गौतम बुद्ध और महाकास्यप की कहानी । Motivational Story of Gautam Buddha in Hindi
Motivational Story of Gautam Buddha in Hindi: आज की कहानी का शीर्षक है “गौतम बुद्ध और महाकास्यप की कहानी ।” इस कहानी में हम जानेंगे कि कैसे बुद्ध ने शिष्यों को मौन का महत्व समझाया और उन्हें मौन का रास्ता दिखाया ।
गौतम बुद्ध और महाकास्यप की कहानी । Motivational Story of Gautam Buddha in Hindi
एक बार की बात है, सभी शिष्य रोज की तरह शिक्षा लेने के लिए गौतम बुद्ध का इंतजार कर रहे थे । वह सभी साथ में बैठे थे, केवल एक शिष्य को छोड़कर, जिसका नाम था, महाकास्यप । वह हमेशा उन शिष्यों से अलग बैठा करता था और वह किसी से बात भी नहीं करता था, वह हमेशा मौन में रहता था । उसकी अपनी ही एक दुनिया थी, सभी शिष्य उसको देखकर पागल और मुर्ख समझते थे । वे लोग अभी इतने काबिल नहीं बने थे, कि उसके मौन को समझ पाए ।
बुद्ध अभी तक नही आए थे ।
एक शिष्य बोला- आज तो बुद्ध ने आने में काफी देर लगा दी, जरूर उन्हें कोई जरूरी काम आ गया होगा ।
दूसरा शिष्य बोला- हाँ, तुम ठीक कह रहे हो, वरना बुद्ध हमेशा ही वक्त पर आ जाते हैं ।
काफी देर बाद बुद्ध उन शिष्यों के पास आए । बुद्ध को देखकर सभी ने उनको प्रणाम किया ।
बुद्ध के हाथों में एक कमल का फूल था । वह पेड़ के नीचे अपने स्थान पर बैठ गए और काफी देर तक उस फूल को देखने लगे उस फूल को देखते-देखते ही उन्हें और वक्त गुजर गया ।
सभी शिष्य एक-दूसरे की तरफ देखने लगे, कि आखिर बुद्ध कब बोलेंगे । लेकिन बुद्ध है जो कि बोलने का नाम ही नहीं ले रहे थे । बहुत देर बाद बुद्ध ने प्रतिक्रिया दी, लेकिन वह प्रतिक्रिया उनके शब्द नहीं उनके आँसू थे, उस फूल को देखते-देखते ही उनके आँसू गिरने लगे ।
यह भी पढ़े:- “नकारात्मक विचार कैसे दूर करें?” | गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी
सभी शिष्य बुद्ध को बड़े गौर से देख रहे थे ।
तभी पीछे से महाकास्यप जोर-जोर से हंसने लगा । उसकी हंसी ऐसी थी कि पूरे शांत माहौल में उसकी आवाज और तेज सुनाई दे रही थी । उसके बाद महाकश्यप ने हंसना बंद कर दिया ।
बुद्ध ने अपना ध्यान कमल के फूल से हटाया और शिष्यों की तरफ किया ।
एक शिष्य बोला- बुद्ध, हम सभी कब से आपकी प्रतिक्षा कर रहे है, लेकिन आप तो इस फूल को ही देखे जा रहे है ।
बुद्ध बोले- यह फूल शांति, पवित्रता का सूचक है और मौन में ही इसके गुण दिखते है । जब तुम लोग मौन का अर्थ समझ लोगे तब शब्दो की जरूरत नहीं होंगी । “शब्दों के माध्यम से, जितना ज्ञान दिया जा सकता था, वह मैं तुम लोगों को पहले ही दे चुका हूंँ । और जो ज्ञान शब्दों से भी परे होता है, वह मैं मौन के द्वारा महाकास्यप को दे चुका हूंँ ।”
दूसरा शिष्य बोला- बुद्ध!!! पर महाकास्यप के हंसने का क्या कारण था ?
बुद्ध बोले- महाकास्यप को वह मौन समझ आ गया था, जो तुम लोगों को नहीं आ रहा था,इसलिए वह तुम लोगों की नादानी पर वह हँसा । तुम लोग हमेशा इसी इंतजार में रहते हो, कि बुद्ध हमको कुछ बोले और हमें ज्ञान प्राप्त हो । लेकिन सभी कुछ सुनने के बाद तो, व्यक्ति की खुद की ही यात्रा शुरू होती है ।
यह भी पढ़े:- अच्छाई का अहंकार | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
तीसरा शिष्य बोला- बुद्ध, हम तो कभी महाकास्यप के मौन को समझ ही नहीं पाए । हम तो उसे एक पागल समझते थे लेकिन हमें क्या पता था कि हमसे अलग बैठने वाले महाकास्यप को ही असल में ज्ञान मिल चुका है ।
बुद्ध बोले- तुम लोगों की यह समस्या है, कि तुम लोग हमेशा शब्दों में ही अटके रहते हो, लेकिन बहुत सारी चर्चा करने के बाद क्या शेष रहता है यही शेष रहता है, मौन हो जाओ । और साक्षी होकर अपने मन के भीतर यह देखना सीख जाओ कि क्या हो रहा है ।
बुद्ध की यह बात सुनते ही काफी देर तक सभी शिष्य मौन रहे।
सूचनाएं हम तक शब्दो के माध्यम से पहुँचती है। कोई भी मनुष्य बिना सूचनाओ के नही रह सकता और यही सूचना विचार बन जाता है । हमारी भी यही समस्या है कि हमें अपने मन में कुछ ना कुछ विचार डालने ही होते हैं, लेकिन इन अत्यधिक विचारों से हमें कुछ प्राप्त नहीं होता, क्योंकि विचार सहायक तो होते है, लेकिन हमारा उनमें अटक जाना, हमे आगे बढ़ने से रोक देता है। इसलिए खुद को खाली करके हमे उस मौन को महसूस करना होगा, जो कि हमारी जिंदगी को हल्का बनाता हैं ।
उम्मीद करते है आपको हमारी Motivational Story of Gautam Buddha in Hindi “गौतम बुद्ध और महाकास्यप की कहानी” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS Squad, Think Yourself और Your Goal