गुस्से मे चीखो-चिल्लाओ मत, शांति से काम लो | एक गुरु की शिक्षाप्रद कहानी

गुस्से मे चीखो-चिल्लाओ मत, शांति से काम लो | एक गुरु की शिक्षाप्रद कहानी
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“गुस्से मे चीखो-चिल्लाओ मत, शांति से काम लो ।” क्या आपको भी बार-बार गुस्सा आता है और गुस्से में आप चीखने-चिल्लाने लगते हैं । यदि आप ऐसा करते हैं, तो खुद को अपनों से दूर कर रहे हो । ये दूरी कभी-कभी इतनी बड़ जाती है कि फिर रिश्ते टूटने में देर नही लगती । यदि आपको अपने रिश्तों की कदर है तो जीवन के हर मोड़ पर शांन्त रहना सीखो । आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे, जिसे पढ़कर आप अपने चीखने-चिल्लाने की आदत को बंद कर पाएंगे ।

गुस्से मे चीखो-चिल्लाओ मत, शांति से काम लो | एक गुरु की शिक्षाप्रद कहानी

एक समय की बात है, एक महान् संत अपने शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे । तभी कहीं से बहुत ज्यादा चीखने-चिल्लाने की आवाज आई । और इस आवाज ने सबका ध्यान अपनी और कर लिया ।
वे एक ही परिवार के लोग थे । किसी समस्या के चलते आपस में लड़ रहे थे और लड़ते-लड़ते वह एक-दूसरे पर चिल्लाने लगे ।
यह सब देखकर गुरुजी ने सोचा क्यों ना इस विषय पर अपने शिष्यों से चर्चा की जाए ।

थोड़ी देर बाद वह परिवार वहां से चला गया और गुरुजी ने सभी शिष्यों से कहा- तुम में से मुझे कोई बता सकता है कि इस परिवार का चीखने-चिल्लाने का क्या कारण है?

एक शिष्य बोला- गुरुजी! जब मनुष्य के विचार एक-दूसरे से नहीं मिलते, तब परिवार के बीच मतभेद हो जाता है ।
दूसरा शिष्य बोला- गुरुजी! उनके मस्तिष्क पर क्रोध सवार हो गया होगा, क्रोध में अक्सर इंसान चीखने-चिल्लाने लगता है ।

गुरुजी बोले- इंसान एक-दूसरे के पास होकर भी चिल्लाता है क्योंकि दो व्यक्तियों के दिलों की दूरी बढ़ जाती है । ये दूरी एक दिन इतनी बढ़ जाती है कि उन्हें चिल्ला-चिल्लाकर बात करने की जरूरत पड़ती है । मुख्य रूप से इनके चिल्लाने का कारण यह है कि इन लोगों के बीच दूरियां बहुत बढ़ गई है ।

आगे गुरुजी बोले– तुम लोगों ने देखा है जिन लोगों के हृदय में प्रेम होता है । वह हमेशा धीरे-धीरे और शांति से बात करते हैं । यह इस बात का संकेत है कि उनके दिल बहुत नजदीक है और जब दिल नजदीक होते हैं तो इंसान को कभी गुस्सा नही कर सकता । प्रेम जब बहुत ही गाढ़ा हो जाता है, तब तो शब्दों की भी जरूरत नहीं पड़ती, इंसान का एक इशारा या उसका मौन ही हमें बता देता है कि उसके हृदय में कितना प्रेम है । इसलिए “गुस्से मे चीखो-चिल्लाओ मत शांति से काम लो ।”

सभी शिष्य संत की बात से सहमत थे, उन्होंने उन्हे प्रणाम किया ।
कहा भी गया है- “अगर ईमानदारी से कोशिश की जाए तो हम अपने अशांत मन को शांत कर सकते हैं और गुस्से को काबू कर सकते हैं ।”

अगली बार जब आप सभी को गुस्सा आए तो इस बात पर जरूर गौर करे:-
चिल्लाओ मत चिल्लाने से आप अपने करीबी लोगों से दूरियों को बढ़ा देते हो । जब भी आपको गुस्सा आए तो कोशिश करो, उस वक्त आप किसी से कुछ ना बोलो । क्योंकि गुस्से में कहीं गई हर बात तीर की तरह होती है और यह तीर एक बार कमान से निकल जाए उसके बाद, उसे वापस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है ।

जरूरी नहीं है कि आप ही हमेशा सही हो कभी-कभी दो लोगों के भिन्न विचारों के कारण आपस में मतभेद हो जाता है हमें ठंडे दिमाग से यह सोचना चाहिए हमारे लिए कोई बात सही है तो दूसरे के लिए कोई और बात सही हो सकती है, इसलिए हमें उसकी बातों को समझना चाहिए ।

यदि एक बार आपने किसी पर चिल्ला दिया तो यह आपकी आदत बन जाएगी । आप बार-बार उसे पर गुस्सा करोगे और आपके बीच बातचीत ठीक प्रकार से नहीं हो पाएगी । इसलिए शब्दों का प्रयोग ठीक प्रकार से करो, वरना सामने वाला यह सोचेगा कि आप उसकी इज्जत नहीं करते ।

यह कहानी हमें यह सीख देती है कि अपने परिवार के बीच कभी-भी गुस्से को मत आने दो । चिल्लाना कुछ देर का होता है लेकिन इसका असर हमारे रिश्तों पर बुरे तरीके से पड़ता है । इसलिए आपको अपने रिश्तों को निभाने के लिए गुस्सा करने की आदत को अलविदा कहना होगा । अपने परिवार की हर समस्या का समाधान शांत होकर करो । शांति से ही जीवन में खुशहाली आती है ।

उम्मीद करते हैं आपको हमारी  “एक गुरु की शिक्षाप्रद कहानी” पसंद आयी होगी । आप हमें social media पर भी follow कर सकते हैं CRS SquadThink Yourself और Your Goal


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