एक व्यापारी और गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

एक व्यापारी और गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
Share this Post to Your Friends

सफलता अक्सर उसके ही हाथ लगती है जो लगातार मेहनत के साथ बार बार प्रयास करता रहता है। मेहनती इंसान कभी भी हार नहीं मानता है। वह कभी भी मुश्किलों से नहीं घबराता है। वह हर परिस्थितियों से उबरकर निकल जाता है। इंसान को कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। उसे हर पल कठिन परिश्रम करते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमारी आज की कहानी का विषय है एक व्यापारी और गौतम बुद्ध की कहानी। तो आइए हम कहानी पढ़ना शुरू करते हैं।

एक व्यापारी और गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

बहुत समय पहले की बात है जब सोहन नाम का एक व्यापारी चांदनगर शहर में रहता था। वह बहुत ही ज्यादा धनवान था। धनवान होने के साथ ही साथ वह बेहद दयावान भी था। वह हर किसी के प्रति दया का भाव रखता था। उसे पता था कि गरीबी क्या होती है। उसने अपना बचपन बड़ी ही कठिनाई के साथ काटा था। सोहन के पिता बचपन में ही गुजर गए थे। क्योंकि वह अपने घर का बड़ा बेटा था इसलिए कम उम्र में ही कमाई की जिम्मेदारी उसपर आ गई थी।

सोहन बहुत ज्यादा मेहनती था। उसने अपना खुन पसीना एक किया तब जाकर वह अपने घर का खर्च चला पाया था। और एक दिन ऐसा भी आया कि वह अपनी इसी मेहनत के चलते एक बड़ा व्यापारी भी बन गया। उसके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं थी। बस एक चिंता उसको रात-दिन परेशान करती थी। सोहन की एकमात्र संतान का नाम धनसुख था।

धनसुख ऐसे तो स्वभाव का अच्छा था। लेकिन एक चीज की उसमें कमी थी कि वह अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति बिल्कुल भी जागरूक नहीं था। वह अपने पिता के समान मेहनती नहीं था। वह अपने पिता के धन को पानी के समान बहाने लगा। सोहन अपने बेटे के इस रवैये से बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके इकलौते वारिस का भविष्य कैसा होगा।

एक दिन किसी ने सोहन को बताया कि दो दिन बाद उनके शहर में महात्मा बुद्ध आने वाले हैं। वह हर चीज का सामाधान बता देते हैं। हो सकता है कि महात्मा बुद्ध तुम्हारी चिंता भी दूर कर दे।

महात्मा बुद्ध का आगमन

दो दिन बाद चांदनगर में महात्मा बुद्ध पधारे। चांदनगर के सारे लोग महात्मा बुद्ध के पास उमड़ पड़े। उन लोगों में सोहन भी वहां उपस्तिथ था। जैसे ही उसकी बारी आई उसने गौतम बुद्ध को अपना सारा दुख सुना दिया।

व्यापारी ने कहा, “महात्मा! हर कोई औलाद की इच्छा रखता है। लेकिन औलाद अपनी जिम्मेदारियों को ही ना समझे। और पैसे को पानी के समान बहाए तो ऐसे में किस पिता को अच्छा लगेगा। आप कृप्या करके समाधान बताइए ताकि मैं अपने बेटे को सही रास्ते पर ला सकूं।”

बुद्ध ने सोहन से कहा, “मैं जैसा कहूं तुम वैसा ही करना। तुम दो दिन तक वही रूकोगे जहां मैं रूका हुआ हूं।”

दो दिन बाद में सोहन के घर खबर पहुंचाई गई कि सोहन को सांप ने काट लिया है और दुर्भाग्यवश उसकी मौत हो गई। धनसुख को एक चिट्ठी भी दी गई जिसमें सोहन के लिखे अंतिम शब्द थे – “बेटा, मैं मर रहा हूं। लेकिन तुम अपना और अपनी मां का ध्यान अच्छे से रखना। मैंने एक समय पहले चांदनगर की मुख्य नहर के समीप ही धरती में खूब सारा धन गाड़ा था। वह धन अब तुम मां बेटे के बहुत काम आएगा। तुम्हारी जिंदगी आसानी से निकल जाएगी।”

पिता की मृत्यु की खबर सुनते ही धनसुख के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह सोचने लगा कि अब उसका जीवन कैसे गुजरेगा। वह बिना देरी किए जल्दी से उस नदी के पास पहुंचा। नदी के पास पहुंचकर उसने जमीन खोदनी शुरू कर दी। जमीन खोदते खोदते कब दिन से रात हो गई उसे पता ही नहीं चला। अगली सुबह वह फिर से उस खोदी हुई जमीन को और गहरा खोदने लगा। आज भी सुबह से रात हो गई।

फिर अगली सुबह जब वह खुदाई कर रहा था तो महात्मा बुद्ध वहां से गुजरे। उन्होंने धनसुख से पूछा, “क्या हुआ वत्स, तुम लगातार जमीन क्यों खोदे जा रहे हो?”

इस प्रश्न पर धनसुख ने सारी कहानी बता दी। फिर महात्मा बुद्ध बोले, “तुम्हें तीन दिन होने को आए हैं। लेकिन क्या तुम्हें वह गड़ा हुआ खजाना मिला?”

धनसुख का जवाब नहीं था।

इस बात पर गौतम बुद्ध ने कहा, “वह खजाना मेरे पास है।”

धनसुख को कुछ समझ में आया ही नहीं था कि तभी वहां सोहन प्रकट हो गया। अब तो धनसुख का सिर चकराने लगा।

महात्मा बुद्ध बोले, “तुम केवल तीन दिन में ही मेहनत करके थक गए। और यहां तुम्हारे पिता ने अपना पूरा जीवन मेहनत में गुजार दिया। तुम्हारे पिता की मेहनत के चलते ही आज तुम सुख भोग रहो है।” महात्मा बुद्ध के ऐसा बोलते ही धनसुख का सिर शर्म के मारे झुक गया।

वह अपने पिता के पैरों में गिरकर बोला, “पिताजी, मैं मेहनत और पैसों का महत्व समझ गया हूं।”

कहानी का सार – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पैसे की कद्र करना सीखें। यदि आपके घर में कोई कमाने वाला पहले से है तो इसका ये मतलब नहीं कि अब आप को कमाने की जरूरत नहीं है। कुछ लोग होते है वो इसलिए मेहनत नहीं करते क्योंकि उनको इसकी जरुरत महसूस नहीं होती, और जब बुरा समय आता है तब आपको इसकी जरूरत और पैसे की कद्र समझ में आती है। आपके माता पिता ने जो भी किया वो बड़ी जिम्मेदारी के साथ किया है। आपको भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और मेहनत करके आगे बढ़ते रहना चाहिए । मेहनती इंसान की हर कोई इज्जत करता है।

उम्मीद करते है आपको हमारी “एक व्यापारी और गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


Share this Post to Your Friends

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *