एक दानवीर राजा की प्रेरणादायक कहानी | Inspirational story in Hindi
अगर हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की भलाई करते हैं तो उसका फल हमें अवश्य मिलता है, इसलिए हमें हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तैयार रहना चाहिए । आज हम बात करेंगे एक ऐसे राजा की जिसने बुरे समय में भी भलाई रास्ता नहीं छोड़ा ।
एक दानवीर राजा की प्रेरणादायक कहानी | Inspirational story in Hindi
एक बार की बात है, एक नगर में रामधन नाम का एक राजा रहा करता था । वह बड़ा ही दानी और पराक्रमी था और हमेशा अपनी प्रजा की भलाई करने के लिए तत्पर रहता था। आस-पास के सभी नगरों में उनका बहुत आदर-सम्मान था, यहां तक की शत्रु राजाओं ने भी उनकी दानवीरता के किस्से सुने थे ।
एक शत्रु राजा ने यह फैसला किया, कि हमें अपने साम्राज्य को बढ़ाना है इसके लिए हमें रामधन के साम्राज्य को छिनने के लिए युद्ध करना होगा। ऐसा सोचकर शत्रु राजा ने अपनी सेना को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया, ताकि हारने की कोई गुंजाईश ना रहे। मौका पाकर उसने रामधन के साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया। रामधन इस युद्ध में हार गया। मजबूरन उन्हें अपना साम्राज्य छोड़कर जंगल में भटकना पड़ा । भले ही वह युद्ध में हार गए थे, किंतु उनकी ख्याति अभी भी कम नहीं हुई थी। जंगल में रहकर, वह सभी कार्य करते थे, जो एक साधारण मनुष्य अपनी जीविका को चलाने के लिए करता है, लकड़ी काटना स्वयं अपना भोजन बनाना आदि।
शत्रु राजा को जब यह बात पता चला, कि रामधन युद्ध हारने के बाद भी एक सम्मान पूर्वक जिंदगी जी रहा है, तो उसके हृदय में क्रोध की अग्नि जलने लगी। उसने पूरे साम्राज्य में खबर फैला दी यदि रामधन को कोई बंदी बनाकर , उनके महल में पकड़ कर ले आएगा, तो वह उसे सौ दीनार का इनाम देंगे।
यह खबर हर तरफ आग की तरह फैल गई। यह खबर रामधन तक भी पहुंच चुकी थी, लेकिन भोजन कम मिलने के कारण अब वह लोगों की पहचान में नहीं आ रहे थे । वह बहुत दुर्बल हो चुके थे । कोई उन्हें देखकर कह भी नहीं सकता था, कि वह राजा रामधन थे।
रोज की तरह वह जंगल से लकड़ियाँ काटने के लिए, निकले तभी वह क्या देखते हैं कि वहां पर एक व्यक्ति बैठकर रो रहा था। वह उसके पास पहुंचे और कहने लगे, तुम्हें क्या हुआ तुम ऐसे क्यों रो रहे हो ?
व्यक्ति ने कहा – मेरे पिताजी की तबीयत बहुत खराब है और उन्हें इलाज की सख्त जरूरत है । मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं उनका इलाज कर सकूँ। अब मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा, अपनी आंखों के सामने मैं अपने पिताजी को मरते हुए नहीं देख सकता इसीलिए मैं इस जंगल में छुप कर आ गया हूँ। मैं कैसा पुत्र हूंँ, जो अपने पिताजी का इलाज भी नहीं करवा पा रहा हूंँ । अब तो ईश्वर से यही दुआ है कि उन्हें बुलाने से पहले ईश्वर मुझे बुला ले।
रामधन ने कहा- तुम ऐसी निराशाजनक बातें क्यों करते हो? चिंता मत करो, मैं तुम्हें पैसे दिलवाता हूंँ। तुम मेरे साथ चलो ऐसा कहकर, वह उस व्यक्ति के साथ शत्रु राजा के समक्ष उपस्थित हो गया ।
शत्रु राजा ने कहा- कौन हो तुम दोनों ?
रामधन ने कहा- मेरे शरीर की दुर्बलता के कारण शायद आपने मुझे पहचाना नहीं, मैं राजा रामधन हूंँ, जिसको पकड़ने के लिए आपने सौ दीनार का इनाम रखा है । यह व्यक्ति मुझे पकड़ कर आपके सामने लाया है, इसलिए इसे सौ दीनार का इनाम दे दीजिए । व्यक्ति ने जैसे ही सुना यह राजा रामधन है ।
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व्यक्ति ने कहा- उसने हाथ जोड़ लिए और कहने लगा । मैंने सुना था, आप बहुत दानवीर है आज देख भी लिया । आपके पास धन तक नहीं है लेकिन आपने मेरी मदद के लिए खुद को शत्रु राजा के समक्ष तक सौंप दिया, सचमुच आप महान् हो।
यह सुनकर शत्रु राजा लज्जित हो गया और उसने रामधन के आगे हाथ जोड़ लिए।
शत्रु राजा ने कहा- महाराज आपके पास कुछ भी नहीं है फिर भी आप लोगों का भला करने में लगे हुए हैं । “भले ही मैं युद्ध जीत चुका हूंँ, लेकिन आपने तो लोगों का हृदय जीत लिया है।” मुझे माफ कर दीजिए । मैं आपका साम्राज्य आपको सम्मान सहित लौटता हूँ और इस गरीब को सौ दीनार का इनाम भी देता हूंँ। शत्रु राजा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा – प्रजा को आप जैसे राजा की सख़्त जरूरत है ।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि समय कितना ही खराब क्यों न हो यदि हम लोगों का भला करते रहेंगे, तो वह भला किसी दूसरे रूप में हमसे टकरा जाएगा जैसा कि राजा रामधन ने किया । उनके पास अपनी संपत्ति नहीं थी लेकिन भला करने की चाहत थी और उनकी इसी भलाई के कारण उन्हें उनका साम्राज्य वापस मिल गया ।
उम्मीद करते हैं आपको हमारी Inspirational story in Hindi “एक दानवीर राजा की प्रेरणादायक कहानी” पसंद आयी होगी ।
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