यों हम सिर्फ योजना को लेकर ही चलते रहते हैं इस योजना ने तो मेरी जिंदगी को ही दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है ।

विमल का करण से मिलना, उसकी जिंदगी में एक सबक की तरह आया । अब उसने फैसला कर लिया था कि वह इंजीनियरिंग छोड़कर कुछ और करेगा ।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें वक्त के साथ खुद को बदलना चाहिए । क्योंकि यदि हम अपनी बनाई हुई योजना के अनुसार चलेंगे, और हमारे सोचे गए परिणाम जब हमें नहीं मिलते तो हमारे लिए यह जीवन बड़ा कठिन हो जाएगा । इसलिए अपने जीवन में फ्लैक्सिबल होना सीखो । जिस प्रकार शरीर को फ्लैक्सिबल होने के लिए व्यायाम की जरूरत पड़ती है इसी प्रकार जिंदगी की गंभीरता को देखते हुए उसमें भी बदलाव होना जरूरी है । आप अपनी जिंदगी कि उन योजनाओं को पकड़ कर मत रखो, जो कि आपको दिन-रात परेशान करती है करण की तरह आप भी समझे और फ्लैक्सिबल बने ।

उम्मीद करते है आपको हमारी Positive Kahani in Hindi “वक्त के साथ खुद को ढालना सीखो” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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