short moral story in hindi : एक कंजूस और लापरवाह व्यक्ति की कहानी
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Short Moral Story in Hindi: आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान सब कुछ करना चाहता हैं लेकिन इस सब करने के चक्कर में वह खुद के लिए ही लापरवाह हो जाता हैं । आज की कहानी भी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कि अपनी कंजूसी और लापरवाही के चलते अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठा ।

एक सोहन नाम का व्यक्ति था, जो की मध्यम-परिवार का था, वह बहुत ही ज्यादा कंजूस था । कंजूसी करते-करते वह बहुत धनवान हो गया था, उसने कपड़ो की एक बहुत बड़ी दुकान खोल ली थी । लेकिन धनवान होने के बावजूद भी कंजूसी की आदत उसकी वैसी ही बनी हुई थी ।

आस-पास के लोग उसे मजाक में कंजूस सेठ कहकर पुकारा करते थे और वह इस बात से बड़ा चिड़ा करता था । कंजूसी सिर्फ पैसों की होती तब भी ठीक थी, लेकिन वह तो अपना जीवन जीने में भी कंजूसी दिखाता था । वह धनवान तो हो गया था लेकिन उसके घर में हमेशा क्लेश रहता था क्योंकि वह सबको पैसा खर्च करने, और कहीं आने जाने से रोकता टोकता रहता था ।

एक दिन उसकी पत्नी उससे बोली- आपके पास इतना पैसा आ गया है लेकिन फिर भी हम लोग गरीबों की तरह जिंदगी जीते हैं । दिखाने के लिए तो हमारे पास सब कुछ है, इतना बड़ा मकान है, लेकिन फिर भी हम तो अपने मन को मार ही रहे हैं । आखिर कब आप अपनी यह कंजूसी की आदत छोड़ोगे ?

सोहन बोला- जिस कंजूसी का हवाला देकर लोग मुझे इतना सुनाते है ना, आज इसी कंजूसी कि बदौलत, मैं यह इतना सब कुछ खड़ा कर पाया हूंँ । पर मुझे लोगों का इतना दुख नहीं है, दुख तो तुम्हारा है कि तुम्हें भी सिर्फ मेरी कंजूसी दिखती है, उसके पीछे मेरी मेहनत नहीं दिखती ।

पत्नी बोली- मुझे पता है आपने बहुत मेहनत की है! पैसा बचाना बहुत जरूरी है, लेकिन पैसा बचाने में और कंजूस होने में जमीन-आसमान का फर्क है।
सोहन बोला- हाँ, तो ठीक है मैं कंजूस ही सही ।

पत्नी बोली- आप सुबह से लेकर शाम तक बस काम ही करते रहते हो । अपनी सेहत पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते, आप इंसान हो या मशीन । ना आप कहीं खुद जाते हो, ना ही मुझे ले जाते हो । नाते-रिश्तेदारों से तो आपने रिश्ता तोड़ रखा है। ऐसे में यदि कल को आपको कुछ हो गया तो हम क्या करेंगे ?

सोहन बोला- मुझे क्या होने वाला है, मुझे कुछ नहीं होने वाला । नाते-रिश्तेदारों की नज़र तो सिर्फ़ मेरे पैसों पर रहती हैं, फिर क्यूँ उनसे इतना मिलना-जूलना । तुम फालतू में यह सोच-सोच कर अपना और मेरा दिमाग मत खराब करो ।
पत्नी चिड़ते हुए वहाँ से चली गई ।

एक दिन सोहन को अचानक दुकान में चक्कर आने लगे – Short Moral Story in Hindi

एक दिन सोहन को अचानक दुकान में चक्कर आने लगे । दुकान के एक कर्मचारी ने कहा- लगता है आपकी तबीयत ठीक नहीं है यहाँ का काम, हम संभाल लेगे आप घर चले जाइए ।
सोहन ने सोचा, अगर मैं घर चला गया तो मेरे गल्ले का कौन ध्यान रखेगा । इसमें तो बहुत पैसे हैं इन लोगों ने पैसे चुरा लिए तो और यदि कोई ग्राहक आया तो मुझे कैसे पता चलेगा इन्होंने कितना सामान बेचा है ।

कर्मचारी ने कहा- आप क्या सोच रहे हैं ? अगर आपको हम पर यकीन नही हैं तो आप आज के लिए दुकान बंद कर दो ।

सोहन बोला- नही, दुकान बंद करने से एक ही दिन में चार-पाँच हजार का नुकसान हो जायेगा । मैं ठीक हूंँ थोड़ी देर बैठूँगा, तो मुझे आराम मिल जाएगा, तुम लोग अपना काम करते रहो ।

सोहन की बात सुनकर सभी कर्मचारी वापस अपने काम में लग गए । सोहन की तबीयत ठीक हो गई लेकिन कुछ दिनों बाद अचानक से उसे बुखार आ गया और उसने बिस्तर पकड़ लिया । काफी दिन तक जब बुखार नहीं उतरा तो पति की हालत देकर पत्नी बहुत परेशान हो गयी ।

पत्नी अपने पति से बोली- हमारे शहर के एक बहुत ही बड़े डॉक्टर है, यहाँ पर हम आपको दिखा देते हैं ।

सोहन बोला- तुम पागल हो क्या ! इतने से बुखार के लिए तुम मुझे शहर के बहुत बड़े डॉक्टर के पास ले जाओगी । उनकी कितनी फ़ीस लगेगी कुछ पता हैं!! मेरे लिए आस-पास की दुकान से ही कोई दवाई लेकर आ जाओ । मैं वही खा कर ठीक हो जाऊँगा ।

पत्नी बोली- आप मेरी बात क्यों नहीं मानते, आपका बुखार तो पिछले दस दिन से नहीं उतर रहा है । कब से आप यही दवाई खा रहे हो इसलिए मैं कह रही हो, हम अच्छे डॉक्टर के पास चलते हैं ।

सोहन बोला- अरे ! तुम घर में रहती हो, तुम्हें क्या पता आजकल के डॉक्टर कैसे होते हैं । वह तो बस मरीज को लूटने के लिए बैठे रहते हैं कि कैसे कोई बीमार पड़े और इनका पैसा हमारी जेब में आ जाए । अगर मुझे मामूली बुखार भी होगा ना तो कोई लंबी-चौड़ी बीमारी बताकर मुझसे पैसे ऐठ लेंगे। इससे बेहतर कि मैं यही दवाई खाता रहूँ ।

पत्नी बहुत कुछ बोलना चाहती थी लेकिन इस वक्त सोहन की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वह चुपचाप दुकान गई और दवाई लेकर पति को खिला दी ।
अब सोहन ठीक हो चुका था लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी यह लापरवाही एक दिन उसकी जान ले लेगी ।

सोहन अचानक से बेहोश हो गया – Short Moral Story in Hindi

सोहन को फ़िर से चक्कर आए और उसने सोचा- शायद ज्यादा देर तक काम करने की वजह से मुझे चक्कर आ रहे हैं । उसने अपने प्रति बहुत लापरवाही दिखाई जिसका नतीजा ये निकला कि वह अचानक से बेहोश हो गया और कई घंटे तक होश में ही नहीं आया ।

पत्नी ने शहर के सबसे अच्छे डॉक्टर को बुलाया सोहन के मित्र, रिश्तेदार सभी पहुँच गए ।

डॉक्टर ने सोहन की जांच करी और बताया कि उसे एक घातक बीमारी हो गई है और अब उसका कोई इलाज नहीं है । सोहन के पास बस कुछ ही महीने है जीने के लिए ।
ऐसा सुनते ही पत्नी रोने लगी, आस-पास बैठे सभी के चेहरे उतर गए ।
सोहन ने अपनी आंखें खोली तो खुद को पलंग पर पाया और उसके आस-पास बहुत सारे लोग थे । उसकी तबीयत खराब थी इसलिए वह कुछ नहीं बोल पा रहा था, वह बस सबको देख रहा था ।
धीरे-धीरे करके सभी चले गए।

पत्नी बोली- मैंने आपसे कहा था ना, कि आप अपनी सेहत पर ध्यान दो, देखा उसका क्या नतीजा निकला ।

सोहन बोला- बताओ, मुझे क्या हो गया है ? मेरे आस-पास इतनी भीड़ क्यों थी ?

पत्नी रोते हुए बोली- अब आपके पास ज्यादा वक्त नहीं है सिर्फ कुछ ही महीने है आपके पास जीने के लिए ।
काश आपने मेरी बात मान ली होती और आप पहले डॉक्टर को दिखा देते तो आज आप सही होते ।

यह सुनते ही सोहन के मन में एक सन्नाटा-सा पसर गया । वह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि अचानक से उसके साथ ऐसा क्या हो गया है ।

सोहन बोला- तुम ठीक ही कहती थी, मैंने सिर्फ़ पैसों की नहीं जीवन में हर चीज की कंजूसी की है और सबसे बड़ी कंजूसी यह कि मैंने अपने जीवन को जिया ही नहीं । आज मुझसे मेरा जीवन ही छीन रहा है । जितना भी वक्त मेरे पास बचा है अब मैं इसे खुलकर जीऊँगा, जीने में कोई कंजूसी नहीं करूँगा।

ऐसा कहते हुए सोहन की आँखों से आँसू बहने लगे ।
इसके बाद सोहन कुछ महीनो तक ऐसे जिया, जैसे कि उसने कभी जिया ही नहीं था उसने पूरी दुनिया घूमी और अब वह अपनी जिंदगी को अलविदा कहने के लिए तैयार था ।
हमें एक ही बार जिंदगी मिलती है इसलिए हमें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए खुद का भी ध्यान रखना चाहिए । हमसे ही हमारी जिंदगी है ।

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