आसान रास्तें दुःख का कारण | प्रेरणादायक कहानी

आसान रास्तें दुःख का कारण | प्रेरणादायक कहानी
Share this Post to Your Friends

हर इंसान में बहुत क्षमता होती है वो जो चाहे कर सकता है लेकिन वो इस क्षमता का इस्तेमाल नहीं करता क्योंकि इंसान हमेशा मेहनत करने से बचता रहता है। वो हमेशा उसी रास्तों को चुनता है जो आसान होते है। आज की कहानी भी उन्हीं लोगों के लिए हैं जो मेहनत करने से डरते हैं और जीवन चलाने के लिए आसान रास्तों का चुनाव करते हैं लेकिन जब वें मेहनत करते हैं तो कैसे उनकी किस्मत बदल जाती हैं ।

आसान रास्तें दुःख का कारण | प्रेरणादायक कहानी

एक समय की बात है एक गुरु और शिष्य जा रहे थे। उन दोनों को रास्ते में बहुत प्यास लगी, लेकिन उन्हें कही पानी नही मिल रहा था। बहुत भटकने के बाद, उन्हें एक झोपड़ी दिखी । वह दोनों झोपड़ी के तरफ बढ़े, एक गरीब किसान झोपड़ी से बाहर आया । उसके साथ उसकी पत्नी और तीन बच्चे भी थे। सभी की हालत खराब थी । उनके कपड़े फटे हुए थे ।

गुरु ने कहा- हमे प्यास लगी है क्या हम दोनों को पीने के लिए जल मिलेगा। गरीब किसान ने आदर के साथ उन्हें पानी दिया और दोनों की प्यास बुझ गई। गुरु ने देखा इस किसान के पास तो इतनी जमीन है, लेकिन ये बिल्कुल बंजर है। यह क्यूँ इस जमीन पर मेहनत नही करता।
रात बहुत हो चुकी थी । इसलिए किसान ने दोनों को रात मे अपनी झोपड़ी मे विश्राम करने को कहा।

किसान की हालत देखकर गुरु बोले – तुम्हारे पास इतनी जमींन है, फिर तुम इसमें खेती क्यूँ नही करते।

किसान बोला- गुरु जी मेरे पास एक भैंस है। उसी का दूध बेचकर हम अपना गुज़ारा चला लेते है, तो फिर बेवजह खेत पर काम करने की क्या जरूरत है।

गुरु बोले – तुम अपनी पत्नी और बच्चो की तरफ देखो । सबका चेहरा कितना तेज़हीन हो गया है, इनके पास पहनने के लिए फटे कपडे है । तुम खुद कितने दुर्बल हो गए हो। क्या तुम्हारा दायित्व नही बनता, कि तुम अपने परिवार के लिए मेहनत करो ।

किसान बोला – उसने बड़ी लापरवाही से उत्तर दिया । गुरु जी ईश्वर हमे भोजन तो दे ही देता है । फिर इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत ,यह कह कर वो ठहाके मार कर हँसने लगा।
गुरु और शिष्य सोने चले गए। आधी रात को गुरु ने शिष्य को जगाया और कहा हम दोनों मिलकर किसान की भैंस को जंगल मे छोड़ आते है।

शिष्य बोला – गुरु जी ये आप क्या कह रहे है !
इस गरीब किसान ने हमे पानी पिलाया, रात मे सोने की व्यवस्था करी, वैसे ही इसकी हालत इतनी खराब है। इसके परिवार के बारे मे सोचिये । आप ऐसा मत करिये।

गुरु ने कहा – मैं तुम्हारा गुरु हूँ। मुझ पर यकीन करो और मेरा साथ दो । शिष्य होने के नाते उसने गुरु की बात मान ली। दोनों ने मिलकर किसान की भैंस को जंगल में छोड़ा । सुबह सूरज की पहली किरण निकलते ही किसी को बिना बताए, दोनों वहां से चले गए ।

दस साल बाद

इस घटना को दस साल बीत गए । दस साल के बाद वह गुरु अब इस दुनिया में नहीं रहे । वह शिष्य अब खुद गुरु बन चुका था, पर उनके मन में एक ग्लानि थी। दस साल पहले किसी गरीब किसान को वह संकट में डालने का भागीदार था। इसलिए वह किसान की हालत देखने झोपड़ी की तरफ गए, पर वह झोपड़ी वहाँ नही थी, बल्कि एक सुंदर-सा घर था और लहराते हुए खेत थे । यह देखकर वह सोचने लगा शायद अब वह यहां से जा चुका है। उसकी ग्लानि और बढ़ गई । कहीं भूख और गरीबी से उस किसान और उसके परिवार की मृत्यु तो नहीं हो गई ।

शिष्य वापस आने ही लगता है, अचानक उसकी नजर किसान पर पड़ी ।
किसान ने जैसे ही उसे देखा। वह दौड़कर उनके पास आया और कहा अरे आप ….
.मैंने आपको पहचान लिया । दस साल पहले आप हमारी झोपड़ी में आए थे , लेकिन बिना बताए ही आप जाने कहां चले गए।

शिष्य ने पूछा – यह खेत तुम्हारे हैं ?

किसान ने कहा- हां यह खेत मेरे हैं । अब आपको क्या बताऊं जिस दिन आप गए थे । उसी दिन से न जाने हमारी भैंस कहां चली गई थी। बहुत ढूंढा पर नहीं मिली हमारे पास खाने को कुछ नहीं था । इसलिए मजबूरन मैंने अपना पूरा ध्यान खेती पर लगा दिया और दिन-रात मेहनत करके अपना व्यापार भी शुरू किया । भगवान की कृपा से अब मैं बहुत खुश हूं । अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर रहा हूँ।

शिष्य यह सब सुनकर बहुत खुश हुआ और उसके मन से बोझ उतर गया ।
वह अब समझा गया । गुरु ने आखिर ऐसा क्यूँ किया था, ताकि किसान मेहनत करें और अपने परिवार का पालन-पोषण कर सके । शिष्य ने अपने गुरु को मन ही मन प्रणाम किया।

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि कभी कभी आसान रास्तें दुःख का कारण होते हैं । अगर अपने दुःखों को दूर करना हैं तो पहले आसान रास्तों से हटकर मेहनत का रास्ता चुनना होगा । जैसा कि उसे गरीब किसान ने किया और अपनी जिंदगी को खूबसूरत बना दिया।

आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


Share this Post to Your Friends

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *