धैर्यवान बनो जल्दबाज नहीं | प्रेरणादायक कहानी

धैर्यवान बनो जल्दबाज नहीं
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“जीवन में धैर्य का महत्व है, इसलिए व्यक्ति को कहते हैं धैर्यवान बनो जल्दबाज नहीं।” जल्दबाजी से अक्सर कोई भी कार्य सही तरीके से नहीं हो पाते, इसलिए हमें यह जानने की जरूरत है कि जीवन में धैर्य का कितना महत्व है। आज हम ऐसी ही दो दोस्तों की कहानी लेकर आए हैं, जिसमें एक ने धैर्य को महत्व दिया और दूसरे ने जल्दबाजी को ।

धैर्यवान बनो जल्दबाज नहीं | प्रेरणादायक कहानी


एक बार की बात है, एक गुरुजी के दो शिष्य थे। श्याम और नकुल, दोनों बहुत होशियार थे, लेकिन नकुल के भीतर श्याम के लिए हमेशा एक प्रतिस्पर्धा बनी रहती थी।

एक दिन की बात है, गुरु जी ने दोनों शिष्यों को एक कार्य करने को दिया, जिससे कि पता चले कि दोनों में कितना धैर्य है।
श्याम और नकुल इस कार्य के लिए बहुत खुश थे । दोनों ने अपनी उत्सुकता दिखाई और कहने लगे- बताइए गुरुजी क्या कार्य है?


गुरु जी ने कहा- अरे रुको ! इस कार्य में धैर्य की ही आवश्यकता है, जल्दबाजी की नही ।
तुम दोनों को एक-एक पेड़ लगाना है और एक साल तक उसकी देखभाल करनी है, उसके बाद मैं निरीक्षण करूंगा। तुम दोनों में से किसका पेड़ ज्यादा फल-फूल रहा है, बस यही है तुम दोनों का कार्य।

नकुल बोला- गुरुजी इस कार्य में तो बहुत अधिक समय लग जाएगा, ऐसा कोई कार्य दीजिए जो एक-दो दिन में ही हो जाए आखिर एक प्रयोग के लिए एक साल बर्बाद करने की क्या आवश्यकता है ।
श्याम बोला- नहीं नकुल, गुरु जी ने हमें जो कार्य दिया है हम दोनों इसे ही करते है, आख़िर हमें भी पता चले कि हम यह कार्य कर सकते हैं या नहीं ।

गुरुजी मुस्कुराए और कहने लगे कल ही यह कार्य शुरू कर दो।
एक साल बाद हम इस विषय में बात करेंगे ।

श्याम और नकुल ने मिलकर ऐसी जगह ढूंढी जहां वह पौधे लगा सके और कोई पशु उसे चर ना सके ।
दोनों ने खाद का प्रबंध किया और एक-एक पौधा लेकर रोप दिया और उसे पानी देकर चले गए ।

श्याम रोज प्रतिदिन उस पौधे को पानी देता था।
नकुल अक्सर पौधे को पानी देना भूल जाया करता था । वह जब भी आता उसे जरूरत से अधिक पानी देता, ताकि उसका पौधा जल्दी बड़ा हो सके और उसे रोज़ पानी देने ना आना पड़े।

नकुल एक बार जब पौधे पर पानी देने जा रहा था, तभी उसकी नज़र श्याम के पौधे पर पड़ी, उसने देखा उसके पौधे पर फूल आना शुरू हो गए हैं। यह देखकर उसे बड़ा क्रोध आ गया उसने शाम के पौधे की जड़े उखाड़ दी।

अगले दिन जब श्याम आया, तो देखा कि उसका पौधा तो जड़ से निकला हुआ है । उसने सोचा जरूर किसी जंगली-जानवर की नजर इस पौधे पर पड़ गई होगी, उसने तुरंत पौधे को लगा दिया और पानी देकर चला गया ।

दूसरे दिन जब नकुल पानी देने आया तब वह यह देखकर खुश हुआ कि उसके पौधे पर फूल आ चुके है। नकुल का पौधा तो बहुत छोटा है। मेरे पौधे तक आने के लिए तो दो-तीन महीने इसको ऐसे ही हो जाएंगे।
इसलिए वह थोड़ा और लापरवाह हो गया और अगले दो-तीन महीने तक उसने पौधे को देखा ही नहीं।
किस प्रकार एक वर्ष बीतने में सिर्फ एक दिन का वक़्त शेष था।

यह जानकर दोनों अपने पौधों को देखने पहुंचे शाम का पौधा फिर से लहरा उठा था, उसमे फूल खिल रहे थे।
पानी ना देने की वजह से नकुल का पौधा मुरझा गया था
वह परेशान हो गया कि गुरु जी को क्या मुंह दिखाएगा
उसने फिर से शाम का पौधा उखाड़ फेंका, निश्चित होकर वह घर जा कर सो गया, यह सोचकर कि कल जीत उसी की होगी ।

एक साल का समय समाप्त

अगली सुबह दोनों गुरु जी के पास पहुंचे ।
गुरुजी बोले- आज तुम्हारे कार्य का एक साल पूरा हो गया है चलो देखने चलते हैं, उन पौधों का क्या हाल है।

गुरुजी वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा शाम का पौधा उखड़ा हुआ है और नकुल का पौधा बड़ा हुआ है।
यह देखकर श्याम बहुत परेशान हो गया
श्याम बोला – गुरुजी बहुत मेहनत से मैंने यह पौधा लगाया था पता नहीं किसी जंगली-जानवर ने तोड़ दिया । माफ़ कर दीजिए मैं आपका दिया कार्य पूरा नहीं कर पाया ।
नकुल बोला- मेरा पौधा देखिए, मैं इस कार्य का विजेता हूँ ।

गुरुजी बोले- भले ही श्याम का पौधा किसी ने उखाड़ दिया है, पर पौधों की लंबाई और उगे हुए फूलों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे हर रोज पानी देकर उसकी देखभाल की गई है ।
नकुल सच बताओ तुमने इस कार्य में बेईमानी की है ना ! यह सुनकर नकुल लज्जित हो गया है ।

नकुल बोला- हाँ गुरुजी,
उसने गुरुजी से माफी मांगी और कहने लगा, मुझे माफ कर दीजिए मैं जीत के लालच में ऐसा कर बैठा ।

गुरूजी बोले- श्याम तुम बहुत ही धैर्यवान हो, कार्य तो यही था कि कौन कितना धैर्यवान है। तुम जीत गए हो। नकुल तुम्हारे अंदर बिल्कुल भी धैर्य नहीं था इसलिए तुम्हारा ध्यान खुद से ज्यादा इस बात पर था कि दूसरों को कैसे रोका जाए इसलिए तुम हार चुके हो । तुम्हारे लिए एक सबक है कि जीवन में तुम धैर्य की कीमत जान पाओ और कभी भी अपने हित के लिए दूसरों को नीचे करने की कोशिश ना करो ।

यदि हम जीवन में धैर्य के गुण को अपना ले, तो हम बहुत सारे गलत कार्य करने से खुद को रोक सकते हैं। धैर्यवान मनुष्य विषम परिस्थितियों में भी नहीं लड़खड़ाते और हर कार्य को बखूबी कर पाते हैं।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी प्रेरणादायक कहानी “धैर्यवान बनो जल्दबाज नहीं” पसंद आयी होगी ।

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