एक बुद्धिमान राजा की कहानी – प्रेरणादायक कहानी

एक बुद्धिमान राजा की कहानी
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इस कहानी का शीर्षक है “एक बुद्धिमान राजा की कहानी”। यदि हम अपने जीवन के सिर्फ पाँच साल किसी सार्थक काम में लगा दे तो, हम अपने आगे का जीवन सुखपूर्वक जी सकते हैं । आज की कहानी इसी विषय पर हैं कि कैसे एक बुद्धिमान राजा ने अपने पाँच सालों का उचित प्रयोग करके, अपना भविष्य सुधार लिया ।

एक बुद्धिमान राजा की कहानी – प्रेरणादायक कहानी

एक विचित्र नगर था । वहाँ पर सदियों से यह प्रथा चलती आ रही थी कि जो भी इस नगर का राजा बनेगा, सिर्फ पाँच वर्ष तक ही उसका कार्यकाल होगा । उसके बाद उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा और उसे कोई जंगली जानवर खा जाएँगा ।

यह बात सभी जानते थे, लेकिन वह फिर भी राजा बनने को आतुर रहते थे । क्योंकि उन्हें लगता था, कम से कम हम पाँच साल तक तो एशो-आराम का जीवन जी पाएँगे । वह सोचते थे- राजा बनके वह सारे भोग-विलास सुख प्राप्त कर पाएँगे, जो कि एक आम नागरिक बनकर नहीं कर सकते । जो भी राजा बनते थे शुरू-शुरू में वह बहुत सुखी रहा करते थे, लेकिन जैसे-जैसे उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला होता था वह परेशान हो जाया करते थे । पर कोई भी राजा इस प्रथा को खत्म करने की चेष्ठा नहीं कर पाया ।

नगर में एक समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति था । वह भी राजा बनने वाला था, पर उसके दिमाग में राजा बनने का लालच नहीं था बल्कि वह सचमुच प्रजा के लिए कुछ करना चाहता था ।
उसके राजा बनने का वक्त आ गया और वह राजा बन भी गया । उसने अपना समय प्रजा की भलाई करने में लगाया, लेकिन साथ ही साथ है वह यह भी सोचने लगा कि मुझे पाँच साल बाद जंगल जाना है तो मैं ऐसा क्या करूँ कि मुझे अपनी जान ना गवांनी पड़े ।

राजा ने सभा बुलाई ।
राजा ने कहा-
सैनिकों उस जंगल में जाओ, जहाँ पर तुम मुझे पाँच साल बाद छोड़ने वाले हो । वहाँ जाकर वहाँ की ज़मीन को मैदानी भाग में बदल दो।
सैनिकों ने कहा- आपकी जो आज्ञा हो महाराज ।
राजा ने कार्यकाल के पहले ही साल सैनिकों को भिजवाकर जंगलों के पेड़ कटवाना शुरू कर दिए । जिससे कि जंगल एक मैदानी भाग में बदल गया ।

इस कार्य के बाद सभा फ़िर लगी ।
राजा बोले-
सैनिकों, अगले दो सालों तक उस मैदानी भागों में एक सुंदर भवन और उसके आस-पास घरों की स्थापना की जाए ।
सैनिक बोले- जो आज्ञा हो महाराज ।
अगले दो सालों में राजा ने एक नगर की स्थापना करवाई और लोगों के लिए भी सुंदर-सुंदर घर भी बनवा दिए ।

तीन साल बीत चुके थे, राजा ने सैनिकों को फ़िर आदेश दिया।

राजा बोले- जो घर मैंने बनवाये थे, उन घरों में यहाँ की गरीब जनता को ले जाकर उनके रहने का इतज़ाम करो और खेती-बाड़ी की व्यवस्था करो । जिससे की उन्हें रोजगार मिले ।

चौथे साल उन्होंने वहाँ पर लोगों को बसा दिया और रोजगार के अवसर पैदा कर दिए ।

पाँच साल पूरे होने के बाद जब राजा को जंगल में ले जाया गया, तो वहाँ जंगल ही नहीं था बल्की एक खूबसूरत नगर बसा हुआ था । राजा उस दूसरे नगर का भी राजा बन गया और वहाँ पर खुशी-खुशी रहने लगा ।
जब लोगों ने देखा कि राजा कितना बुद्धिमान हैं और उसके रहते प्रजा की भलाई हो रही हैं तो उन्होंने पाँच साल के बाद भी उन्हें ही अपना राजा बनाए रखा ।

इन बुद्धिमान राजा की तरह ही यदि हम भी अपने बुद्धि का प्रयोग करके अपने जीवन के पाँच सालों को किसी स्किल्स को डेवलप करने में लगाएँगे तो हमारा भविष्य खुद ही बेहतरीन हो जाएगा । इसलिए हमें हमेशा कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए ।
मनुष्य होने की यही निशानी है कि वह अपनी मुसीबतों से, परेशानियों से, आस-पास वालों से सीख सकता हैं । आज का दौर सोशल मीडिया का है, आप सोशल मीडिया का प्रयोग से बहुत कुछ सीख सकते हैं सीखना हर जगह उपलब्ध है लेकिन उसके लिए हमें अपनी बुद्धि का प्रयोग करना अनिवार्य हैं ।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी प्रेरणादायक कहानी “बुद्धिमान राजा की कहानी” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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