पुरानी गलतियों का पछतावा क्यूँ? Motivation

पुरानी गलतियों का पछतावा क्यूँ
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पुरानी गलतियों के कारण ज्यादातर लोग पछतावे की आग मे जलते रहते है। तो सवाल ये उठता है आखिर पुरानी गलतियों का पछतावा क्यूँ ? जीवन का हर पल एक नया मौका होता है और इस मौके को हम पछतावे की भेंट चढ़ा देते हैं, जिससे हमें कुछ प्राप्त नहीं होता, ले देकर हमारे पास बस एक पछतावा ही बचता है।

जानते हैं आखिर वह कौन-से कारण है हमे पछतावा होता हैं और इसका उपाय क्या है ?

गलत करियर चुनने के कारण

जब हम कॉलेज कर रहे होते हैं तब हमारे सामने बहुत सारे ऑप्शंस होते हैं कि हमें किस फील्ड में जाना है, लेकिन हम अपने अंदर झांकने की वजाए, अपने दोस्तों और बाहर वालों की राय लिया करते हैं या फिर कौन-सा करियर बाजार में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है इस हिसाब से अपना चुनाव करते हैं ।

दुनिया के प्रभाव में आकर हम वह कैरियर चुन लेते हैं और कुछ वक़्त बाद हमें पता चलता है कि हम इसके लिए नहीं बने हैं, फिर हमें इसका बहुत पछतावा होता है। हम जब तक इस बात को समझ पाते हैं तब तक बहुत वक्त निकल चुका होता है, हम एक ऐसे दोहराए में फंस जाते हैं जहां पर समझ नहीं आता आखिर हमारे लिए क्या सही है, लेकिन इसका अंत पछतावा तो नहीं है ।

पछतावा होने के बाद हम क्या प्रतिक्रिया देते हैं यह महत्वपूर्ण रखता है जैसा कि हमने पहले भी कहा है, जीवन हर पल एक नया मौका है इसलिए हमें जब भी समझ आए कि हमारे लिए क्या सही है तुरंत हमें वह कार्य कर लेना चाहिए।

गलत साथी चुनने के कारण

गलत करियर का पछतावा हम फिर-भी एक बार सहन कर सकते हैं, लेकिन गलत साथी चुनने का हमें भारी नुकसान होता है । साथी का संबंध हमारी भावनाओं से होता है, सिर्फ आकर्षण के कारण हम किसी को भी अपना साथी चुन लेते हैं, लेकिन एक समय के बाद जब आकर्षण कम होने लगता है, तब हम उस इंसान को झेल नहीं पाते।

हम कभी जानने की कोशिश ही नहीं करते कि, वह इंसान कैसा है ? उसकी सोच क्या है ? और जब तक हम यह जान पाते हैं, तब तक हमारा रिश्ता बहुत टॉक्सिक हो जाता है और फिर हमारे लिए इस रिश्ते से निकलना बहुत मुश्किल होता है । किसी पसंदीदा इंसान को पाने के लिए हम एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं, फिर उसी से छुटकारा कैसे पाएं यह मौका ढूंढते रहते हैं और अंत में हम पछताते हैं कि आखिर हम इस रिश्ते में आए ही क्यूँ।

तो आख़िर इसका उपाय क्या है? इसका उपाय यह है कि हम कभी-भी किसी से रिश्ता बनाने में जल्दबाजी न करें। शुरू-शुरू में हमें उस इंसान की हर बात अच्छी लगती है लेकिन हकीकत बिल्कुल इसके विपरीत होती है, इसलिए हमें खुद को और अपने पार्टनर को वक्त देना चाहिए ताकि दोनों एक-दूसरे को समझ सके। हमारे पास इतनी शक्ति भी होनी चाहिए यदि हमारा रिश्ता अच्छा नहीं है तो हम सम्मानपूर्वक एक-दूसरे की जिंदगी से निकल जाए । पछताने से या एक-दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ नहीं मिलेगा ।

सामाजिक दबाव के कारण

पछतावे का एक कारण सामाजिक दबाव भी है । सामाजिक दबाव या वह जो प्रचलन में चल रहा है, उसमें फिट होने की कोशिश हम अक्सर करते हैं । किसी अभिनेता या अभिनेत्री की तरह स्मार्ट या कूल बनना या फिर आजादी के नाम पर अपने किसी भी व्यवहार को सही ठहरा देना, दिखावे के कारण हद से ज्यादा महंगी चीजें खरीदना या शो ऑफ करना जिससे कि हमें भारी नुकसान उठाना पड़ता है । हम इस बात पर भी पछताते हैं कि हमारा लाइफस्टाइल किसी बड़े सेलिब्रिटी की तरह क्यों नहीं है ।

लेकिन आप ही बताइए यह कहां तक सही है, “मनुष्य को कभी-भी अपनी मौलिकता नहीं भूलनी चाहिए ।” मौलिकता कभी-भी किसी और की तरह बनने में नहीं है, बल्कि जो जीवन का नियम है उसके अनुसार सरल और सहज बनने में है, यदि हम जीवन के इस मूल-मंत्र को समझ लेंगे तो हमें कभी नहीं पछताना पड़ेगा।

पछतावे का अर्थ भी तभी है जब आप उससे कुछ सीख ले पछताते रहने से हमारी समस्याएं हल नहीं होगी, इसलिए पछताना छोड़िए और सही फैसला लेना सीखिए। जीवन की मौलिकता में अपनी जड़ों को जमाना सीखिए।

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