बुद्ध ने अपने परिवार को क्यों छोड़ा ?
ज्ञान-मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति कभी किसी को नहीं छोड़ते । बल्कि उनका ज्ञान का प्रकाश तो, हर व्यक्ति पर बराबर पड़ता है । आइये जानते हैं एक सवाल का जवाब । जो आजकल लोग बुद्ध को ले कर करते हैं, कि बुद्ध ने अपने परिवार को क्यों छोड़ा । शुरू करते हैं आज की प्रेरणादायक कहानी “बुद्ध ने अपने परिवार को क्यों छोड़ा ।”
बुद्ध के जाने के बाद उनके बहुत सारे शिष्यों ने उनकी शिक्षा को जगह-जगह तक फैलाया ।
एक बौद्ध भिक्षुक थे। जो की बुद्ध की शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे थे । वह भी बुद्ध की तरह लोगों को ज्ञान दिया करते थे । एक व्यक्ति बड़ी जिज्ञासा के साथ उनके पास मिलने के लिए आया और बोला- मैं बुद्ध को बहुत मानता हूंँ । उस नाते तो आप भी मेरे गुरु हुए । बुद्ध के ज्ञान से पूरी दुनिया प्रभावित है । लेकिन मैं एक गृहस्थ हूंँ और एक गृहस्थ होने के नाते मेरे मन में हमेशा एक सवाल उठता है ।
बौद्ध भिक्षुक बोले- बताओ! कौन-सा सवाल है तुम्हारा?
व्यक्ति बोला- बुद्ध ने अपने परिवार को क्यों छोड़ा? अपनी पत्नी को बिना बताए ही, वह जंगल की ओर निकल गए । क्या उनके मन में अपने परिवार के लिए तनिक भी प्रेम नहीं था ?
बौद्ध भिक्षुक बोले- प्रेम के कारण ही तो, उन्होंने अपना घर छोड़ा ।
व्यक्ति बोला- गुरुजी, पर प्रेम के कारण लोग घर बसाते हैं, प्रेम के कारण घर छोड़ता कौन है ?
बौद्ध भिक्षुक बोले- बुद्ध के पास बड़ा राज महल था । सुंदर पत्नी थी । एक पुत्र था, लेकिन इतना वैभव होने के बाद भी वह दुखी थे । सुंदर पलंग में उनको नींद नहीं आती थी, प्रजा के दिए गए आदर-सत्कार से उनका मन नहीं खुश होता था । पत्नी की सुंदरता और आकर्षक भी उन्हें नहीं बांध पाई । बेटे का मोह भी उन्हें नहीं रास आया ।
जिस वैभव और धन के लिए दुनिया पागल हो रही है । बुद्ध इस वैभव और धन को पाकर पागल हो रहे थे । क्योंकि उन्हें पता चल रहा था कि इन सबसे ऊपर भी कोई ऐसी चीज है । जो उन्हें हमेशा के लिए आनंद दे सकती है और वह था वैराग्य ।
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व्यक्ति बोला- हाँ, यह तो बड़े आश्चर्य की बात हैं कि किसी मनुष्य को वैभव और धन से ही दुख होने लगे । लेकिन फिर भी नैतिकता तो यही कहती है कि उन्हें अपने पत्नी और बेटे को नहीं छोड़ना चाहिए था ।
बौद्ध भिक्षुक बोले- ज्ञान नैतिकता से बहुत ऊपर की चीज है । लेकिन दुनिया को सिर्फ यह पता है कि बुद्ध सब कुछ छोड़ कर चले गए थे, लेकिन जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, वह वापस लौटे थे । क्योंकि वह चाहते थे वह ज्ञान उनके परिवार तक भी पहुंचे ।
इसलिए आगे चलकर उनकी पत्नी और पुत्र भी उनके शिष्य बन गए थे । जो ऊँचाई उन्हे मिली थी, उस तक उन्होंने अपने परिवार और लोगो को भी पहुँचाया था । “यह प्रेम का सबसे ऊँचा रूप है, किसी को ज्ञान तक ले जाना ।”
अगर उस वक्त बुद्ध यह फैसला नहीं लेते, तो आज हम बुद्ध की चर्चा नहीं कर रहे होते ।
व्यक्ति बोला- धन्यवाद! गुरुजी, सही मायने में आज मैं बुद्ध की महानता को समझ पाया हूंँ । बुद्ध ने वह मार्ग चुना जो सांसारिक मनुष्य के लिए बहुत मुश्किल है । हमारा तो पूरा जीवन धन-वैभव जुटाने में लग जाता है । सचमुच बुद्ध बड़े ही महान थे, आपने सही कहा था । जो ज्ञानी हो जाता है फिर वह ज्ञान दिए बिना नहीं रह सकता, क्योंकि उसे लोगों से प्रेम होता है तो फिर वह अपने परिवार को पीछे कैसे छोड़ सकता है ।
इस तरह उस व्यक्ति ने अपने प्रश्न का जवाब पा लिया और वह वहां से चला गया ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें उस व्यक्ति को हमेशा सम्मान देना चाहिए, जिसने हमें ज्ञान दिया है। उस ज्ञान के द्वारा ही हम अपने मन को समझने की कोशिश करते हैं और चाहते हैं कि हम हमेशा भीतर से शांत और सहज रहे । यदि बुद्ध ना होते तो आज हम उनके ज्ञान से वंचित रह जाते।