गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी
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आज की कहानी का शीर्षक है “गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी”। हिंसा का मार्ग अपनाकर मनुष्य कभी-भी शांति से नहीं रह सकता, इसलिए हमें कभी भी हिंसा को नहीं चुनना चाहिए । आज की कहानी भी एक हिंसक डाकू अंगुलिमाल पर आधारित है । जिसने बुद्ध के ज्ञान की रोशनी के आगे, अपने हिंसा के हथियार को त्याग दिया ।

गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी

यह बात उन दिनों की हैं जब मगध राज्य में अंगुलिमाल नामक एक डाकू का खौफ बैठा हुआ था, वह बहुत भयानक था । उसका नाम अंगुलिमाल पड़ने का यह कारण था, कि वह जिसको भी मारता था, उसकी एक अंगुली काटकर अपने गले में माला बनाकर पहन लेता था ।

एक बार गौतम बुद्ध जिस मार्ग से जा रहे थे, उसी मार्ग पर वहाँ अंगुलिमाल डाकू आ गया ।
अंगुलिमाल बोला- रुको कहाँ जा रहे हो?

गौतम बुद्ध रुके और बोले- मैं तो रुक गया पर, तुम बताओ ! तुम कब रुकोगे ?
अंगुलिमाल बोला- सन्यासी ऐसी बातें करके, तू बच नहीं सकता ।
बुद्ध बोले- मैं तो यहाँ से जा ही नहीं रहा, यही खड़ा हूँ।
अंगुलिमाल बोला- क्या तुझे मुझसे डर नहीं लगता, मैंने कितने लोगों को मार कर उनकी अंगुलि काटकर अपने गले में माला पहन रखी है ।

बुद्ध बोले- डर तो उनसे लगता है जो ताकतवर हो, पर तुम तो मुझे ताकतवर नहीं लगते।
बुद्ध की बात सुनकर अंगुलिमाल क्रोध में भर गया ।
अंगुलिमाल बोला- लगता हैं तुझे मेरी ताकत का अंदाजा नहीं हैं, तूने कभी मेरा नाम नहीं सुना । इतने लोगों को मैं मौत के घाट उतार चुका हूंँ और आज तेरी बारी है ।
बुद्ध बोले- अच्छा! अगर तुम सचमुच ताकतवर हो, तो पेड़ से कुछ पत्ते तोड़ कर दिखाओ ।

अंगुलिमाल ने क्रोध में जाकर पेड़ के पत्ते तोड़ दिए और बुद्ध को दिखाते हुए कहने लगा – देख मैंने इस पेड़ के पत्ते तोड़ दिए, मैं तो इस पेड़ को भी उखाड़ सकता हूँ । मेरी ताकत का तुझे तब अंदाजा होगा जब इस तलवार से मैं तेरे प्राण लूँगा ।

बुद्ध बोले- अब इसी पत्तों को वापस जोड़ कर दिखाओ ।
अंगुलिमाल बोला- मूर्ख ! ऐसा कभी संभव है क्या? पत्तों को तोड़ने के बाद भला जोड़ा जा सकता हैं ?
बुद्ध बोले- फिर तुम्हारी यह किस प्रकार की ताकत है भीकू ।

भीकू नाम सुनते ही अंगुलिमाल बोला- तुम्हें मेरा यह नाम कैसे पता चला ?
बुद्ध बोले- तुम तक्षशिला में एक विद्यार्थी थे लेकिन कुछ सहपाठियों के दुर्व्यवहार के कारण तुम दिशाहीन हो गए और तुमने यह गलत मार्ग अपना लिया ।
अंगुलिमाल बोला- सन्यासी, भावनाओं का खेल-खेलकर तू बच नहीं सकता । मेरा धर्म बस लोगों की हत्या करना है और मुझे बाकी किसी से भी कुछ लेना-देना नहीं है ।

बुद्ध बोले- तुम लोगों की नहीं स्वयं की हत्या कर रहे हो । तुम्हें लगता हैं की हत्या करने से तुम्हें सुख की प्राप्ति होगी किन्तु हर हत्या के बाद तुम असल में दुखी और अशांत हो रहे हो ।
अंगुलिमाल बोले- इस नरक भरी जिंदगी ने तो मुझे हत्यारा बना दिया है और अब बस मेरा यही काम है ।

बुद्ध बोले- नहीं, तुम्हारे भीतर अब भी एक मनुष्य है । वह मनुष्य जो लोगों को मारकर आत्म-ग्लानि महसूस करता है । लेकिन तुमने उस आत्मग्लानि के ऊपर अपनी झूठी ताकत का चोला ओड़ रखा हैं। तुम्हें लगता है कि तुम लोगों की हत्या कर रहे हो लेकिन वास्तव में तुम रोज अपनी ही आत्मा की हत्या करते हो । लोगों को मारकर भी तुम्हें सुख प्राप्त नहीं होता इसलिए तुम अपनी ताकत का रोब दिखा कर दूसरों पर अपना हक जमाना चाहते हो । तुम बिल्कुल भी ताकतवर नहीं हो, तुम भीतर से बहुत ही कमजोर और खोखले हो ।

ऐसा सुनकर अंगुलीमाल के हाथों से तलवार छुट गई ।
बुद्ध की इन बातों से अंगुलीमाल को ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो । किसी ने उसके हृदय को साफ-साफ आईने की तरह उसे दिखा दिया हो । वह अपनी भावनाओं को ना रोक पाया उसकी आँखों से आँसू बहने लगे ।

अंगुलीमाल बोला- बुद्ध, अब तो मैं इतने सारे लोगों के प्राण ले चुका हूँ, क्या ये समाज इतनी हत्याओं के बाद भी मुझे अपनाएंगा ।
बुद्ध बोले- जब तुम लोगों की हत्या करना बंद कर दोगे, हिंसा को मार्ग त्याग दोगे, तो समाज तुम्हें जरूर अपनाएंगा, क्योंकि समाज भी अपनी भलाई जानता है ।


अंगुलीमाल बोला- बुद्ध आप सत्य ही कहते हो, डाकू बनकर मैंने कितने निर्दोष लोगों की हत्या की है । लोगों की हत्या कर के मैं स्वयं ही अपने लिए दुख पैदा करता रहा हूंँ । आपकी बातों ने मेरे अँधेरे मन में रोशनी कर दी हैं जिसमें मैं साफ-साफ सब कुछ देख पा रहा हूँ । मेरा अंहकार झुक गया हैं। मैं अब किसी की भी हत्या नहीं करूंगा ।

ऐसा कहकर अंगुलीमाल बुद्ध के चरणों में गिर गया और उसने हिंसा का मार्ग हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ दिया । आगे चलकर वह एक सन्यासी का जीवन व्यतीत करने लगा ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हिंसा करने से दूसरों का नुकसान तो होता ही है साथ-साथ हम अपने मन के प्रति भी हिंसक हो जाते हैं । हिंसा करके हमारा मन कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकता इसलिए हमें सदैव हिंसा से बचना चाहिए ।

उम्मीद करते है आपको हमारी गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी “गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल की कहानी” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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