असल जिंदगी में सुखी कौन? Inspirational Story in Hindi

असल जिंदगी में सुखी कौन
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हम सभी एक दूसरों को देख कर यह सोचते हैं कि हमसे सुखी तो वह हैं। आखिर असल जिंदगी में सुखी कौन हैं? आईए एक छोटी सी कहानी के माध्यम से समझते हैं।

असल जिंदगी में सुखी कौन? – Hindi Story

एक बार, एक भिखारी गांव में भिख मांगने के लिए जाता है। भिखारी मांगते-मांगते एक किसान के दरवाजे पर पहुंचता है।

वह भिखारी किसान के घर का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आती। दरवाजा खुला होने के कारण वह अंदर की ओर झांकता है, यह देखने के लिए कि कोई घर पर है या नहीं। वह देखता है कि किसान और उसका पूरा परिवार एक साथ बैठ कर बात कर रहे हैं। बच्चे किसान के साथ लिपटे हुए हैं, खेल रहे हैं।

भिखारी को लगा कि शायद किसी ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए उसने फिर से आवाज लगाई। जब उसने दुसरी बार आवाज लगाई, तो किसान की पत्नी ने सुना और उसके बाद कुछ अनाज लेकर आई, और उसे भीख दे दी।

उसके बाद, वह भिखारी वहाँ से चला गया और सोचने लगा कि कितना खुशहाल परिवार है, कितने सुखी हैं ये लोग। परिवार में दो बच्चे हैं, और वे बच्चे पिता के साथ खेल रहे हैं। सब कुछ देखकर कितना अच्छा लग रहा था, काश मेरा भी परिवार होता ।

किसान का परिवार कितना खुश है और एक मुझे देखो, दिनभर भीख मांगना पड़ता है, फिर घर आ कर खुद से खाना बनाना पड़ता है, और मुझे कितनी परेशानी होती है।

इसके बाद, भिखारी अपने रास्ते निकल गया । किसान के परिवार ने खाना खाया और खाना खाने के बाद, किसान अपनी पत्नी को बताने लगा कि घर खर्च के लिए पैसे नहीं हैं, बड़ी परेशानी है, साहूकार से 1000 रुपए उधार लेना पड़ेगा। पता नहीं वह देगा या नहीं।

किसान की पत्नी ने उसे धैर्य रखने के लिए कहा और बोली, “आप जाओ! आपको साहूकार पैसे दे देगा।”

किसान गांव में एक सेठ के पास गया, जिसके पास कपड़े की दुकान थी। वह ब्याज पर लोगों को पैसा देता था।

किसान ने सेठ से 1000 रुपए मांगे, और जब सेठ किसान को पैसा दे रहा था, तो उसने देखा कि वहां पैसों का हिसाब लगा हुआ है। किसान जब वहां से निकला, तो सोच रहा था कि साहूकार कितना खुश हैं। मैं कहाँ, 500 या 1000 रुपए के लिए घबरा रहा हूं, परेशान हो रहा हूं, और इस सेठ के पास 10 हजार, 20 हजार का हिसाब चल रहा है। किसान यह सोचते सोचते घर चला गया।

सेठ की गांव में छोटी सी कपड़े की दुकान थी। गांव में कपड़े लाने के लिए उसे शहर जाना पड़ता था। वह शहर के एक बड़े दूकान से कपड़ा लाता था। अगले दिन वह शहर पहुंचा, और वहां जो बड़े दूकान के सेठ जी थे, उनसे मुलाकात की और उनसे कहा कि कपड़ा खरीदना है। बड़े सेठ के पास संदेश आ रहा था, 1 लाख का फायदा हो गया, 2 लाख का फायदा हो गया, कोलकाता में माल पहुंच गया हैं , मुंबई में हो गया, ये सब उसको वहां देखने को मिला।

जब गांव का सेठ वहां से निकला, तो सोचने लगा कि हम अपने आप को इस गांव का सबसे बड़ा सेठ मान कर बैठे हैं और 5000, 10000 में खेल रहे हैं, यहां लाखों का फायदा हो रहा है। यह सोचते सोचते सेठ कपड़े लेकर अपने गांव के लिए रवाना हो गया ।

इसके बाद बड़े सेठ (शहर वाला सेठ) के पास उनका नौकर आया और बोला, “एक तार आया है मालिक! 5 लाख का घाटा हो गया है।

सेठ जी का दिमाग ठनक गया। तभी दूसरा नौकर आया और बोला, “आज आपको दावत में जाना है। अपने जो राय बहादुर साहब हैं उनके यहां दावत है। लार्ड साहब आने वाले हैं, आप तैयार हो जाइए। हमने मोटर गाड़ी लगा दी है।

सेठ जी दुखी मन से तैयार हुए और गाड़ी में बैठ गए। कुछ देर के बाद सेठ जी रायबहादुर के घर पहुंच गए। वहां दावत सजी हुई थी। बड़े बड़े सेठ आए हुए थे । सेठ जी के लिए तो बैठने तक की जगह नहीं थी। जैसे-तैसे इनको कुर्सी मिली, उसके बाद सेठ जी देखने लगे कि कमिश्नर आ रहा है, कलेक्टर आ रहा है, बड़े बड़े अधिकारी साहब आ कर मिल रहे हैं।

यह सब नज़ारा देखकर सेठ जी सोचने लगे कि कहां मैं अपने आप को सेठ मान कर बैठा हूं और कितना खुश हो रहा हूँ। सबसे ज्यादा तो सुखी ये हैं, इनके पास बड़े बड़े अधिकारी आते, चाय पीते हैं, हाथ मिलाते हैं, जलवा तो इनका हैं। इसके बाद सेठ जी रायबहादुर से मिले और उन्हें गिफ्ट दिया, खाना खाये और अपने घर के लिए रवाना हो गए ।

रायबहादुर साहब के यहां दावत ख़त्म हो चुकी थी और इनका सर दर्द होने लगा। क्योंकि इन्हें दिन भर से चिंता थी कि दावत कैसी होगी। जाकर कमरे में लेट गए, नौकर आ कर इनकी सेवा करने लगे।

जब सर दर्द बढ़ गया, तो डॉक्टर बुलाया गया। तभी राय बहादुर साहब के पास एक सन्देश आया, जिससे मालूम चला कि व्यापार में घाटा हो गया है। अब उनका सर दर्द और भी बढ़ गया। राय बहादुर ने अपने नौकरों से कहा, “क्या जिंदगी हैं, बड़े बड़े अधिकारी को चाय पिलानी पड़ती हैं, पार्टी रखनी पड़ती हैं। वो सब करते हैं इसीलिए हमें भी दावत रखनी पड़ती हैं वरना कौन इतना सर दर्द मोल लें ।”

तभी उन्होंने देखा कि खिड़की से एक भिखारी जा रहा था, जो अपने हाथ में डंडा लेकर गाना गा रहा था। राय बहादुर ने नौकरों से कहा, “देखो, जिंदगी में खुश तो ये हैं। सुखी तो ये हैं। इसको कोई चिंता नहीं है- ना घाटे की ना फायदे की।” यह वही भिखारी था, जो किसान को सुखी मानता था, खुश मानता था।

यह कहानी हमें सिखाती हैं कि हर इंसान खुश तो हैं लेकिन वह अपने से धनवान व्यक्ति को देखकर दुखी हो जाता हैं और उसे लगता हैं कि सिर्फ धनवान व्यक्ति ही खुश और सुखी हैं । लेकिन धनवान होने के अर्थ ये नहीं की वह व्यक्ति सुखी भी हैं। अगर आप जीवन में खुश और सुखी रहना चाहते हैं तो अपने से धनवान की ओर ना देखें क्योंकि हो सकता हैं जो जीवन आप जी रहे हो वैसा जीवन पाने के लिए भी कुछ लोग तरस रहे हो ।

तो अब आपको जवाब मिल गया होगा कि जीवन में हर वो इंसान सुखी हैं जो अपने से ऊँचे धनवान व्यक्ति की ओर नहीं देखता।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी Inspirational Story in Hindi “असल जिंदगी में सुखी कौन?” पसंद आयी होगी ।

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