तनाव से बचाना है तो लाइफस्टाइल बदलो || प्रेरणादायक कहानी
“तनाव से बचाना है तो लाइफस्टाइल बदलो ।” आज के वक्त ज्यादातर व्यक्ति तनाव में जीते हैं । यह तनाव हमें अंदर से तोड़ देता है, हम सभी को यह लगता है कि तनाव तो बहुत बड़ी घटनाओं के कारण होता है । मगर यह सत्य नहीं है कभी-कभी तनाव हमें छोटी चीजों के कारण भी हो सकता है । आज हम जानेंगे एक ऐसे लड़के के बारे में जो तनाव में घिर गया था । लेकिन जल्द ही अपने टीचर की वजह से वह उससे बाहर निकल पाया । शुरू करते है आज की कहानी “तनाव से बचाना है तो लाइफस्टाइल बदलो।”
तनाव से बचाना है तो लाइफस्टाइल बदलो || प्रेरणादायक कहानी
कपिल नाम का एक लड़का था । जो की पढ़ाई-लिखाई में बहुत अच्छा था । वह हमेशा क्लास में टॉप किया करता था । उसके मां-बाप और टीचर्स उससे बहुत खुश रहा करते थे । सबको उससे बहुत उम्मीदें थी, कि वह एक दिन कुछ बड़ा करके दिखाएगा । कपिल ने बारहवीं की परीक्षा में टॉप किया था । उसके माता-पिता कपिल से बहुत प्रसन्न थे । जानते हैं आगे कैसे कपिल की जिंदगी स्कूल से निकलते ही बिल्कुल बदल गई ।
अब वक्त आ गया था कि कपिल किसी कॉलेज में दाखिला लें । उसने कॉलेज में दाखिला लिया । शुरू-शुरू में वह बहुत खुश था । उसे सब कुछ बहुत अच्छा और नया-नया लगता था । लेकिन वह कुछ ऐसे दोस्तों की संगत में पड़ गया, जो कि उससे बिल्कुल विपरीत थे । धीरे-धीरे कपिल का रुझान पढ़ाई से हटने लगा । वह अपने दोस्तों के साथ रात-रात भर क्लब में जाने लगा और शराब पीने लगा ।
उसके सभी दोस्त उसको यही सलाह देने लगे, कि अब तू बड़ा हो गया है इसलिए घरवालों की बातें सुनने की जरूरत नहीं है । यही तो मजे करने के दिन है, जो करना है कर । उस वक्त कपिल की उम्र ही ऐसी थी, कि उसको अपने दोस्तों की हर बात सही लगती थी ।
कपिल के माता-पिता उसका बदला हुआ रवैया महसूस कर पा रहे थे । एक दिन कपिल के पिता उससे बोले- बेटा यह तुम्हें क्या हो गया है? तुम पढ़ाई में इतने होनहार थे । हमें तुमसे कितनी उम्मीदें थी, लेकिन आजकल मैं देख रहा हूंँ ना तुम पढ़ाई कर रहे हो, उल्टा गलत चीजों में फसंते जा रहे हो ।
कपिल बोला- पिताजी! मैं कोई बच्चा नहीं हूंँ बड़ा हो गया हूंँ । मुझे पता है मेरे लिए क्या सही है और क्या गलत । आप मुझे मत बताइए, मुझे क्या करना चाहिए ।
पिता बोले- तुम कितने भी बड़े हो जाओ कपिल, लेकिन एक पिता का फर्ज होता है कि अगर उनका बेटा गलत रास्ते पर चले तो वह उसे सही राह दिखाएं ।
कपिल बोला- पिताजी, मुझे आपका यह लेक्चर नहीं सुनना है, मेरी जिंदगी का जो होगा मैं खुद देख लूंगा ।
ऐसा कहते हुए कपिल वहाँ से चला गया।
कपिल के फर्स्ट ईयर का रिजल्ट आया था और उसमें उसे पता चला कि वह फेल हो गया है । कपिल को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, कि वह फेल भी हो सकता है क्योंकि वह स्कूल में हमेशा टॉप किया करता था । एकदम से वह हंसता-खेलता लड़का तनाव में घिर गया ।
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कपिल ने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया । उसके माता-पिता उससे बात करने की कोशिश करते, लेकिन वह उनसे बात नहीं किया करता था । उसने अपने दोस्तों से भी बात करना छोड़ दिया था । उसका तनाव धीरे-धीरे बढ़ रहा था इसलिए उसे कम करने के लिए वह और अधिक शराब का सेवन करने लगा । वह इतना अधिक शराब पीने लगा कि अगर उसे शराबी कहा जाए तो गलत ना होगा ।
अपने बेटे की ऐसी हालत देखकर कपिल के पिताजी को बहुत दुःख हुआ । कपिल के स्कूल के एक मैथ्स टीचर थे । कपिल जिनकी बात हमेशा माना करता था । ऐसे वक्त पर पिताजी को उनकी याद आई, वह जानते थे कि कपिल किसी से बात करें या ना करें, लेकिन उनसे जरूर बात करेगा ।
कपिल के पिता ने उसके टीचर को फोन करके सारी बात बता दी ।
पिताजी कपिल के कमरे में आए और बोले- कपिल बेटा! तुमने अपनी यह क्या हालत बना रखी है ।
कपिल कुछ नहीं बोला ।
पिताजी फ़िर बोले- कपिल पहले कम से कम तुम मुझसे लड़ाई तो किया करते थे, पर अब तो तुम बिल्कुल चुपचाप हो गए हो । तुम्हारे स्कूल के टीचर तुमसे मिलना चाहते हैं, याद है तुम्हारे फेवरेट मैथ्स टीचर! तुम उनसे भी नहीं मिलोगे क्या?
कपिल अपने टीचर को बहुत मानता था, इसलिए इस बार उसने जवाब दिया- जी पिताजी! मैं उनसे मिलने चला जाऊंगा ।
अगले दिन कपिल अपने टीचर से मिलने पहुंचा।
कपिल के टीचर एक कुर्सी पर बैठे हुए थे और उनके आगे अंगीठी में आग जल रही थी ।
टीचर बोले- कहो! कपिल कैसे हो?
कपिल ने धीमी आवाज़ में कहा- ठीक हूँ !
टीचर बोले- तुम्हारे पिताजी ने मुझे सब बात बता दिया है कि तुम हमेशा कमरे में बंद रहते हो और तुम्हें तनाव ने घेर लिया है ।
अगर तुम्हें तनाव से बचाना है तो अपना लाइफस्टाइल बदलो ।
कपिल चुपचाप बैठकर टीचर की बात सुनता रहा ।
तभी अचानक टीचर ने जलते हुए कोयल को पकड़कर मिट्टी में फेंक दिया और वह बुझ गया ।
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तब कपिल बोला- सर! यह कोयला तो अच्छा खासा जल रहा था । आपने इसे उठाकर मिट्टी में क्यों फेंक दिया?
टीचर बोले- तो ठीक है, मैं इसे मिट्टी में उठाकर फिर से अंगीठी की आग में डाल देता हूंँ ।
टीचर ने ऐसा ही किया उन्होंने कोयले को उठाया और उसे अंगीठी की आग पर डाल दिया, कोयला फिर से जलने लगा ।
टीचर बोले- कपिल! तुम कुछ समझे कि नहीं ।
कपिल बोला– नहीं, सर ।
टीचर बोले- जब तुम स्कूल में थे, तब तुम इस जलते हुए कोयले के समान थे । हमेशा टॉप किया करते थे, अनुशासन में रहते थे । लेकिन जैसे ही तुम कॉलेज में गए, तुम गलत संगत में पड़ गए । अब तुम भी इस कोयले की तरह हो गए थे जो अभी-अभी मैंने मिट्टी में फेंका था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कपिल कि तुम वापस से कुछ नहीं कर सकते । तुम भी खुद को मिट्टी से उठाकर वापस जलते हुए कोयले में फेंक दो, इसका मतलब यह है कि तुम भी खुद को गलत संगत से हटाकर सही काम में लगा दो, फिर यह तनाव कहां चला जाएगा, तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।
टीचर की बात सुनकर कपिल समझने लगा कि उसी की गलतियों की वजह से उसे यह तनाव हो रहा है ।
कपिल बोला- धन्यवाद सर! आपने मुझे यह सीख दी । गलतियां तो मैंने ही की थी तो उसका नुकसान भी मुझे ही भुगतना था ।अब मैं पहले की तरह अनुशासन में रहूंगा और कोशिश करूंगा धीरे-धीरे खुद को पहले की तरह बन लूँ । खुद के लाइफस्टाइल को बदलूंगा, ताकि मुझे तनाव न हो ।
ऐसा कहकर कपिल ने टीचर से अलविदा ले लिया और वह पहले की तरह अनुशासन में रहने लगा । उसका तनाव भी कम होने लगा और धीरे-धीरे शराब पीने की आदत भी उससे दूर होती रही ।
यह कहानी हमें यह बताती है कि कभी-कभी तनाव का कारण हमारी खुद की गलतियां होती है । हम अपने लाइफस्टाइल को कुछ ऐसा बदल देते हैं कि उसमें तनाव होना लाजिमी हो जाता है इसलिए अनुशासन में रहना अच्छी संगति में रहना यह हमारे लिए बहुत जरूरी है ।
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