श्रोता बनिए वक्ता नहीं – Be a listener, not a speaker

श्रोता बनिए वक्ता नहीं 
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अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उन्हें बोलकर व्यक्त करें। जीवन में एक अच्छा वक्ता होना जरूरी है। लेकिन कई जगह ऐसी भी रहती है जहां पर श्रोता बनना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। श्रोता का अर्थ है सुनने वाला । इसी का उल्टा वक्ता होता है जिसका अर्थ है बोलने वाला । आप सोच रहे होंगे क्या हम आपको एक श्रोता ही बनने को कह रहे हैं? जी, नहीं।

एक बढ़िया श्रोता बनना इसलिए जरूरी है क्योंकि आप किसी भी बात को जब पहले अच्छे से सुनेंगे तो ही आप एक बेहतरीन वक्ता भी बन पाएंगे। जब सामने वाला भरोसे के साथ आपको कुछ बताने के लिए बैठा होता है तो उस समय अगर आप उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनेंगे तो आप उनका दिल जीत लेंगे।

यह एक पुरानी कहावत है कि जो हद से ज्यादा बोलता है वह खुद ही अपनी इज्ज़त कम करवा देता है। जब सुनने की बजाय केवल बोलोगे तो आप दूसरों की परेशानियों को समझ नहीं पाओगे। हम आपसे यह नहीं कह रहे कि आप हर पल चुप रहो। हम तो बल्कि यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि पहले आप सामने वाले को अच्छे से सुने और फिर बाद में ही बोलकर अपनी सही प्रतिक्रिया दें।

‘यदि आप सिर्फ बोलना जानते हैं, तो कभी सफल नहीं हो सकते।’ सुनना एक कला है, जिसे अपने भीतर विकसित किया जाए, तो इससे जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ना आसान हो सकता है।विंस्टन चर्चिल

एक अच्छा श्रोता होने के गुण

  • एक बढ़िया श्रोता वही होता है जो वक्ता को धैर्यपूर्वक होकर सुने।
  • एक अच्छा श्रोता वक्ता की एक-एक बात को गंभीरतापूर्वक सुनता है। ऐसा करने से वह बात का सही निष्कर्ष निकाल सकता है।
  • वह जब वक्ता की बात सुनता है तो उसके आसपास ऐसी कोई भी चीज़ नहीं रहती जिससे कि उसका बात से ध्यान भंग हो। उदाहरण के लिए वह अपने आस-पास मोबाइल फोन या कोई अन्य उपकरण नहीं रखता।
  • एक बढ़िया श्रोता के अंदर सहनशक्ति का भी गुण होता है। वह अपनी आलोचना सुनने को भी तैयार रहता है।
  • एक अच्छा श्रोता वक्ता को अंत तक प्रोत्साहित किए रखता है।
  • एक बढ़िया श्रोता विनम्र होता है।
  • वह जब भी वक्ता की बात सुनते हैं तो उनके चेहरे पर मुस्कान रहती है

आप एक अच्छे श्रोता कैसे बन सकते हैं?

1. बोलने वाले की आँखों में देखते हुए बात सुने

आपने अक्सर यह सुना होगा कि जो आँख से आँख मिलाकर बात नहीं कर सकता उसे कमजोर माना जाता है। इसलिए हमेशा यह प्रयास करें कि जब भी आप किसी की बात सुन रहे हो तो उनसे आँखों का संपर्क लगातार बनाए रखे। हर तीन सेकंड बाद यह देखे कि आप उनकी तरफ देखकर उनकी बात सुन रहे हैं।

2. बोलने वाले की बात सुनने के लिए जरूरी है कि उस समय पास में कोई बाधा डालने वाली चीज़ ना हो

हाँ, यह चीज़ बहुत जरूरी है। अगर आप किसी की बात सुनने के लिए बैठे हो तो इस बात का खास ख्याल रखो कि उस दौरान आप सचमुच में उनकी बातों को सुनने के लिए उत्साहित हो। अगर उस दौरान आपने गलती से भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया या टीवी देखने का काम किया तो सामने वाले को लगेगा कि आप उनकी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

3. आपकी लगातार प्रतिक्रिया महत्व रखती है

एक अच्छा श्रोता होने के लिए यह जरूरी है कि आप बोलने वाले की बातों को गौर से सुने। भले ही आपको उनकी पूरी बात याद ना रहे। लेकिन आप सदैव ही अंतिम शब्दों पर ज्यादा गौर करें। उनको अच्छी प्रतिक्रिया देने के लिए जी, हाँ, सही कहा आपने, बिल्कुल सही जैसे शब्दों का अवश्य प्रयोग करें। ऐसा करने से सामने वाले के मन में आपके प्रति आदर सम्मान की भावना उत्पन्न होती है।

4. आपकी बॉडी लैंग्वेज भी असरदारक काम करती है

आपके शरीर के हाव भाव से यह पता लगाया जा सकता है कि आप बात बोलने वाले में दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि नहीं। आपकी बॉडी लैंग्वेज पॉज़िटिव होनी चाहिए। बोलने वाले को लगे कि आप उनकी कंपनी में अच्छा महसूस कर रहे हैं।

5. बोलने वाले से ऐसे प्रश्न पूछे जो सार्थक हो

जब भी सामने वाले की बात सुनकर आप प्रश्न पूछना चाहे तो उनसे सार्थक प्रश्न ही पूछे। आप हो रहे वार्तालाप से हटकर कोई दूसरा प्रश्न पूछेंगे तो ऐसे में आपका इंप्रेशन सामने वाले पर बुरा जाएगा। जो बातचीत चल रही है उसी से उठाकर ही अर्थपूर्ण प्रश्न कीजिए।

6. सुनते वक़्त यह यह ध्यान रहे कि आप अपनी राय सामने वाले पर ना थोपे

यह सबसे महत्वपूर्ण चीज़ में से एक है। जब भी दो दोनों जनों के बीच बातचीत चल रही हो उस समय उस वक़्त यह जरूर ध्यान में रखें कि आप अपनी राय कभी बोलने वाले पर ना थोपे। ऐसा इसलिए है क्योंकि सामने वाला दिल खोलकर अपनी बात आपको सुनाना चाहता है। ऐसे में अगर आप अपनी राय सामने वाले पर थोपेंगे तो उसे बहुत बुरा लगेगा। उदाहरण के तौर पर अगर कोई बता रहा है कि उसे कैसे बुखार आ गया तो ऐसे में आप यह बिल्कुल ना कहें कि आपको ध्यान रखना चाहिए था। कि आपको ऐसा करना था वैसा करना था आदि।

तो अंत में हम यही कहना चाहेंगे कि अगर आप वक्ता का दिल जीतना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि आप उनकी बातों को दिल खोलकर सुने। ऐसा करने पर आपका ही मान सम्मान बढ़ेगा। लोग आपको ज्यादा पसंद करेंगे।

उम्मीद करते है आपको हमारी दी गयी जानकारी “श्रोता बनिए वक्ता नहीं” पसन्द आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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