शिकायत करना छोड़ो || Motivation
आज की कहानी का शीर्षक है “शिकायत करना छोड़ो ।” मनुष्य का स्वभाव ऐसा होता है कि यदि उसे कोई नया कार्य शुरू करना हो और उस काम करने के लिए जरूरी चीज़े भी मिल जाए, लेकिन उसके बाद भी वह छोटी छोटी कमियों को खोजता हैं और शिकायत करता है कि यदि मुझे यह मिल जाता तो यह काम कर लेता । एक शिकायती इंसान को हमेशा हर चीज में कमी दिखाई देती है, लेकिन जो मनुष्य जिम्मेदारी उठाने वाला होता है, वह कभी भी शिकायत नहीं करता ।
आज की कहानी भी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने जो कहा उसे वही मिला, इतना मिलने के बाद भी वह उसे नजरअंदाज कर देता है । तो शुरू करते हैं ….. आज की प्रेरणादायक कहानी । शिकायत करना छोड़ो ।
शिकायत करना छोड़ो प्रेरणादायक कहानी
एक व्यक्ति था जो कि व्यापारी था, वह व्यापार के लिए एक शहर से दूसरे शहर जा रहा था । दोनों शहर के बीच एक रेगिस्तान पड़ता था । वह व्यक्ति जीवन की हर समस्या को लेकर बहुत नेगेटिव था । उसे हर चीज में हमेशा कमी ही दिखाई देती थी । वह रेगिस्तान की तरफ जा रहा था । चलते-चलते वह बहुत थक गया और ऊपर देखकर कहने लगा । हे भगवान! तूने मुझे इस मरुस्थल में तो भेज दिया है, लेकिन मेरी हालत पर जरा तरस खाओ यहां पर तो पानी तक नहीं है । आपने क्या जगह बनाई है । अगर मेरे पास बहुत सारा पानी होता, मैं यहाँ हरियाली ही हरियाली कर देता ।
थोड़ी दूर जाने के बाद व्यक्ति को एक कुआँ दिखा कुएं को देखकर वह वहां रुक गया और उसने कुएँ के अंदर झांक कर देखा तो वहाँ पर पानी था । पानी देखते ही वह फिर सोचने लगा भगवान अपने मुझे कुएँ में पानी तो दिया । लेकिन मैं इसमें से पानी कैसे निकालू? व्यक्ति दो कदम और चला तो उसने देखा कुएँ के उस तरफ बाल्टी और रस्सी थी ।
उसने पहले पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई और फिर वह सोचने लगा, अरे भगवान, यहाँ पर बाल्टी और रस्सी तो है लेकिन मुझे यहाँ हरियाली लाने के लिए, पानी को ले जाने की जरूरत है और मैं भला इसे ढोकर कैसे ले जा सकता हूंँ । तभी उसने देखा तो उसे एक ऊँट दिखाई दिया ऊँट को देखते ही वह व्यक्ति डर गया । अरे ये क्या हो रहा है जो मैं बोले जा रहा हूँ वही मुझे मिलता जा रहा है। क्या सचमुच मुझे ऊंट पर पानी ढोकर ले जाना पड़ेगा । अब क्या मुझे सचमुच इस रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने की ज़िम्मेदारी उठानी होंगी ।
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उसने उस ऊंट को नजरअंदाज किया और ऐसे ही रेगिस्तान में चल पड़ा चलते-चलते वह बहुत थक गया इसलिए कुछ देर के लिए उसे नींद आ गई और उसने एक सपना देखा, भगवान उसके सपने में आए और कहने लगे । तूने जो-जो मुझसे कहा मैंने तुझे वही दिया लेकिन फिर भी तू हमेशा नकारात्मक ही सोचता है । ऐसा सुनते ही उस व्यक्ति की नींद खुल गई । वह जल्द से जल्द उस रेगिस्तान से बाहर आना चाहता था । उसने ईश्वर की दी हुई हर चीज को नजरअंदाज किया ताकि वह ज़िम्मेदारी उठाने से बच सके ।
हम लोगों की जिंदगी भी कुछ ऐसी होती है हम हमेशा जीवन से शिकायत करते रहते हैं कि अगर हम अच्छे स्कूल-कॉलेज में पढ़े होते तो आज हम ऐसे ना होते । अगर हमारी कोई मदद करता है, तो आज हम आगे होते । हमारी इन्हीं शिकायतों के चलते ईश्वर जो हमें देता है हम उसे नजर अंदाज करते हैं । हमारी शिकायतों के पीछे छुपा हुआ राज यही रहता है कि हम अपनी जिम्मेदारियों से डरते हैं क्योंकि जिम्मेदारी हमसे ढेर सारी मेहनत मांगती है। और हम उस श्रम से बचना चाहते है ।
यह कहानी हमे यह बताती है कि हम जीवन में जो भी कर रहे हैं उसकी जिम्मेदारी हमें खुद लेनी होगी । क्योंकि जिम्मेदारी लेने से ही हम आगे बढ़ पाएंगे । इसलिए आज से ही शिकायत करना छोड़ो पर जो भी जितना भी हमारे आस-पास है उसको पकड़ कर जीवन में आगे बढ़ते जाओ ।
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